BHOPAL: सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को झटका, ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य प्रोजेक्ट पर MP हाईकोर्ट का स्टे

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Rahul Sharma
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BHOPAL: सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को झटका, ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य प्रोजेक्ट पर MP हाईकोर्ट का स्टे

Bhopal/Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ओंकारेश्वर के ओंकार पर्वत पर आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित किए जाने के मामले में सरकार को झटका देते हुए प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि जबतक याचिका लंबित है तबतक यहां किसी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता। दरअसल जिस ओंकार पर्वत पर प्रतिमा स्थापित की जा रही है और पूरा प्रोजेक्ट डेवलप किया जा रहा है उसे लेकर ओंकारेश्वर के साधु संत और भारत हित रक्षा अभियान का विरोध था और ओंकार पहाड़ी को खत्म करने और धार्मिक आस्थाओं को चोट पहुंचाने का आरोप लगाया जा रहा था, लेकिन सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट होने के चलते ये मामला मीडिया की सुर्खियां नहीं बन रहा था, लेकिन द सूत्र ने इस मामले को उठाया और प्रोजेक्ट को लेकर क्यों हो रहा है विरोध.. प्रोजेक्ट से क्या नुकसान होगा.. इन तमाम पहलुओं को लेकर खबरें बताई थी।



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5 अधिकारियों को नोटिस जारी



लोकहित अभियान समिति की ओर से पीआईएल यानी जनहित याचिका क्रमांक WP 14654/2022 दाखिल की गई थी। जिसकी सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में 8 जुलाई, शुक्रवार को हुई। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता डीके त्रिपाठी ने कहा कि सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मामला लंबित रहने तक प्रोजेक्ट को लेकर किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। साथ ही मामले को लेकर संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव, पुरातत्व मूर्तिकला और संग्रहालय इंदौर के डिप्टी डायरेक्टर सहित खंडवा कलेक्टर, डिवीजनल फोरस्ट आ​फिसर और राजस्व विभाग पुनासा के सब डिवीजनल आफिसर को नोटिस भेजा है।



ओंकार पर्वत का बिगड़ रहा स्वरूप



12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के खण्डवा जिले के ओमकारेश्वर में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग स्वयंभू ओमकार पर्वत पर स्थित है। यही कारण है कि इस जगह का और ज्योतिर्लिंग का नाम ओमकारेश्वर पड़ा। यह पर्वत ओम आकार का है, जिसका श्रद्धालु पूरे भक्तिभाव से परिक्रमा करते हैं। इसी पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के पीछे पहाड़ी के उपर आदिगुरू शंकराचार्य की 108 फीट उंची प्रतिमा स्थापित होना है। जिसके कारण इस पहाड़ी को खोदा जा रहा है। साथ ही ग्रीनरी भी नष्ट कर रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट के कारण पहाड़ी खंडित हो रही है, जिससे धार्मिक मान्यताएं खत्म हो जाएंगी। इसके अलावा द सूत्र ने अपनी सीरीज में पर्यावरण को होने वाले नुकसान के साथ—साथ प्रोजेक्ट को लेकर सरकार ने क्या अजब गजब खेल खेले और नियमों में छेड़छाड़ कर नए नियम बना दिए, सिस्मिक क्लीयरेंस जैसी जरूरी एनओसी नहीं लेने जैसे खुलासे भी किए थे।



पिटीशनर ने माना द सूत्र का आभार



लोकहित अभियान समिति की ओर से जबलपुर हाईकोर्ट पहुंचे अभय जैन और डॉ. सुभाष बरोठ ने द सूत्र के प्रयासों की सराहना की। अभय जैन ने कहा कि द सूत्र की टीम ने ओमकारेश्वर में रहकर सभी पक्षों को गहराई से समझकर पूरे मामले को एक साथ उठाया, जिससे यह लोगों तक पहुंचा और पूरे अभियान को ताकत मिली। जनता का समर्थन मिला। आगे कोर्ट की कार्रवाई में इन तथ्यों से मदद भी मिलेगी। अभय जैन ने इसके लिए द सूत्र का आभार जताया है। बता दें कि द सूत्र ने ओमकारेश्वर जाकर ग्राउंड रिपोर्ट की थी और 30 जून, 1 जुलाई व 4 जुलाई को अपने स्पेशल बुलेटिन सूत्रधार में खबर को प्रमुखता से उठाया था।




  


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