अगर 51 साल के सिंधिया खुद को बूढ़ा मान रहे हैं तो इन दिग्गजों को क्या मानें?

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Atul Tiwari
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अगर 51 साल के सिंधिया खुद को बूढ़ा मान रहे हैं तो इन दिग्गजों को क्या मानें?

Ashoknagar. यहां एक कार्यक्रम में शुक्रवार यानी 20 मई को ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने एक बातों-बातों में एक बात कह डाली। सिंधिया यहां तुलसी पार्क परिसर में 42.23 करोड़ के विकास कार्यों के शिलान्यास व लोकार्पण समारोह में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि शायद थोड़ा सा जवान दिखता हूं, लेकिन बुढ़ापे की तरफ मैं भी बढ़ रहा हूं। अब हमारी 20 साल पहले की स्थिति नहीं रही। यहां सब युवा मोर्चा के नौजवान बैठे हुए हैं। परिश्रम करने की, मेहनत करने की जितनी क्षमता है, लेकिन विचारधारा मेरी प्राचीन है। अब बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं।     




— TheSootr (@TheSootr) May 21, 2022



सबसे पहले बात सिंधिया की 



ज्योतिरादित्य सिंधिया 1 जनवरी 1971 को पैदा हुए थे, इस लिहाज से इस वक्त उनकी उम्र 51 साल है। 30 सितंबर 2001 को ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया की एक विमान हादसे में मौत हो गई थी। तब माधवराव गुना से कांग्रेस सांसद थे। इसके बाद 24 फरवरी को हुए लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चुनाव जीता। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में वे दोबारा जीते। 2007 में उन्हें यूपीए-1 में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री बनाया गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी सिंधिया गुना से जीते, लेकिन 2019 में बीजेपी के केपी यादव ने उन्हें हरा दिया। ज्योतिरादित्य 10 मार्च 2020 को बीजेपी में शामिल हो गए। फिलहाल वे बीजेपी से ही राज्यसभा सांसद और नागरिक उड्डयन मंत्री (Civil Aviation Minister) हैं।



ज्योतिरादित्य के बयान के मायने



सिंधिया को करीब से जानने वाले एक व्यक्ति का कहना है कि उन्होंने ऐसा (बुढ़ापे वाली बात) पहली बार नहीं बोला। वे ऐसा पहले भी बोलते रहे हैं। हम लोगों के लिए ये कोई नई बात नहीं है। हां, मीडिया ने इसे पहली बार उठाया है। सिंधिया लंबी रेस के घोड़े हैं। उन्हें राजनीति में लंबा काम करना है। एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि बीजेपी नई पीढ़ी लाने को बात करती है तो क्या सिंधिया भी नई पीढ़ी को लाने की बात कहना चाहते हैं।



दिग्विजय ने चुटकी ली



ज्योतिरादित्य के बुढ़ापे की ओर बढ़ने वाली बात पर दिग्विजय सिंह ने दो ट्वीट किए। 



एक ट्वीट में लिखा- एक आदमी उतना ही बूढ़ा होता है जितना वह महसूस करता है।



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सवाल ये- अगर 51 साल के नेता को बूढ़ा मानें तो इन्हें क्या कहें



मध्य प्रदेश बीजेपी के कद्दावर नेताओं की उम्र




  • मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान- 63 साल के हैं। 2005 से 2018 तक लगातार मुख्यमंत्री रहे। दिसंबर 2018-मार्च 2020 तक कमलनाथ सरकार रही। मार्च 2020 के बाद से फिर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।


  • नरोत्तम मिश्रा- 62 साल के हैं। 1990 में पहली बार मध्य प्रदेश विधानसभा में चुनकर पहुंचे थे। इसके बाद 1998 और 2003 में डबरा से चुने गए। 2008, 2013 और 2018 में दतिया से चुनाव जीते। 

  • गोपाल भार्गव- 69 साल के हैं। 2020 में छठी बार कैबिनेट मंत्री बने।  

  • भूपेंद्र सिंह- 62 साल के हैं। 1993-2003 से सुर्खी सीट से विधानसभा में चुनकर आए। सांसद भी रहे। फिलहाल मध्य प्रदेश के परिवहन मंत्री हैं।

  • गौरीशंकर बिसेन- 70 साल के हैं। 2008 से बालाघाट सीट से विधानसभा में चुनकर आ रहे हैं।

  • गिरीश गौतम- 69 साल के हैं। रीवा के गुढ़ से विधायक हैं।

  • केदार शुक्ला- 68 साल के हैं। सीधी से आते हैं और 4 बार विधायक रहे हैं।



  • कांग्रेस नेताओं की उम्र




    • कमलनाथ- पूर्व मुख्यमंत्री 75 साल के हैं।


  • सज्जन सिंह वर्मा- धार के सोनकच्छ से विधायक सज्जन 69 साल के हैं। 

  • डॉ. गोविंद सिंह- हाल ही में मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष बनाए गए गोविंद 1 जुलाई को 71 साल के हो जाएंगे।

  • आरिफ अकील- भोपाल से विधायक और पूर्व मंत्री 70 साल के हैं।

  • लक्ष्मण सिंह- गुना के चाचौड़ा से विधायक लक्ष्मण 70 साल के हैं।



  • केंद्र में गृह मंत्री को छोड़कर बड़े पोर्टफोलियो वाले 60 पार




    • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी- 71 साल के हैं।


  • गृह मंत्री अमित शाह- 57 साल के हैं।

  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह- 70 साल के हैं।

  • विदेश मंत्री एस जयशंकर- 67 साल के हैं।

  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर- 64 साल के हैं।



  • कांग्रेस के फॉर्मूले ने बढ़ा दी बुजुर्ग नेताओं की चिंता



    हाल ही में उदयपुर के चिंतन शिविर में 50 प्रतिशत पद 50 साल से कम उम्र वालों को देने के फैसले से प्रदेश कांग्रेस में अभी से गुणा-भाग शुरू हो गया है। इस फॉर्मूले का 100% पालन हुआ तो 2023 के विधानसभा चुनाव में ही 115 टिकट और उसके बाद लोकसभा चुनाव में 14 टिकट 50 साल से कम उम्र वाले नेताओं को मिलेंगे। विधानसभा चुनाव में इस आधार पर टिकट दिए गए तो 47 मौजूदा विधायकों का पत्ता कट जाएगा। जबकि 48 विधायक 50 साल से कम उम्र के हैं, जिनके टिकट में उम्र का बंधन आड़े नहीं आएगा।


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