असल काम से दूरी: MP के ऊर्जा मंत्री ने स्कूल में टॉयलेट साफ किया, पहले भी चर्चा में

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असल काम से दूरी: MP के ऊर्जा मंत्री ने स्कूल में टॉयलेट साफ किया, पहले भी चर्चा में

ग्वालियर. मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradhuman Singh Tomar) अपने कामों की वजह से सुर्खियों में बने रहते हैं। इस बार वे ग्वालियर के एक सरकारी स्कूल में टॉयलेट साफ करने पहुंच गए। मंत्री जी ने कहा कि एक लड़की ने मुझसे टॉयलेट में गंदगी को लेकर कहा था, इसके चलते मुझे ये कदम उठाना पड़ा। इसके चलते बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

ये था मामला

प्रद्युम्न सिंह को ऐसा करते (सफाई करते) देखना नया नहीं है। जहां कहीं उन्हें गंदगी की शिकायत मिलती है तो वो सफाई करने जुट जाते हैं। अब उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र हजीरा (ग्वालियर) में जब वो शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय (Govt Girls High School) का निरीक्षण करने पहुंचे तो यहां बच्चों ने बताया कि टॉयलेट गंदे हैं। फिर क्या था, मंत्री ने ब्रश उठाया और सफाई करने लगे। ना तो सफाई अमले को बुलाया, ना ही किसी की जिम्मेदारी तय की।

मंत्री जी की सफाई, पर आंकड़े कुछ और ही कहते हैं

अब मंत्री का काम क्या है वो खुद काम करें या फिर सरकारी महकमे से काम करवाएं। दरअसल, तोमर काम नहीं करवाते, बल्कि खुद करते हैं। लेकिन यहां सवाल है कि इसे तोमर की अच्छी पहल मानी जाए या केवल सस्ती लोकप्रियता? ये सवाल इसलिए, क्योंकि स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 का जो नतीजा रहा है, उसमें ग्वालियर की स्थिति काफी खराब रही। देशभर के शहरों में ग्वालियर 14 वें नंबर से खिसककर 42वें नंबर पर पहुंच गया। ग्वालियर में सफाई पर हर साल 140 करोड़ से ज्यादा खर्च हो रहे हैं। ये पैसा सिर्फ कचरा उठाने और लैंडफिल साइट तक ले जाने पर खर्च किया जाता है। कचरा प्रोसेसिंग पर अलग से पैसा खर्च किया जा रहा है।

इतने कर्मचारी, पर मंत्री जी को कम पड़े

ग्वालियर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में 3075 कर्मचारी हैं, जिसमें 975 नियमित, 1150 विनियमित और 950 ठेके पर हैं। इन सफाई कर्मचारियों के वेतन पर 50 से 60 करोड़ रु. खर्च होते हैं। स्वास्थ्य विभाग में 282 वाहन लगे हुए हैं। इनके संचालन में 60 से 65 करोड़ खर्च होते हैं। रोड स्वीपिंग मशीन समेत बाकी संसाधनों पर भी सालाना 10 करोड़ रु. खर्च होते हैं। शौचालयों के जीर्णोद्धार समेत पुताई और जागरूकता अभियान पर 4 से 5 करोड़ रु. खर्च होते हैं। अब बताइए कि मंत्रीजी के इस सफाई अभियान से क्या फर्क पड़ रहा है?

मंत्री जी का अलग अंदाज

प्रद्युम्न सिंह पहले भी अपने कामों के कारण चर्चा में रहे हैं। एक बार वे ट्रांसफॉर्मर के पोल पर कचरा निकालने के चढ़ गए। बिजली संकट के बीच वे ग्वालियर की सड़कों पर भैंस घुमाते दिखे थे।  

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