BHOPAL. बीजेपी में त्रिदेव फॉर्मूले के बाद बीजेपी संगठन ने नया फरमान जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि सभी सांसद और विधायक अपने क्षेत्र के कमजोर बूथों पर जाएंगे। बूथों पर पहुंचकर सांसद-विधायकों को रजिस्ट्रेशन करवाकर इसकी जानकारी प्रदेश संगठन को भेजनी होगी। इसके बाद ये रिपोर्ट दिल्ली मुख्यालय भेजी जाएगी। स्थानीय चुनावों की समीक्षा के बाद प्रदेश संगठन ने प्रदेश में 3 हजार ऐसे बूथ चिह्नित किए हैं, जहां बीजेपी कमजोर है। 2023 से पहले इन बूथों पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पार्टी संगठन ने अब इसकी जिम्मेदारी सांसद-विधायकों को सौंपी है, जिससे वे अपने खुद के इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर पार्टी का वोट बैंक सुधार सकें।
सी कैटेगरी बूथ पर रहेगा फोकस
राष्ट्रीय संगठन 2024 से पहले हर बूथ की मैदानी स्थिति की समीक्षा करवा रहा है, जिसमें प्रदेश में स्थानीय चुनाव के बाद बूथों की रिपोर्ट भी तैयार हुई। इसमें बूथ को 3 कैटेगरी में बांटा गया। ए कैटेगरी में उन बूथ को रखा गया, जहां बीजेपी का वर्चस्व सालों से बना हुआ है। बी कैटेगरी में उन बूथों को रखा गया, जहां बीजेपी कभी जीतती है तो कभी हारती है। सी कैटेगरी में उन बूथ को रखा गया, जहां बीजेपी का वोट बैंक कमजोर है यानी जहां से बीजेपी कभी जीतती ही नहीं है।
यह रहेगी रणनीति
राष्ट्रीय संगठन की रणनीति है कि सांसद-विधायक अपने क्षेत्र के कमजोर बूथों पर फोकस करें, इसमें बी कैटेगरी वाले बूथों को ए में शामिल करें। वहीं, सी कैटेगरी वाले बूथों को बी में शामिल कराने पर जोर है। यानी प्रदेश में ऐसा कोई बूथ नहीं होना चाहिए, जिसमें बीजेपी की एकतरफा हार हो।
ये करना होगा सांसद-विधायकों को
सांसद-विधायकों को अपने क्षेत्र के कमजोर बूथ पर जाकर उन कारणों को तलाशना होगा, जिनके कारण बीजेपी लगातार हार रही है। इतना ही नहीं, उन हार के कारणों को दूर करने के रास्ते भी तलाशने होंगे। साथ में उन्हें एक रिपोर्ट भी देनी होगी कि आखिर सी कैटेगरी के बूथ को बी कैटेगरी में कैसे लाया जाए। सांसद-विधायकों से कहा गया है कि बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं की सहायता से वे उक्त क्षेत्र के हितग्राहियों से संवाद बनाए रखने का जरिया स्थापित करें, ताकि उनकी बात सुनी जा सके। साथ ही ये पता लगाएं कि सरकार की योजनाओं का लाभ लेने वाले आखिर पार्टी को वोट क्यों नहीं दे रहे हैं।
ये है मध्यप्रदेश बीजेपी का त्रिदेव फॉर्मूला
बीजेपी मिशन 2023 की तैयारी में जुटी है। पार्टी मध्य प्रदेश में भी उत्तर प्रदेश में लागू की गई रणनीति के तहत आगे बढ़ती दिख रही है। संगठन में त्रिदेव फॉर्मूला लागू किया गया है। त्रिदेव यानी बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और BLA (बूथ लेवल एजेंट्स) के जरिए माइक्रो मैनेजमेंट पर फोकस किया जा रहा है। बीजेपी ने इसके लिए 25 हजार साइबर वॉरियर्स की बड़ी फौज तैयार की है। इसके जरिए ना सिर्फ 2023, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी जमीन मजबूत की जाएगी। लेकिन ये त्रिदेव फॉर्मूला निकाय चुनावों में फेल नजर आया। कम वोटिंग के लिए भी त्रिदेवों की निष्क्रियता को जिम्मेदार ठहराया गया। हाल ही में बीजेपी में हुई बैठक में एक बार फिर से बूथ मैनेजमेंट का खाका तैयार किया गया है। त्रिदेव में कसावट लाने के लिए विधायकों और सांसदों को जिम्मेदारी दी जा रही है।