बुरहानपुर (गोपाल देवकर). मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों राजगढ़ में राशन की कालाबाजारी की शिकायत मिलने पर एक फूड इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया था। साथ ही हिदायत दी थी कि राशन की कालाबाजारी बर्दाश्त नहीं की जाएगी, लेकिन बदस्तूर जारी है। इसकी बानगी बुरहानपुर के नेपानगर में देखने को मिली। यहां ग्रामीणों ने ही कालाबाजारी को पकड़ा।
कालाबाजारी का वीडियो वायरल: अनाज की ब्लैक मार्केटिंग का ये वीडियो वायरल हो गया है। वीडियो सरकारी उचित मूल्य (राशन) की दुकान से अनाज की कालाबाजारी का जीता जागता सबूत है। ये वीडियो आमुल्ला खुर्द गांव का बताया जा रहा है, जहां कुछ युवक गरीबों में बांटे जाने वाली राशन की बोरियों को बाइक पर रखकर ले जा रहे थे, तभी ग्रामीणों ने इस पर आपत्ति जताई। वीडियो में दुकान संचालिका करुणा कहती दिख रही हैं कि अनाज आदिवासी हॉस्टल में ले जाया जा रहा है, लेकिन कहानी कुछ और निकली।
सच्चाई कुछ और निकली: वीडियो में देखा जा सकता है कि ग्रामीणों की दुकान की संचालिका से बहस भी होती है और बाद में युवक राशन को वापस दुकान में रखकर चले जाते हैं। जब मामले की सच्चाई का पता लगाया तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। दुकान संचालिका जिस आदिवासी हॉस्टल में अनाज पहुंचाने का दावा कर रही थी, उसके सुपरिंटेंडेंट राधेश्याम आस्ते का दावा है कि उन्होंने किसी को अनाज लेने नहीं भेजा था। हॉस्टल का दाना-पानी तो एक हफ्ते पहले ही लिया जा चुका है।
ग्रामीणों का आरोप है कि इस उचित मूल्य की दुकान से लगातार कालाबाजारी होती रही है। हालांकि इस मसले पर जब संचालिका से पूछा कि अनाज कहां जा रहा था, तो वो गोलमोल जवाब देने लगी।
जिम्मेदार बेखबर: साफ है कि कालाबाजारी हो रही है, लेकिन इस पर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है। कई बार शिकायत के बाद भी कार्रवाई ना होना साबित करता है कि चाहे सीएम के निर्देश हों या फिर अधिकारियों के, इससे फर्क नहीं पड़ता।