भोपाल में पुरानी पेंशन के मुद्दे पर धरने से पहले सख्ती, पुलिस ने टेंट उखाड़े

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Atul Tiwari
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भोपाल में पुरानी पेंशन के मुद्दे पर धरने से पहले सख्ती, पुलिस ने टेंट उखाड़े

भोपाल. मध्य प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा गरमाता जा रहा है। 13 मार्च को भोपाल के कोर्ट परिसर के पास धरना होना है, लेकिन इससे पहले पुलिस-प्रशासन हरकत में आ गया। आधी रात में टेंट हटा दिया गया। वहीं, प्रदेशभर से भोपाल आ रहे एम्प्लॉइज को भोपाल की सीमा पर ही रोक लिया गया। धरने को लेकर अफसर मुस्तैद हैं, ताकि कोई भी इसमें शामिल ना हो सके। इससे पहले 12 मार्च पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर शिवराज सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए कर्मचारी संगठन द्वारा 13 मार्च को होने वाले प्रदर्शन की अनुमति को पुलिस ने निरस्त कर दिया था। पुलिस ने इस फैसले के पीछे कर्मचारियों की अनुमति से ज्यादा संख्या को कारण बताया था।





लोकतंत्र पर हमला: पुरानी पेंशन बहाली महासंघ और प्रगतिशील संयुक्त कर्मचारी कल्याण संघ के बैनर तले यह धरना होना है। प्रांतीय संयुक्त सचिव जितेंद्र कुमार खरे ने एक अखबार को बताया कि रात में 2 बजे प्रशासन ने टेंट लगाने से रोका। अपने अधिकार की आवाज उठाने पर यह स्वतंत्र लोकतंत्र पर हमला है। हम प्रशासन से बात करने कोशिश कर रहे हैं। धरने को लेकर अफसरों से बात की जा रही है।





आज यानी 13 मार्च को भोपाल के कलियासोत ग्राउंड पर भी मध्य प्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा पुरानी पेंशन की मांग को लेकर ही धरना देने वाला था, लेकिन इससे पहले अनुमति निरस्त कर दी गई। इसके बाद कोर्ट के पास धरना होने वाला था।





MP में पेंशन कर्मचारियों का गणित: 1 जनवरी 2005 से नई पेंशन योजना लागू हुई थी। कर्मचारी संघ के मुताबिक, मध्य प्रदेश में 3.35 लाख सरकारी कर्मचारी और अधिकारी 1 जनवरी 2005 के बाद नौकरी में आए हैं। इसमें सबसे ज्यादा टीचर की संख्या 2.87 लाख हैं। इसके अलावा 48 हजार बाकी कर्मचारी हैं। ये नई पेंशन स्कीम के दायरे में आते हैं। इसलिए सरकार हर महीने इनके मूल वेतन की 14 फीसदी अंशदान राशि जमा करती है। ये सालाना करीब 344 करोड़ रुपए हैं। अगर शिवराज सरकार पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करती है। ऐसी स्थिति में सरकार को इन 344 करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी। सरकार पर 14 साल बाद यानी 2035-36 से वित्तीय बोझ आना शुरू होगा।





पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) के अहम बिंदु







  • इस स्कीम में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।



  • पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं कटता है।


  • पुरानी पेंशन स्कीम में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है।


  • इस स्कीम में 20 लाख रुपए तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है।


  • रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है।


  • पुरानी स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फंड यानी GPF का प्रावधान है।


  • इसमें छह महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान है।






  • नई पेंशन स्कीम की खास बातें 







    • नई पेंशन स्कीम (NPS) में कर्मचारी की बेसिक सैलरी+ डीए का 10 फीसद हिस्सा कटता है।



  • एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है। इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।


  • इसमें छह महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान नहीं है।


  • यहां रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती।


  • एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है, इसलिए यहां टैक्स का भी प्रावधान है।


  • इस स्कीम में रिटायरमेंट पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40% निवेश करना होता है।  




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