अविनाश नामदेव, विदिशा. यहां लोकायुक्त पुलिस (भोपाल) ने बड़ी कार्रवाई की है। मध्यप्रदेश मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (विदिशा) के प्रभारी महाप्रबंधक (Acting GM) और सुपरिटेंडेंट इंजीनियर (SE) संपूर्णानंद शुक्ला (54) को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा।
ये है मामला: ये कार्रवाई लोकायुक्त भोपाल एसपी के मार्गदर्शन में की गई। गंजबासौदा के जफर कुरैशी ने शिकायत की थी कि उनका वेयरहाउस गंजबासौदा में बन रहा है, जिसमें ट्रांसफार्मर की चार्जिंग परमिशन के लिए बिजली कंपनी (विदिशा) के प्रभारी जीएम ने 15 हजार की रिश्वत मांगी। इस पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत FIR दर्ज की गई।
10 सदस्यीय टीम लिया एक्शन: इंस्पेक्टर रजनी तिवारी के साथ लोकायुक्त की 10 सदस्यों की टीम ने कार्रवाई करते हुए मध्यप्रदेश मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी विदिशा में पदस्थ SE संपूर्णानंद शुक्ला ने एक होटल के मेन गेट पर 15 हजार घूस ली। ये पैसे कुरैशी से लेकर अपने ड्राइवर करण राजपूत को थमा दिए। लोकायुक्त टीम ने उन दोनों को पकड़ लिया। विदिशा के होटल पेट पूजा में देर रात तक कार्रवाई जारी रही।
ये बोले शिकायतकर्ता जफर कुरैशी: हमारे सीएम इतने ईमानदार हैं कि हफ्ते में दो बार विदिशा आ जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे अफसर भी हैं, जो बिना रिश्वत लिए बात नहीं करते। मेरा एक वेयरहाउस गंजबासौदा में बन रहा है। इसमें लाइट लगनी थी। मैंने पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत लाइट लगवाई। इसकी चार्जिंग की परमिशन विदिशा से मिलती है। किसी भी ट्रांसफॉर्मर में बिजली दौड़ाने के लिए भी विदिशा से परमिशन लेनी पड़ती है। मैं सात साल से चक्कर लगा रहा था। ये नए SE साहब आए। मैंने इनसे निवेदन किया। मुझे उन्होंने अकेले में बुलाया। कहा कि मैं राजगढ़ में इसके 30 हजार रुपए लेता था, तुम 15 हजार दे देना। मैंने कहा कि साहब, मेरा एक नंबर का काम है,मैं पैसे क्यों दूं? उन्होंने अभद्र भाषा में कहा कि आप जाइए। मैंने अपना परिचय भी दिया, एमडी साहब का भी बताया तो बोले कि आप एमडी साहब के यहां ही चले जाइए। यही सब लिखकर मैंने 14 तारीख को लोकायुक्त में दिया। उन्होंने एक टीम गठित की। एक टेप रिकॉर्डर दिया। मैं फिर SE साहब के पास आया। इन्होंने फिर पैसे की बात की। योजनानुसार उन्होंने लोकायुक्त टीम से कहा कि मैं (संपूर्णानंद शुक्ला) सिंरोज से लौट रहा हूं, आप फलां होटल के गेट पर मिल जाइए। मैं वहां पहले पहुंच गया था। जब एसई साहब आए तो मैंने कहा कि मैं दो घंटे से खड़ा हूं तो हंस दिए। मैंने पैसे दिए तो जेब में रख लिए। जब लोकायुक्त पुलिस को देखा तो पैसे अपने ड्राइवर करण को दे दिए।