जबलपुर. यहां हाईकोर्ट ने फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) में वैज्ञानिकों-अधिकारियों की नियुक्ति में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 14% रिजर्वेशन देने का अंतरिम आदेश दिया है। याचिका 3750/2022 में ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी गई थी, साथ ही भर्ती में ओबीसी को 27% के स्थान पर केवल 14% आरक्षण लागू करने की बात कही गई थी। 28 फरवरी को चीफ जस्टिस आरवी मलीमठ और जस्टिस डीके पालीवाल ने याचिका पर सुनवाई की।
वकीलों की दी ये दलील: शासन की ओर से नियुक्त विशेष वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक शाह ने दलील दी कि इंद्रा शाहनी मामले में 27% आरक्षण को न्यायसंगत करार दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी 7 जनवरी 2022 को पारित आदेश में 50% आरक्षण की सीमा को अनिवार्य नहीं कहा है। इस (SC के) आदेश में नीट पीजी और यूजी में 27% ओबीसी और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EWS) को 10% आरक्षण मान्य किया गया है।
वकीलों की तरफ से ये भी दलील दी गई कि ओबीसी को 27% यानी देशभर में 59.5% वर्टिकल रिजर्वेशन है। लिहाजा मध्य प्रदेश में 50% आरक्षण की सीमा को आधार बनार आरक्षण को स्थगित नहीं किया जा सकता। अगर ओबीसी का 13% आरक्षण स्टे भी कर दिया जाता है, फिर भी मप्र में 60% वर्टिकल आरक्षण रहेगा। साम्य ( natural justice) के विरुद्ध किसी भी कोर्ट को आदेश पारित करने का अधिकार नही है।
इन तर्कों से सहमत होते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि पूर्व में पारित अंतरिम आदेशो के विरुद्ध शासन ने सुप्रीम कोर्ट में कोई अपील नही की है, इसलिए हाईकोर्ट पूर्व में पारित अंतरिम आदेशों से भिन्न आदेश नही दे सकता। शासन द्वारा नियुक्त विशेष अधिवक्ताओं (रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक शाह) ने महाधिवक्ता को ओबीसी आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट में विशेष मांग याचिका (SLP) दायर करने का सुझाव दिया है।