MP का ‘नया’ सिस्टम: पुलिस को मिलेंगे कई अधिकार, पहला प्रपोजल किसने भेजा था, जानें

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MP का ‘नया’ सिस्टम: पुलिस को मिलेंगे कई अधिकार, पहला प्रपोजल किसने भेजा था, जानें

भोपाल. मध्य प्रदेश के दो महानगरों राजधानी भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू होगी। 21 नवंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इसका ऐलान किया। साफ है कि सरकार ने पुलिस को मजिस्ट्रियल पावर देने का मन बना लिया है। बताया जा रहा है कि कमिश्नर सिस्टम अप्रैल से लागू हो सकता है। मध्य प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली देश के अन्य मेट्रो शहरों जैसी ही होगी या उसे बदलावों के साथ अपनाएंगे, यह तय होना बाकी है। लेकिन यह तय है कि जहां इसे लागू किया जाएगा, वहां पुलिस कमिश्नर प्रशासनिक फैसले ले सकेंगे। जानते हैं कि इस व्यवस्था से क्या बदलाव आएगा...

पुलिस को मजिस्ट्रेट के अधिकार मिल जाएंगे

  • प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के मामलों में मजिस्ट्रेट के अधिकार DCP और ACP के पास आ जाएंगे।

  • सरकार जरूरत के हिसाब से DCP की नियुक्ति करेगी, जो SP रैंक के होंगे।
  • आर्म्स, आबकारी और बिल्डिंग परमिशन का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) देने जैसे अधिकार भी पुलिस के पास होंगे।
  • मध्य प्रदेश में कमिश्नर प्रणाली लागू करने की कवायद बीते 10-12 साल से चल रही है। इस बीच ओडिशा, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में कमिश्नर सिस्टम लागू कर दिया गया।
  • अर्जुन सिंह ने भेजा था प्रस्ताव

    आज से तकरीबन 35 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम प्रणाली को लागू करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा था। तब केंद्र ने मध्य प्रदेश का आदिवासी बाहुल्य राज मानते हुए इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। 

    कमिश्नर सिस्टम में ये होगी रैंक

    • पुलिस कमिश्नर- CP
    • ज्वॉइंट कमिश्नर- JCP
    • डिप्टी कमिश्नर- DCP
    • सहायक आयुक्त- ACP
    • पुलिस इंस्पेक्टर- PI
    • सब इंस्पेक्टर- SI

    कलेक्टर के अधिकार छिनेंगे

    इस सिस्टम के लागू होने के बाद कलेक्टर कई अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाएंगे, जिनमें हथियार लाइसेंस, होटल या बार लाइसेंस शामिल हैं। साथ ही किसी भी प्रकार के आयोजन (सांस्कृतिक कार्यक्रम, कॉन्सर्ट, विरोध प्रदर्शन, धरना) की अनुमति देने का अधिकार भी पुलिस के पास होगा। इसके अलावा कई स्थितियों में धारा 144 लगाने से लेकर बल प्रयोग और संवेदनशील मामलों में रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जैसी धाराओं का इस्तेमाल करने के अधिकार इनमें शामिल हैं। इसमें प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस ही मजिस्ट्रेट पॉवर का इस्तेमाल करती है।

    इस तरह पुलिस कमिश्नर सारी पुलिस कमान का प्रमुख बन जाता है। अपने कार्यक्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने और फैसलों को लेकर कमिश्नर सीधे राज्य सरकार (गृह मंत्री) को रिपोर्ट करता है। 

    भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत जिलाधिकारी यानी कलेक्टर के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं। इस पद पर IAS अधिकारी बैठते हैं। लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हो जाने के बाद ये अधिकार पुलिस अफसर को मिल जाते हैं, जो एक IPS होता है। जिले की बागडोर संभालने वाले कलेक्टर के अधिकार कम होने के कारण आईएएस लॉबी इसका विरोध करती आई है।

    देश के 71 शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू 

    देश के 19 महानगरों की आबादी 20 लाख से ज्यादा है। इसमें से 14 महानगर ऐसे हैं, जहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है। 20 लाख से ज्यादा आबादी वाले 6 शहर, जिनमें पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू नहीं है, इनमें मध्य प्रदेश के भोपाल-इंदौर, बिहार का पटना और उत्तर प्रदेश का कानपुर, लखनऊ और गाजियाबाद शामिल हैं। 34 शहर ऐसे हैं, जिनकी आबादी 10 से 20 लाख के बीच है। इनमें से 26 शहर ऐसे हैं, जहां पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू है। देश में 31 शहर ऐसे भी हैं, जहां आबादी 10 लाख से कम है, इसके बावजूद भी इन शहरों में यह व्यवस्था लागू है।

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