भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा में विधायक किन शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे, इसको लेकर नियमावली तैयार कर ली है। अब विधायक सत्र के दौरान पप्पू, फेंकू, कांव-कांव, बंटाधार, चापलूसी, पहले तेल लगा लो, चापलूसी कर लेने दो जैसे 1161 शब्द नहीं बोल पाएंगे। ससुर, गंदी सूरत, धोबी के कुत्ते की तरह, चोर का भाई गिरगिट, उल्लू का पट्ठा, सफेद झूठ जैसे शब्दों को भी असंसदीय माना गया है। 8 अगस्त को विधानसभा के मानसरोवर सभागार में असंसदीय शब्द और वाक्यांश संग्रह किताब का विमोचन किया गया। इसमें विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ, संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा और डॉ. गोविंद सिंह मौजूद थे।
कई शब्द असंसदीय हैं, ये किताब से ही पता चला- शिवराज
शिवराज ने कहा कि विधानसभा में सत्र की कार्रवाई देखने कॉलेजों के बच्चे भी आते हैं, लेकिन वे कार्यवाही देखकर निराश होते हैं। विधानसभा की कार्यवाही को मछली बाजार समझा जाता है। विधानसभा महज ईंट-गारे का भवन नहीं, लोकतंत्र का मंदिर है। कई बार विधानसभा में बहस के दौरान शब्दों का चयन ऐसा हो जाता है जो सामान्य शिष्टाचार के अंतर्गत नहीं आता। कई बार गुस्से में अपशब्द बोल जाते हैं।
शिवराज ने विधानसभा अध्यक्ष की पहल को धन्यवाद देते हुए यह भी कहा कि हमारी संस्कृति-परंपराएं शिष्टाचार को महत्व देती है। हमें भी कई शब्दों के असंसदीय होने का पता नहीं था, इस पुस्तक को पढ़कर पता चला।
किताब के जरिए क्यों समझाना पड़ रहा, इसे समझें- कमलनाथ
कमलनाथ ने कहा कि हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। प्रजातन्त्र की नींव लोकसभा और विधानसभा हैं। सदन में अनेकता में एकता हर बार दिखाई देती है, एक झंडे के नीचे सभी विविधताएं एक सूत्र में बंध जाती हैं। देश की संस्कृति को बनाये रखना सदन की जिम्मेदारी है। हम सभी संसदीय प्रथा के रक्षक हैं।
किताब के विमोचन पर कमलनाथ ने चुटकी लेते हुए यह भी कहा कि मैं अपनी या अपने साथियों की आलोचना नहीं करता। आज किताब के जरिए जनप्रतिनिधियों को समझाने की क्यों जरूरत पड़ रही है, यह सोचने का विषय है। जनता हम लोगों के बारे में क्या सोचती होगी?
विधानसभा में 24 साल असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं हुआ?
जो किताब जारी की गई है, उसमें विधानसभा में 1990 से लेकर 2014 तक किसी भी असंसदीय शब्द का जिक्र नहीं है।
अब सदन में ये शब्द भी नहीं बोल पाएंगे "माननीय"
मूर्ख, एक ही थैली के चट्टे-बट्टे, असभ्य, बेशर्म, चौकड़ी भूल जाना, चौराहे पर भाषण, बेईमान, बेईमानी, मूर्खतापूर्ण, ऊल-जलूल, मनमानी, तानाशाह, अन्याय, पागलखाना,निकम्मा, निकम्मे, नालायकी, चोर, अंधे-बहरे, जूते उठाना, झूठ बोलना, बदमाशी, बूढ़ा शेर, शर्म आना, शेखी बघारना, कम अकल, पुलिस के कुत्ते, दुष्ट, बकवास, हिस्ट्री शीटर, भ्रष्ट, शैतान, लफंगा, भाजी बाजार, गुंडागर्दी, गुपचुप, राजनैतिक गुंडे, ब्लैकमेल, बेशर्मों, तमाज नहीं, कायर, झूठा प्रचार, निर्लज्जता, भीड़, विदूषक, गलत, पोस्टमेन, गुंडा, चवन्नी छाप, घटियापन, ढोंगी, पाखंडी,बचकाना, नक्सलवादी, धांधली, पाप,पापी, बेवकूफी, जमूरा।
दादागिरी-मां कसम शब्द भी शामिल
फकीरा, फासिस्ट, तुगलकी मंत्री, रंगरूट, नपुंसक, भोंपू, नालायक, निठल्ले, बकवास, बदतमीजी, बंधुआ मजदूर, धिक्कास अय्याशी, महामूर्ख, अनर्गल गुलाम, चाटुकारिता, भांड, शेम, चाटुकारिता, मक्कारी, फरेब, यार, बुजुर्ग, मिर्ची लगना, चोर की दाढ़ी में तिनका, दुराचारी, हत्यारा, मोटी अकल, ऐसे-वैसे' सीखना, नीच, चमचे, निपट लेंगे, बेवकूफ फालतू की बात, पूंछ, आदमखोर, गोबर गणेश, बेशर्मी से, धोखेबाज, तमाशा, ओछी, धिक्कार, लूट,डकैती, चूहे, मेंढकी, मां कसम, चंगू-मंगू, बेचारा, हल्ला दादागिरी, कायरता, अंधेरगर्दी, ढपोलशंख, कुकर्म।