राजीव उपाध्याय, JABALPUR. हाईकोर्ट ने पन्ना के कलेक्टर द्वारा चुनाव याचिका जैसे अहम मामले में नियमविरुद्ध तरीके से निर्णय लेने के रवैये पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना भविष्य में उन्हें चुनाव से जुड़े गंभीर मामलों की सुनवाई से अलग रखा जाए? ऐसी सिफारिश क्यों ना केंद्रीय निर्वाचन आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को भी भेजा जाए।
कलेक्टर को इस मामले में व्यक्तिगत रूप से स्पष्टीकरण पेश करने को भी कहा गया है। इसके लिए कलेक्टर मिश्रा को 17 अगस्त को कोर्ट व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने को कहा गया है। आगामी आदेश तक कलेक्टर द्वारा चुनाव याचिका पर दिए फैसले पर रोक लगाई गई है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए ये भी कहा कि कलेक्टर पॉलिटिकल एजेंट की तरह काम कर रहे हैं।
ये था मामला
पन्ना जिले के गुन्नौर जनपद पंचायत से विजयी सदस्य परमानंद शर्मा ने याचिका दायर कर बताया कि 27 जुलाई को उन्हें उपाध्यक्ष पद पर जीता घोषित किया गया और सर्टिफिकेट भी जारी किया गया। कुल 25 में से शर्मा को 13 और राम शिरोमणि मिश्रा को 12 वोट मिले थे। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील मनोज शर्मा, काजी फखरुद्दीन और कमलनाथ नायक ने कोर्ट को बताया कि 27 जुलाई को ही राम शिरोमणि ने कलेक्टर के सामने याचिका पेश की और याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिए बिना उसी दिन निराकरण भी कर दिया।
कलेक्टर ने आदेश दिया कि एक वोट विवादित था, इसलिए 28 जुलाई को लॉट के माध्यम से दोबारा उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा।
वकीलों ने दलील दी कि कलेक्टर का फैसला नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है। आरोप लगाया कि कलेक्टर ने स्वतंत्र रूप से काम नहीं करते हुए सत्ताधारी राजनीतिक दल के एजेंट के रूप में काम किया है, इसलिए उन्हें जिला निर्वाचन अधिकारी के पद से हटाया जाना चाहिए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि यह मामला गंभीर है, इसलिए कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाया जाए और नोटिस भेजा जाए।
JABALPUR: HC ने गुन्नौर जनपद पंचायत मामले में कलेक्टर के फैसले पर रोक लगाई, कहा- अफसर पॉलिटिकल एजेंट जैसे काम कर रहे
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राजीव उपाध्याय, JABALPUR. हाईकोर्ट ने पन्ना के कलेक्टर द्वारा चुनाव याचिका जैसे अहम मामले में नियमविरुद्ध तरीके से निर्णय लेने के रवैये पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना भविष्य में उन्हें चुनाव से जुड़े गंभीर मामलों की सुनवाई से अलग रखा जाए? ऐसी सिफारिश क्यों ना केंद्रीय निर्वाचन आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को भी भेजा जाए।
कलेक्टर को इस मामले में व्यक्तिगत रूप से स्पष्टीकरण पेश करने को भी कहा गया है। इसके लिए कलेक्टर मिश्रा को 17 अगस्त को कोर्ट व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने को कहा गया है। आगामी आदेश तक कलेक्टर द्वारा चुनाव याचिका पर दिए फैसले पर रोक लगाई गई है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए ये भी कहा कि कलेक्टर पॉलिटिकल एजेंट की तरह काम कर रहे हैं।
ये था मामला
पन्ना जिले के गुन्नौर जनपद पंचायत से विजयी सदस्य परमानंद शर्मा ने याचिका दायर कर बताया कि 27 जुलाई को उन्हें उपाध्यक्ष पद पर जीता घोषित किया गया और सर्टिफिकेट भी जारी किया गया। कुल 25 में से शर्मा को 13 और राम शिरोमणि मिश्रा को 12 वोट मिले थे। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील मनोज शर्मा, काजी फखरुद्दीन और कमलनाथ नायक ने कोर्ट को बताया कि 27 जुलाई को ही राम शिरोमणि ने कलेक्टर के सामने याचिका पेश की और याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिए बिना उसी दिन निराकरण भी कर दिया।
कलेक्टर ने आदेश दिया कि एक वोट विवादित था, इसलिए 28 जुलाई को लॉट के माध्यम से दोबारा उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा।
वकीलों ने दलील दी कि कलेक्टर का फैसला नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है। आरोप लगाया कि कलेक्टर ने स्वतंत्र रूप से काम नहीं करते हुए सत्ताधारी राजनीतिक दल के एजेंट के रूप में काम किया है, इसलिए उन्हें जिला निर्वाचन अधिकारी के पद से हटाया जाना चाहिए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि यह मामला गंभीर है, इसलिए कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाया जाए और नोटिस भेजा जाए।