गिर्राज शर्मा, मुरैना. यहां की अंबाह जेल में पैसों के लिए कैदियों को मारपीट कर धमकाया जाता है, इसका खुलासा जेल से जमानत पर छूटे एक कैदी किया है। इस कैदी ने अपना वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर किया है। इस कैदी का कहना है कि जेल में उनसे पैसे लिए जाते हैं। जो कैदी पैसा नहीं देता, उसके साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया जाता है। कैदी ने इसकी शिकायत मानवाधिकार आयोग से लेकर गृह और जेल मंत्रालय तक से की है। इस शिकायत के बाद खलबली मची हुई है तथा जेल प्रबंधन सफाई देता घूम रहा है।
ये है मामला: पोरसा तहसील के फूटपुरा गांव में रहने वाला लाला उर्फ मोहन तोमर हाल ही में जमानत पर अंबाह जेल से बाहर आया। मोहन एक साल से ज्यादा समय से अंबाह जेल में बंद था। शिकायत में मोहन ने बताया कि जेल में पदस्थ जेल अधीक्षक अनिरुद्ध नरवरिया, प्रहरी रामशंकर कोरकु, प्रहरी रामप्रताप सिंह भदोरिया और मुख्य प्रहरी शिरोमणि सिंह ने कई बार उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। मारपीट की गई, पैसे मांगने पर टॉर्चर किया गया।
पैसे नहीं देने पर जान से मारने की धमकी: मोहन के मुताबिक, कैदियों से पैसे मांगे जाते हैं। मैं विचाराधीन कैदी था, जब मुझसे पैसे मांगे गए, नहीं दिए तो मारपीट की गई, मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। परेशान होकर पैसे देने के लिए कई बार कर्ज लिया। जब मैं पैसे नहीं देता तो मुझे जान से मारने की धमकी दी जाती थी। जेल में बंद एक कैदी ने कई बार सोचा कि आत्महत्या कर लूं, हिम्मत नहीं हुई। हर दिन खाना खाने से पहले डर लगता था कि कुछ हो ना जाए।
मोहन ने शिकायत पत्र में बताया कि जो भी अपराध किए हैं, कोर्ट मुझे जो भी सजा देगा, मुझे मंजूर होगी। लेकिन जेल में मेरे मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है, जान पर संकट है। प्रहरी रामशंकर कोरकु जेल का रसूखदार सिपाही है, मेरी जान कभी भी जा सकती है। जेलर ने चार महीने पहले कैदी मोहन से इन्वर्टर की बैटरी की मांग भी की गई थी। मोहन ने अपने परिजन से कहकर जेलर को इन्वर्टर की बैटरी दिलवाई। इसके बाद मोहन के परिजन ने बताया कि जेलर ने 10 हजार की मांग की जा रही थी, जब पैसों की मांग पूरी नहीं की तो मोहन का मुरैना जिला जेल में ट्रांसफर करवा दिया गया।
पैसा देकर जेल में मिलते हैं मोबाइल: मोहन तोमर ने इस बात का भी खुलासा किया है कि जेल में मौजूद कैदी को मोबाइल और अन्य सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। अभी अम्बाह जेल में मोहन के पास 4 से 5 मोबाइल हैं। मोहन के मुताबिक, जेल में मोटी रकम देकर कैदी को सुविधाएं मिल रही है।
मोहन ने बाहर आने के बाद बताया कि बैटरी के लिए दस हजार का भुगतान फोन पे के जरिए किया था। ये बैटरी (बिल क्रमांक 1936) 13 नवंबर 2021 को दुकानदार रामदास बैटरी (अंबाह) वाले से खरीदी थी।
जेल में हर सुविधा का पैसा: मोहन तोमर ने मानवाधिकार आयोग को लिखे पत्र में बताया है कि जेल में बंद कैदियों को हर सुविधा लेने के लिए पैसा देना पड़ता है। अच्छा खाना चाहिए तो उसका पैसा, कोई सामान बाहर से मंगाना हो तो उसका अलग से पैसा लगता है। बीमार होने पर जेलर इलाज नहीं कराते। जो कैदी शिकायत करते हैं, जेलर डंडे से उनकी बेरहमी से पिटाई करता है।
जेल प्रहरी 10 साल से एक ही जेल में: प्रहरी रामशंकर कोरकु, प्रहरी रामप्रताप सिंह भदौरिया और मुख्य प्रहरी शिरोमणि सिंह 10 साल से अंबाह जेल में पदस्थ हैं। पहले भी इनकी कई बार शिकायत हो चुकी है, लेकिन ना ही इनका ट्रांसफर किया जाता है, ना इनके खिलाफ कोई कार्रवाई होती ,है क्योंकि ये लोग जेल में पैसा वसूली का काम करते है।