जबलपुर. जबलपुर में बड़ा जमावड़ा होने जा रहा है। यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों जोर आजमाइश करते दिखेंगे। बीजेपी आदिवासी सम्मेलन का आयोजन कर रही है, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत तमाम प्रदेश बीजेपी के सारे दिग्गज मौजूद रहेंगे। वहीं, कांग्रेस की ओर से भी पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया समेत अन्य लोग शामिल होंगे। बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा 16 सितंबर से ही जबलपुर में डेरा डाले हुए हैं।
यह है कार्यक्रम
जबलपुर पहुंचकर शाह सबसे पहले आदिवासी राजा शंकरशाह-कुंवर रघुनाथ शाह के स्मारक स्थल जाकर प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। इसके बाद गैरिसन ग्राउंड में आदिवासी सम्मेलन में शामिल होंगे। यहां से गृह मंत्री प्रदेश बीजेपी द्वारा शुरू किए जा रहे जनजातीय समाज जोड़ो अभियान की शुरुआत करेंगे। यह अभियान आदिवासी महानायक बिरसा मुंडा के जन्मदिवस 15 नवंबर तक चलेगा। यहां एक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। इसमें आदिवासी समाज के वीर क्रांतिकारियों के बारे में जानकारी होगी।
उज्ज्वला योजना-2 भी शुरू होगी
अमित शाह मध्य प्रदेश में उज्ज्वला योजना-2 की शुरुआत भी करेंगे। इसके लिए वेटरनरी कॉलेज में कार्यक्रम तय किया गया है। यहां से वे लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक राकेश सिंह के घर भोजन करने जाएंगे। इसके बाद शहीद स्मारक गोलबाजार में पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करेंगे। पार्टी की ओर से इस सम्मेलन में महाकौशल क्षेत्र के अधिकतर प्रमुख नेता, विधायक, आदिवासी विधायक, सांसद शामिल होंगे।
कांग्रेस का भी कार्यक्रम
उधर, कांग्रेस ने भी बलिदान दिवस कार्यक्रम की तैयारी की है। इसमें दिग्विजय सिंह, आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया, उनके बेटे और युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया समेत कई आदिवासी नेता, विधायक शामिल होंगे। कांग्रेस का कार्यक्रम गृहमंत्री के कार्यक्रम के बाद होगा।
मप्र में आदिवासी मुद्दा अभी चरम पर
2023 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। सत्ताधारी बीजेपी (BJP) और कांग्रेस दोनों की ही आदिवासियों घेरने की कवायद कर रहे हैं। 6 सितंबर को कमलनाथ बड़वानी के दौरे पर गए थे। आदिवासी बहुल बड़वानी, धार, अलीराजपुर (मालवा-निमाड़) को जय युवा आदिवासी संगठन (JYAS- जयस) का गढ़ माना जाता है। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। सामान्य वर्ग की 31 सीटों पर भी आदिवासी समुदाय निर्णायक भूमिका में हैं। 2003 के पहले आदिवासी वोट बैंक परंपरागत रूप से कांग्रेस का माना जाता था। बीजेपी ने इसमें सेंध लगा दी और आदिवासी कांग्रेस से छिटक गए। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 47 आदिवासी सीटों में से 30 सीटें झटक लीं, बीजेपी को 16 सीटों से संतोष करना पड़ा।