जबलपुर. यहां हाईकोर्ट ने एक सुनवाई में पीएससी (पब्लिक सर्विस कमीशन) और शासन को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि असंवैधानिक नियमों को क्यों अप्लाई किया गया। 20 दिसंबर 2021 को नियमों को रद्द (Repeal) करने के बाद मेन्स एग्जाम के नतीजों (31 दिसंबर 2021) में ये रद्द नियम लागू किए गए। इस परीक्षा का नतीजा कानूनी पचड़े में फंस सकता है। यदि सरकार की तरफ से कोर्ट को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो, पीएससी 2019 का नतीजा रद्द भी हो सकता है।
हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में है। अब यदि पुराने नियम से रिजल्ट घोषित किया जाता है, तो क्या स्थिति बनेगी। वो आपको बताते है। पुराने नियम के मुताबिक आरक्षण कुछ इस तरह से होगा। एसटी- 20 फीसदी, एससी- 16 फीसदी, ओबीसी- 14 फीसदी और अनारक्षित- 40 फीसदी। इस तरह से आरक्षण होगा 100 फीसदी यानि नुकसान ईडब्लूएस कैटेगरी और ओबीसी की बची हुई 13 फीसदी कैटेगरी को होगा।
ये है मामला: हाईकोर्ट में लंबित 45 याचिकाओं में नियमों की संवैधानिकता और प्रिलिम्स-2019 के घोषित रिजल्ट की वैधता को चुनौती दी गई है। याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने मेन्स एग्जाम के नतीजे घोषित कर दिए। बताया जाता है कि PSC ने संशोधित नियमों को दरकिनार कर मेन्स के नतीजे घोषित कर दिए। अब PSC-2019 की प्रिलिम्स और मेन्स के नतीजे निरस्त (Cancel) हो सकते हैं।
गड़बड़ी कहां हुई: उक्त असंवैधानिक नियमों के तहत कुल आरक्षण 113% था। ये आरक्षित वर्ग (Reserved Category) के प्रतिभावन छात्रों को अनारक्षित/ओपन सीट (Unreserved/Open Seat) पर माइग्रेट करने से रोकते थे। इन नियमों को मध्य प्रदेश शासन को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद 20 दिसंबर 21 को निरस्त करना पड़ा।
याचिकाकर्ताओं के वकील रामेश्वर सिंह ने मीडिया को बताया कि सरकार से कोर्ट ने ये भी कहा कि जब असंवैधानिक रूल थे, तो उनका इंप्लीमेंट क्यों किया। आपको 2019 की परीक्षा में रीवर्क करना चाहिए था। अर्थात् उक्त परीक्षा निरस्त करके संशोधित नियमों के साथ रिजल्ट घोषित करना चाहिए था।
कोर्ट में क्या हुआ: संवैधनिकता को चुनौती देने वाली याचिका क्रमांक 1918/222 की 4 फरवरी 22 को चीफ जस्टिस आरवी मलीमठ और जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य शासन और MPPSC से 2 दिन में जबाब मांगा है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा, रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह और राम भजन लोधी ने पैरवी की। अब अगली सुनवाई 8 फरवरी होगी। अब ये मामला सियासी रूप से तूल पकड़ेगा। इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन इस पूरे मामले में लापरवाही किसकी है। यहां सवाल ये है जिन्होंने लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में डाल दिया है।