हरीश दिवेकर, Indore. प्रदेश के सबसे बड़े हुंडी और एंट्री कारोबारी दरक की 12 से ज्यादा डमी, बोगस कंपनियों के नामों का खुलासा हुआ है। मुंबई की एक कंपनी की चल रही जांच के दौरान आयकर विभाग (Income Tax) के अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इन कंपनियों ने इंदौर में एंट्री देने के लिए सबसे चिर परिचित नाम शरद दरक से लोन लिया और यह रकम ब्याज समेत 4 करोड़ से ज्यादा होती है। जानकारी के मुताबिक, दरक ने कुल 400 करोड़ से ज्यादा के लोन दिए। इसमें भोपाल के असनानी बिल्डर के यहां छापे में 300 करोड़ का मामला सामने आया था।
इनकम टैक्स की रिपोर्ट में 50 से ज्यादा बार दरक का नाम आया और इनमें उसकी फर्जी कंपनियों का नाम भी बताया गया है। दरक का नाम मई 2018 में भोपाल के बिल्डर असनानी ग्रुप के यहां हुए छापे में भी आया था। तब टीम ने दरक के यहां जांच की थी, जिसमें बताया जाता है कि 300 करोड़ से ज्यादा की फर्जी एंट्री देने के दस्तावेज मिले थे। इसके बाद से ही दरक से एंट्री लेने वाले कई बड़े ग्रुप, कंपनियां आयकर विभाग की जांच में शामिल हैं।
परिवार के लोग, दोस्त बने हैं कंपनी के डायरेक्टर
डमी कंपनियां ग्वालियर, कोलकाता, अहमदाबाद, रायपुर से लेकर कई राज्यों के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी (RoC) में रजिस्टर्ड हैं। इसमें दरक के परिजन रोहित दरक, पूजा दरक और अन्य भी मैनेजिंग डायरेक्टर से लेकर डायरेक्टर तक पदों पर है।
ये हैं डमी कंपनियां
मेसर्स जयंत सिक्योरिटी एंड फाइनेंस लिमिटेड, मेसर्स जय ज्योति इंडिया प्रा.लि., मेसर्स ऑक्टागोन मीडिया मीट्रिक्स प्रा.लि., मेसर्स रजबाडी रिटेड ट्रेड सिस्टम प्रा. लि., मेसर्स रणजीत सिक्योरिटीज लिमिटेड, मेसर्स सुजलोन सिक्योरिटी प्रा. लि., मेसर्स ईस्ट वेस्ट इंडिया फिनवेस्ट लिमिटेड, मेसर्स जायका मर्चेंडाइस प्रा.लि. हैं।
नियमों के हवाले और विभाग की अधूरी जांच से कंपनी को मिली राहत
इंदौर निवासी कारोबारी की मुंबई स्थित एक कंपनी को शरद दरक की कंपनियों से 4 करोड़ की एंट्री लेने के बाद आयकर विभाग ने अतिरिक्त टैक्स डिमांड निकाली थी, जिस पर कंपनी ने इंदौर आयकर ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर दलील दी कि दरक की कंपनियां रिटर्न भर रही थीं, क्रेडिट थी और हमने दरक की कंपनियों से केश की जगह लोन लिया, तो फिर इन्हें फर्जी एंट्री से लोन लेना बोलकर विभाग अतिरिक्त टैक्स डिमांड नहीं निकाल सकता। इस तर्क को ट्रिब्यूनल ने सही माना।