REWA: औसत से आधी भी नहीं हुई बारिश, खरीफ की फसल चौपट, उमस के कारण मरीजों से भरे अस्पताल

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The Sootr CG
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REWA: औसत से आधी भी नहीं हुई बारिश, खरीफ की फसल चौपट, उमस के कारण मरीजों से भरे अस्पताल

अविनाश तिवारी, REWA. एक ओर जहां आधा मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) अतिवृष्टि (heavy rain) से बहा जा रहा है, वहीं विंध्य (Vindhya) के किसान बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। विंध्य के बघेलखंड (Baghelkhand) और बुंदेलखंड (Bundelkhand) दोनों हिस्सों का यही हाल है। उमस और गर्मी से बीमारियां (diseases) बढ़ रही हैं। सरकारी अस्पतालों (government hospital) का हाल यह की मरीजों को फर्श पर भी जगह नहीं मिल रही है। जनप्रतिनिधि अभी स्थानीय निकाय के चुनावों की खुमारी से नहीं उबरे तो सरकार ने भी अब तक सूखे (Drought) की स्थिति का आंकलन करने कोई पहल नहीं की है।



औसत से आधी भी नहीं हुई बारिश



रीवा संभाग (Rewa Division) के दो दिन पहले तक के आंकड़े हैं। पिछले साल इस अवधि तक 633.7 मिमी औसत बारिश दर्ज की गई थी। उसके मुकाबले अब तक महज 311.4 मिमी वर्षा हुई है। सीधी जिले की स्थिति अत्यंत खराब है, यहां महज 287.9 मिमी. ही पानी गिरा। रीवा में 296.4 मिमी, सिंगरौली (Singrauli) में 299.5 मिमी वर्षा दर्ज की गई। यहां धान की आधे से भी कम बोहनी हुई, जो धान रोपी गई है, वह भी सूखने की स्थिति में है। हालात यह हैं कि भरे सावन में फसल बचाने के लिए किसान (Farmer) ट्यूबवेल के पानी का सहारा ले रहे हैं।



आधे से भी कम हो पाई धान की बोहनी



यद्यपि कृषि वैज्ञानिक यह दिलासा दे रहे हैं कि निकट भविष्य में बारिश पानी की भरपाई पूरी कर देगी। लेकिन हाल यह है कि खेतों में बूंद भर पानी कहीं नहीं टिका है। रीवा जिले का उदाहरण लें तो यहां खरीफ की बोहनी का लक्ष्य 384070 हेक्टेयर रखा गया था, जिसमें 211290 हेक्टेयर में बोहनी नहीं हो पाई। पिछले कई सालों से कम बारिश में भी पैदा होने वाले मोटे अनाजों की खेती सिमटकर 15 से 20 प्रतिशत हुई। पहले किसान सोयाबीन की ओर आकर्षित हुए। अब सोयाबीन की खेती भी सिमट गई। अच्छे समर्थन दाम की लालच में किसानों ने धान की खेती शुरू की। पानी ही धान का प्राण है लेकिन इस वर्ष सूखा है।



न सूखे का आकलन, न राहत की बात



सूबे के नेताओं में अभी चुनाव की खुमारी ही नहीं उतर पा रही है। सभी व्यस्त और मस्त हैं। अब तक में सिर्फ मऊगंज के पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता सुखेन्द्र सिंह बन्ना ने सूखे की स्थिति को लेकर मुद्दा उठाया है। रीवा कलेक्टर से बात करके जिले की स्थिति का आकलन करने व सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की। सरकार की ओर से अभी तक ऐसी कोई पहल नजर नहीं आ रही, जिससे पता चले कि वह बघेलखंड और बुंदेलखंड के लगभग 15 जिलों की स्थिति को लेकर गंभीर है।



बीमारी बढ़ी, अस्पतालों में जगह नहीं



कोरोना संकट के बीच बीमारियां बढ़ रही हैं। भीषण उमस और गर्मी में त्वचा, सांस, डायरिया, वायरल फीवर के मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। विंध्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसजीएमएच, जीएमएच के मेडिकल और चाइल्ड वार्ड ओवर क्राउडेड हैं। मरीजों को फर्श पर भी जगह नहीं मिल पा रही। निजी अस्पताल सामान्य लोगों की पहुंच से बाहर हैं। एसजीएमएच के उप अधीक्षक डॉ.यत्नेश त्रिपाठी स्वीकार कहते हैं कि उमसभरी गर्मी के कारण अस्पताल में मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है। मेडिसिन, चाइल्ड और चर्मरोग विभाग में ज्यादा मरीज भर्ती हो रहे हैं।



सरकारी अधिकारियों ने ये कहा



कृषि विकास अधिकारी बृज किशोर तिवारी का कहना है कि अभी तक कम बारिश के कारण खरीफ फसलों का क्षेत्र ज्यादा प्रभावित हुआ है। संभाग स्तर पर धान की बोहनी 71 प्रतिशत हुई है। ज्वार की 94 प्रतिशत, मक्का की 99.9 प्रतिशत, अरहर की 96 प्रतिशत मूंग की 95 प्रतिशत और उड़द की 94 प्रतिशत बुआई हुई है। पानी की स्थिति को देखते हुए नहरों से पानी दिया जा रहा है। पिछले सालों की अपेक्षा 56 प्रतिशत कम बारिश हुई है। जबकि सरकार के दूसरे आंकड़े इस बात को पूरी तरह से नकार रहे हैं।


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