भोपाल. मध्य प्रदेश के 2 लाख 85 हजार शिक्षक, डेढ़ लाख संविदाकर्मी और 48 हजार स्थाईकर्मी अंशदायी पेंशन (नेशनल पेंशन स्कीम- NPS) की जगह पुरानी पेंशन लागू करने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। राजस्थान सरकार द्वारा पुरानी पेंशन बहाल किए जाने के फैसले से इन्हें बल मिला है। अब कांग्रेस भी साथ खड़ी हो गई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने शिवराज सरकार से एक जून 2005 से पहले की पेंशन व्यवस्था को लागू करने की मांग की है। साथ ही कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो विधानसभा से लेकर सड़क तक संघर्ष किया जाएगा।
राजस्थान ने मांगें मानीं: मध्य प्रदेश की तरह ही राजस्थान में कर्मचारी NPS की जगह पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे थे। वहां अशोक गहलोत (कांग्रेस) सरकार ने पुरानी पेंशन लागू किए जाने की घोषणा कर दी। मध्य प्रदेश में शिक्षक, संविदाकर्मी और स्थाईकर्मी लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं। इसको लेकर मनोकामना यात्रा भी निकाल चुके हैं। अब अप्रैल में बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। इसको लेकर बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया है।
कर्मचारियों का कहना है कि अंशदायी पेंशन में कर्मचारी के मूल वेतन से 10% राशि काटकर पेंशन खाते में जमा कराई जाती है और 14% राशि सरकार मिलाती है। रिटायर होने पर 50% राशि एकमुश्त दे दी जाती है और शेष 50% से पेंशन बनती है। यह राशि 3-4 हजार रु. से ज्यादा नहीं होती। इसकी वजह से कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
ये बोले कांग्रेस के पूर्व मंत्री: कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे कमलेश्वर पटेल ने कहा कि जिस तरह राजस्थान सरकार ने कर्मचारियों के हित में निर्णय लिया है, वैसा ही मध्य प्रदेश सरकार को भी करना चाहिए। इससे महंगाई के इस दौर में रिटायर होने वाले कर्मचारियों को काफी राहत मिलेगी। बजट में सरकार इसकी घोषणा करे। यदि इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया जाता तो पार्टी विधानसभा से लेकर सड़क तक इस मुद्दे को उठाएगी।