छतरपुर. यहां के दो बच्चों को ऑनलाइन फ्री फायर गेम की ऐसी आदत लगी कि वे अपने घर में ही चोरी करने लगे। इन बच्चों की उम्र 12 और 16 साल है। गेम के लिए मोबाइल रिचार्ज कराने के लिए बच्चों ने घर से 20 हजार की चोरी कर ली। एक बच्चे ने मां का सोने का हार और पिता की सोने की चेन चुरा ली। मोबाइल खरीदने के लिए उनका गहने बेचने का प्लान था। परिवारवालों का जब तक पता चला, तब तक बच्चे मोबाइल में 14 हजार का रीचार्ज करा चुके थे।
ऑनलाइन क्लास के दौरान लत लगी: मामला शहर में बुंदेलखंड गैरेज के पास का है। दोनों बच्चे पड़ोसी और दोस्त हैं। कोरोना काल के दौरान दोनों साथ ऑनलाइन क्लास अटेंड करते थे। क्लास के लिए मिले मोबाइल पर फ्री फायर गेम खेलना सीख गए। दोनों को ऑनलाइन गेम की लत ऐसी लगी कि रीचार्ज कराने के लिए अपने-अपने घरों से रुपए चुराना शुरू कर दिए।
जब घर से लगातार रुपए गायब होने लगे तो पेरेंट्स ने मोबाइल में कॉल रिकॉर्डिंग चालू कर दी। रिकॉर्डिंग से ही पता चला कि उनके बच्चे ही पैसे चुरा रहे हैं। 12 साल के लड़के ने सितंबर 2021 में अपने घर से मां का 4 तोले का सोने का हार और पापा की चेन चुराई थी। दोनों अपने-अपने घरों से अब तक 20 हजार रुपए भी चुरा चुके थे।
गेम में ऐसे लगते हैं पैसे: फ्री फायर गेम में 10 मिनट की लड़ाई होती है। यूजर्स को नए-नए हथियार खरीदने का मौका मिलता है। फ्री फायर को दोस्तों के साथ मिलकर खेला जा सकता है। टीम के साथ खेलना यूजर्स को काफी पसंद आता है। गेम खेलने और गेम के लेवल को अपग्रेड करने के लिए पैसे देने पड़ते हैं।
पैसे हारने के तनाव में बच्चे ने की थी खुदकुशी: इससे पहले 30 जुलाई 2020 को छतरपुर के सागर रोड निवासी 13 साल के बच्चे ने फ्री फायर गेम में 40 हजार रुपए हारने के बाद तनाव में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। सागर रोड पर पैथालॉजी संचालित करने वाले विवेक पांडेय की पत्नी प्रीति पांडेय जिला अस्पताल में पदस्थ हैं। दंपती का बेटा कृष्णा भी ऑनलाइन क्लास के दौरान फ्री फायर गेम खेलने का आदी हो गया था। इसी खेल में कई लोग ऑनलाइन शामिल होते हैं। रुपए लगाकर हार-जीत के दांव भी लगाते हैं। कृष्णा ने अपने सुसाइड नोट में 40 हजार रुपए हारने का जिक्र किया था।
बच्चों को टाइम दें: कोतवाली टीआई अनूप यादव ने बताया कि बच्चों को समझाने के बाद पेरेंट्स को मोबाइल बैलेंस में खर्च होने के बाद बची रकम दिलवा दी गई है। जो बच्चे ऑनलाइन गेम खेल रहे हैं, पेरेंट्स को चाहिए कि ऐसे बच्चों को फिजिकल एक्टीविटी के लिए प्रेरित करें। पेरेंट्स को बच्चों के साथ समय बिताने की जरूरत है।