भोपाल. मध्य प्रदेश में 4 सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट (रैगांव विधानसभा) पर जीत मिली, तीन (खंडवा, पृथ्वीपुर, जोबट) हार गए। अब कांग्रेस में मंथन का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष (PCC Chief) और पूर्व मुख्यमंत्री (Former CM) कमलनाथ ने 9 नवंबर को बैठक बुलाई है। इसमें उम्मीदवारों के साथ चुनाव प्रभारियों (Election Incharge), सहप्रभारियों और समन्वयकों (Coordinators) को भी बुलाया है। बैठक में हार की वजहें तलाशी जाएंगी। माना जा रहा है कि बैठक में चुनाव प्रभारियों पर गाज गिर सकती है। कांग्रेस के खुश होने के लिए बस इतना ही रहा कि उसने 31 साल से BJP के कब्जे में रही रैगांव विधानसभा सीट जीत ली।जानकारी के मुताबिक, फीडबैक के आधार पर कुछ नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई (Disciplinary Action) भी हो सकती है। असल में कांग्रेस को अपनी दो पारंपरिक सीटें (पृथ्वीपुर और जोबट) गंवानी पड़ी। खंडवा लोकसभा सीट पर पूरी जोर आजमाइश के बावजूद भी पार्टी को कामयाबी नहीं मिली।
महंगाई समेत कई मुद्दों को भुना नहीं पाई कांग्रेस
उपचुनाव को 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Election) के लिए सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा था। कांग्रेस के पास महंगाई, बेरोजगारी, आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार समेत कई मुद्दे भी थे, लेकिन पार्टी ना तो मुद्दों को भुना पाई और ना ही BJP सरकार के खिलाफ एंटी इन्कंबेंसी (Anti Incumbancy) का फायदा मिला। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं की अंतर्कलह कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गई।
खंडवा में भी अंतर्कलह सामने आई
कांग्रेस ने वोटिंग (30 अक्टूबर) के बाद पूर्व मंत्री अरुण यादव के करीबी एक कार्यकर्ता असद को निष्कासित कर दिया था। अरुण यादव खंडवा से प्रबल दावेदार थे, लेकिन उन्होंने खुद चुनाव ना लड़ने का ऐलान कर दिया। चर्चाएं हैं कि अरुण समर्थकों ने कांग्रेस उम्मीदवार राजनारायण सिंह पुरनी का पुरजोर तरीके से प्रचार नहीं किया। हालांकि, खुद अरुण चुनाव प्रचार में खूब सक्रिय दिखे। खंडवा में हार के बाद कांग्रेस प्रत्याशी राजनारायण सिंह तो खुलेआम अरुण यादव का नाम लेकर निशाना साध चुके हैं।
मेंबरशिप कैंपेन पर भी होगी चर्चा
इस बारे में कांग्रेस विधायक (Congress MLA) पीसी शर्मा ने बताया कि जिला प्रभारियों की बैठक में कांग्रेस के सदस्यता अभियान (Membership Campaign), मंडल सेक्टर स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने और उपचुनाव में हार पर चर्चा होगी। इसे लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि ये आगे के चुनावों के लिए जरूरी है। लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष जरूरी है।