BHOPAL. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देश के बाद अब राज्य सरकार (State Govt.) जेल मेन्युअल (Jail Manual) में बदलाव करने जा रही है। 11 साल बाद ये बदलाव किया जा रहा है। खासतौर पर ये बदलाव आजीवन कारावास या उम्रकैद की सजा को लेकर है। गंभीर किस्म के अपराध में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को अंतिम सांस तक जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा। अभी उम्र कैद सजा भोग रहे अपराधी 14 साल में छूट जाते हैं। इसके लिए सरकार ने एक कमेटी बनाई है जो सजा के इन नियमों में बदलाव का खाका खींच रही है। 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को जेल मेन्युअल में इस तरह के बदलाव के निर्देश दिए थे।
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कमेटी कर रही ये विचार
सरकार ने जेल मेन्युअल में बदलाव के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। इस कमेटी में एसीएस (ACS),जेल, प्रमुख सचिव कानून विभाग (Principal Secretary, Law Department) और डीजीपी (DGP) को शामिल किया गया है। ये कमेटी जेल मेन्युअल में बदलाव का प्रस्ताव तैयार कर रही है। सरकार की मंजूरी मिलने के बाद यह प्रस्ताव अस्तित्व में आएगा। कमेटी जो विचार कर रही है उसमें मध्य प्रदेश में जेल की सजा की छूट आजीवन कारावास के प्रत्येक दोषी पर समान रूप से लागू नहीं होगी। अपराध की प्रकृति के आधार पर यह तय किया जाएगा कि किसी व्यक्ति को चौदह साल या आजीवन कारावास की सजा काटकर रिहा किया जा सकता है या दोषी को जीवन भर जेल में रहना पड़ेगा।
इन अपराधों के कैदियों को आजीवन कारावास
सरकार उन अपराधों को चिन्हित करेगी जिसके तहत आजीवन कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति को अंतिम सांस तक सलाखों के पीछे रहना पड़ता है। यदि राष्ट्रपति, केंद्र सरकार या राज्यपाल (Governor) को भेजी गई दया याचिका स्वीकार कर ली जाती है, तो भी दोषी व्यक्ति को जीवन भर जेल में रहना पड़ेगा। इन गंभीर अपराधों में लड़की के बलात्कार के बाद हत्या, सरकारी कर्मचारी की हत्या, आतंकवादी कृत्य और नशीले पदार्थों का व्यापार शामिल है।
अपराधियों में पैदा होगा खौफ
जेल विभाग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक जनवरी 2012 के बाद अब जेल मेन्युअल में बदलाव हो रहा है। ग्यारह साल बाद राज्य में आजीवन कारावास के नियमों में बदलाव होगा। इसका मकसद बाल बलात्कार या संगठित प्रतिबंधित व्यापार जैसे जघन्य अपराध की हिम्मत करने वालों के मन में खौफ पैदा करना है।
अच्छे आचरण वालों को मिलेंगे चार मौके
नई नीति में कैदियों को उनके अच्छे आचरण पर रिहाई के लिए मौजूदा दो अवसरों के स्थान पर चार मौके मिलेंगे। अभी स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर कैदियों को रिहा किया जाता है। दो अन्य अवसरों को तय करने पर यह कमेटी फैसला लेगी। राज्य सरकार ने मृत्युदंड और छूट पर अन्य राज्यों के नियमों का अध्ययन किया है। अधिकारियों ने कहा कि सीमावर्ती राज्य उत्तर प्रदेश में उम्रकैद की सजा पाने वाले व्यक्ति को कम से कम 60 साल की उम्र तक जेल में रहना होगा। कॉन्ट्रैक्ट किलर, डकैती में हत्या, सरकार के खिलाफ काम और आतंकवाद के कृत्यों में दोषी लोगों को भी आजीवन दोषी पाए जाने पर कोई ढील नहीं मिलेगी।
प्रदेश की जेल में बंद इस तरह के 10 हजार कैदी
एनसीआरबी की 2020 की रिपोर्ट में प्रदेश की जेलों में इस तरह के जघन्य अपराधों की सजा काट रहे 10396 कैदी हैं। इनमें 6108 कैदी हजार तो हत्या के दोषी हैं। 2944 अपराधी महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराधों की सजा काट रहे हैं। इनके अलावा नशे के सौदागर और राजद्रोह या आतंकवाद के कृत्यों को अंजाम देने वाले अपराधी शामिल हैं।