MP अजब है: पहले सांडों के नसबंदी का आदेश दिया, 12Cr खर्च होते; अब वापस लिया

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MP अजब है: पहले सांडों के नसबंदी का आदेश दिया, 12Cr खर्च होते; अब वापस लिया

भोपाल. मध्य प्रदेश में एक सरकारी आदेश (Govt Order) पर इतना विवाद हुआ कि आखिरकार सरकार ने उसे वापस ले लिया। दरअसल, पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department) ने पूरे प्रदेश के अनुपयोगी सांडों की नसबंदी (sterilization of bulls) का आदेश निकाला था, लेकिन भोपाल की बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के विरोध के अगले ही दिन (13 अक्टूबर) विभाग ने आदेश रद्द (Cancel) कर दिया। पशुपालन विभाग ने आदेश का निरस्तीकरण जारी करते हुए बताया, 'पशुपालन विभाग को सांडों का बधियाकरण कार्यक्रम चलाया जाना था, लेकिन इस अभियान को फिलहाल रोक दिया गया है।’ पशुपालन एवं डेयरी विभाग संचालक (Director) डॉ. आरके मेहिया ने अभियान को स्थगित करने का आदेश जारी किया।

4 अक्टूबर को निकला था आदेश

शिवराज सरकार के पशुपालन विभाग की तरफ से सभी कलेक्टरों को आदेश जारी किए गए थे कि निकृष्ट सांडों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए 23 अक्टूबर से बधियाकरण (नसबंदी) अभियान  चलाया जाए। आदेश के मुताबिक, सभी गांवों के पशुपालकों/गोशालाओं में मौजूद या निराश्रित सांडों का बधियाकरण किया जाए। 

बीजेपी सांसद और हिंदू संगठनों ने विरोध किया था

सरकार के आदेश का भोपाल से बीजेपी सांसद (BJP MP) प्रज्ञा सिंह ठाकुर, पशुपालकों और हिंदू संगठनों ने विरोध जताया था। 12 अक्टूबर को प्रज्ञा ने कहा- प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। यदि देसी सांडों की नसबंदी की गई तो नस्ल ही खत्म हो जाएगी। वहीं, नसबंदी का आदेश निरस्त होने के बाद प्रज्ञा ने कहा, 'मुझे लगता है कि आदेश कोई आंतरिक षड्यंत्र (Internal Conspiracy) है, इससे सावधान रहने की जरूरत है। गोवंश नष्ट नहीं होना चाहिए। इस मामले की मुख्यमंत्री से जांच कराने की मांग करूंगी।’

15 दिन सर्वे किया गया था

निकृष्ट सांडों की पहचान के लिए प्रदेशभर में 15 दिन तक बाकायदा अभियान चलाया गया। इसमें 12 लाख सांडों की पहचान की गई। योजना के मुताबिक, शुरुआत में 2 लाख सांडों का बधियाकरण किया जाना था। इसमें 12 लाख रुपए खर्च किए जाते।

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