हरीश दिवेकर। मध्य प्रदेश में इस समय कई खबरों का बाजार गर्म है। इन ‘खास’ खबरों के लिए हमने बोल हरि बोल कॉलम शुरू किया है। शिवराज सरकार उपचुनाव में जीत से खुद की पीठ थपथपा रही है, पर पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय थोड़े खामोश से हैं। वहीं, एक आईएएस की पत्नी एक अस्पताल में पार्टनर बन गईं। आप जरा सा खबर में अंदर आइए, अंदरखाने की खबरें और भी हैं...
क्या कमजोर हो गए कैलाश?
मध्य प्रदेश के दिग्गज बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय इन दिनों चुप-चुप से हैं, उनकी ये चुप्पी अब चर्चाओं का कारण बनी हुई है। दरअसल विजयवर्गीय का नाम उन बेबाक नेताओं में शुमार होता है, जो कहीं भी, कुछ गलत लगने पर खुलेआम बोलते हैं। प्रदेश में कई बार अपनी ही सरकार को, यहां तक की मुख्यमंत्री शिवराज को सीधे घेर चुके हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों से विजयवर्गीय अपने आप को नए ढांचे में ढालने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि बीजेपी के बंगाल प्रमुख रहे और त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय के आपत्तिजनक टवीट के बाद भी विजयवर्गीय ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। रॉय ने विजयवर्गीय की तुलना कुत्ते से करते हुए दोनों की फोटो का कोलाज बनाकर ट्वीट किया था। उनकी इस गहरी चुप्पी के चलते अब उनके समर्थक टटोलने में लगे हैं, क्या वाकई कैलाश राजनीतिक रूप से कमजोर हो गए हैं।
मंत्रालय में फेरबदल की सुगबुगाहट
हर दूसरा मंत्री अपने अपर मुख्य सचिव (ACS), प्रमुख सचिव (PS) को लेकर परेशान है। मंत्री लगातार इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शिकायत कर रहे हैं। सीएम ने बदलाव का आश्वासन दिया है। बताया जा रहा है कि देवउठनी ग्यारस से पहले मंत्रालय में फेरबदल होगा। सीएम का इशारा मिलते ही बड़े साहब ने सूची बना ली है। मजेदार बात तो यह है कि इस फेरबदल में उन मंत्रियों का विशेष ध्यान रखा गया है, जिनके विभाग में भ्रष्टाचार की ज्यादा शिकायतें आ रही है। इन विभागों में चुन-चुन कर ऐसे अफसर देने की तैयारी है, जो लकीर के फकीर हैं। ऐसे में संभावना है कि फेरबदल के बाद ये मंत्री पहले से ज्यादा कपड़े फाड़ने वाले हैं।
करोड़ों के अस्पताल में IAS की पत्नी बेनामी पार्टनर
रंगीनमिजाजी के कारण चर्चा में रहने वाले युवा आईएएस की पत्नी बुंदेलखंड में करोड़ों रुपए की लागत से बने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में बेनामी पार्टनर बनी है। जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना काल में ही इस अस्पताल की शुरुआत हुई है। अस्पताल संचालक भी खासे रसूख वाले हैं, जिनके पहले से भोपाल और होशंगाबाद दो बड़े अस्पताल हैं। इन आईएएस से इनका पुराना याराना है। दरअसल भोपाल और होशंगाबाद में पदस्थ रहने के दौरान इनकी नजदीकियां बढ़ी थीं, जो बाद में पार्टनरशिप में तब्दील हो गई।
बड़े साहब का मुखबिर तंत्र
प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया के मुखबिर तंत्र से मंत्रालय के आला अफसर ही नहीं कलेक्टर भी परेशान हैं। मंत्रालय के दो बड़े अफसरों के टेंडर इसी मुखबिरी के चलते निरस्त हुए। करीब 6 कलेक्टर ऐसे हैं, जिन्हें बड़े साहब ने सीधे फोन कर फटकार लगाई। उनके इस मुखबिर तंत्र के चलते हर कोई ये पता करने का प्रयास कर रहा है कि आखिर बड़े साहब तक अंदर की खबरें कैसे और कौन पहुंचा रहा है। मजेदार बात यह है कि बड़े साहब का नेटवर्क अपनी बिरादरी से ज्यादा बाबू स्तर के लोगों में ज्यादा फैला हुआ है। यही वजह है कि साहब तक हर छोटी-बड़ी जानकारी पहुंच रही है।
रसूखदार कलेक्टर के आगे बड़े साहब भी बेबस
इस समय बड़े साहब की तूती बोल रही है, बड़े-बड़े आईएएस भी उनके नाम से पानी मांगते हैं, लेकिन बुंदेलखंड के एक रसूखदार कलेक्टर के आगे बड़े साहब भी बेबस हैं, वे कई बार इसे हटाने का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन कलेक्टर का जातिगत फार्मूला इतना जबर्दस्त है कि उन्हें हटा नहीं पा रहे। उत्तर प्रदेश से सटे इस जिले में करोड़ों रुपए का अवैध रेत परिवहन हो रहा है। नीचे से उपर तक सबको पता है कि कलेक्टर खुलेआम अवैध खनन और परिवन को संरक्षण दे रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद एक्शन नहीं हो रहा। आपको बता दें ये साहब प्रदेश के सबसे बड़े रेत खनन वाले जिले में पदस्थ रह चुके हैं, वहां इन्हीं के एसडीएम ने रेत ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था, लेकिन राजनीतिक रसूख के चलते कलेक्टर का तो कुछ नहीं हुआ, गाज एसडीएम पर गिर गई।