भोपाल. बीजेपी (BJP) के जनजातीय गौरव सम्मेलन (Janjatiya Gaurav Sammelan) कराने के बाद से मध्य प्रदेश की सियासत में आदिवासी (Adivasi) केंद्र में हैं। अब कांग्रेस को भी आदिवासी वोट बैंक साधने की फिक्र है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 24 नवंबर को अनुसूचित जनजाति विधायकों (ST MLAs) की बैठक बुलाई है। साथ ही 22 जिलों के 89 ट्राइबल ब्लॉक के पदाधिकारियों को भी बुलाया गया है। इस दौरान पंचायत चुनाव की तैयारियों को लेकर रणनीति (Strategy) बनाई जाएगी।
बीजेपी के कार्यक्रम में पीएम आए, कांग्रेस भी नई जुगत में
BJP ने आदिवासी समुदाय को जोड़ने के लिए भोपाल में 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अपनी ताकत दिखा चुकी है। इसी दिन कांग्रेस ने भी जबलपुर में सम्मेलन किया था, लेकिन आदिवासियों की कम संख्या के चलते बीजेपी ने कमलनाथ पर तंज कसा था। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जनजातीय समुदाय को जोड़े रखने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बैठक में इसकी रूपरेखा बनाई जाएगी। इसके पहले सितंबर में पार्टी आदिवासी क्षेत्रों में काम करने वाले विभिन्न संगठनों को एक मंच पर लाने लिए सम्मेलन कर चुकी है।
इसलिए हो रही कवायद
आदिवासी बहुल इलाके में 84 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 84 में से 34 सीट पर जीत मिली थी। वहीं, 2013 में इस इलाके में 59 सीटों पर बीजेपी जीती। 2018 में पार्टी को 25 सीटों पर नुकसान हुआ। वहीं, जिन सीटों पर आदिवासी उम्मीदवारों की जीत और हार तय करते हैं, वहां बीजेपी को 16 सीटों पर ही जीत मिली। 2013 की तुलना में 18 सीट कम है। अब सरकार आदिवासी जनाधार को वापस बीजेपी के पाले में लाने की कोशिश में जुटी है। उधर, कांग्रेस भी आदिवासियों को पक्ष में कर सत्ता में आने की जुगत में है।
कमलनाथ के आरोप पर शिवराज का पलटवार
कमलनाथ ने बीजेपी के जनजातीय सम्मेलन को लेकर कहा कि शिवराज सिंह चौहान को 18 साल बाद आदिवासी याद आ रहे हैं, पहले इन्हें कभी आदिवासी याद नहीं आए। सीएम शिवराज को अपने 17 सालों का आदिवासियों के लिए किए गए कामकाज का हिसाब देना चाहिए। इस पर शिवराज ने कहा कि कांग्रेस के कार्यक्रम में कोई नहीं आया, तो वे हिसाब मांग रहे हैं।