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BHOPAL. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट (One District, One Product) यानी एक जिला एक उत्पाद योजना फेल हो चुकी है। एक बार फिर सरकार और सिस्टम की नाकामी, अधिकारियों की लापरवाही, उदासीनता और गैरजिम्मेदाराना रवैए के कारण किसान (Farmer) और आम आदमी परेशान हो रहा है। केंद्र सरकार की 10 हजार करोड़ की योजना मध्यप्रदेश में जमीन में उतर ही नहीं पाई। हाल ही में रतलाम के किसानों ने भोपाल-इंदौर हाईवे पर पार्वती नदी (Parvati River) में लहसुन (Garlic) की बोरियां बहा दीं और देवास (Dewas) में लहसुन की शवयात्रा तक निकाली गई। सरकार की इसी अतिमहत्वाकांक्षी योजना पर आधारित द सूत्र की खास रिपोर्ट...
एक दशक पहले भी लहसुन के थे यही हाल
एक दशक पहले यानी 2012-13 में भी लहसुन की कीमतें इसी तरह गिरी थीं। तब भी लहसुन फेंका गया था। 1998 में प्याज की वजह से सरकार गिर गई थी। हर साल कोई न कोई फसल किसानों को रुलाती है। किसानों को फसल का उचित दाम मिले और बंपर उत्पादन होने पर उसका मैनेजमेंट भी हो सके इसलिए केंद्र सरकार (Central Government) ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडेक्ट योजना लागू की थी, जिसका मध्यप्रदेश में मैदानी स्तर पर कोई अमल नहीं हुआ।
क्या है वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट योजना
एक जिला एक उत्पाद योजना क्या है और इसका मकसद क्या था? मकसद यह था कि किसी जिले के एक खास प्रोडेक्ट को देश और दुनिया में पहचान मिल सके। मप्र में योजना की शुरुआत 2018 में हुई थी। तब हर जिले ने अपना उत्पाद चुना था। रतलाम और मंदसौर (Ratlam, Mandsaur) ने एक जिला एक उत्पाद के तौर पर लहसुन को चुना था और सरकार की इन्हीं जिलों के किसान लहसुन क्यों फेंक रहे हैं क्योंकि ये योजना जमीन पर उतरी ही नहीं।
योजना को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं
मामले को लेकर द सूत्र ने रतलाम कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की। उन्हें वॉट्सऐप पर मैसेज भी किए, लेकिन 48 घंटे बाद भी उनका कोई रिएक्शन नहीं आया। यही हाल मंदसौर कलेक्टर गौतम सिंह का रहा। वहीं, डिप्टी डायरेक्टर (हॉर्टीकल्चर, उद्यानिकी) पीएस कनेर ने अपने अधीनस्थों को जिम्मेदारी और टारगेट सौंपने की बात कहकर औपचारिकता पूरी कर ली।
ये कहते हैं किसान और किसान नेता
किसान नेता राजेश पुरोहित ने कहा कि अधिकारी योजना के बारे में जनता को जागरूक ही नहीं करते। किसान सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं और अधिकारियों को किसानों की समस्या से कोई मतलब नहीं है। इसी तरह किसान समृद्ध पाटीदार कहते हैं कि उन्हें आधिकारिक तौर पर कृषि विभाग के अधिकारियों ने ओडीओपी योजना के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। यही वजह है कि लहसुन की इतनी अच्छी फसल होने के बावजूद किसान घाटे में हैं।
(रतलाम से आमीन हुसैन और मंदसौर से कमलेश सारडा की रिपोर्ट)