भोपाल. आखिरकार शिवराज सरकार ने ग्वालियर-चंबल की बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन कर केंद्र सरकार को फाइनल रिपोर्ट भेज दी है। 140 पेज की इस रिपोर्ट के मुताबिक, बाढ़ से 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही केंद्र मध्यप्रदेश को राहत पैकेज मुहैया कराए। साथ ही राज्य आपदा राहत कोष की पेंडिंग 728 करोड़ रु. की दूसरी किस्त जारी करने का अनुरोध भी किया है।
9 जिलों में बाढ़ से नुकसान
प्रदेश के 9 जिलों में बाढ़ से खासा नुकसान हुआ है। ग्वालियर-चंबल संभाग के श्योपुर, मुरैना, भिंड, दतिया, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना और अशोकनगर के अलावा विदिशा में बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। इसमें 1.14 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र की फसल चौपट हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें सोयाबीन, मक्का, मूंग, धान, बाजरा और मूंगफली की फसल खराब होने से किसानों को 577 करोड़ रु. का नुकसान हुआ है। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि का योगदान 29% है।
सरकार पैसे दे रही, पर बहुतों तक नहीं पहुंच रही
अगस्त में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में आई बाढ़ ने तबाही मचा दी थी। हालात सामान्य हो रहे हैं, लेकिन लोग सरकारी राहत मिलने का इंतजार कर रहे हैं। शिवराज सरकार ने प्रभावित परिवारों को वैकल्पिक आवास के लिए फिलहाल 6-6 हजार रुपए देने का निर्णय लिया है। हालांकि, ज्यादातर लोगों तक यह राहत नहीं पहुंच पाई है। सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रावधानों के अनुसार आवास बनाने के लिए 1.20 लाख रुपए देने का ऐलान भी किया है। केंद्रीय जांच दल की रिपोर्ट के मुताबिक, 62 हजार से ज्यादा मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसमें से 35 हजार ऐसे पक्के और कच्चे मकान हैं, जो अब रहने लायक ही नहीं हैं।
बाढ़ में 8 हजार से ज्यादा खंभे टूटे
बाढ़ की चपेट में आए अभी भी कई गांव ऐसे हैं, जहां पूरी तरह से बिजली बहाल नहीं हो पाई है। रिपोर्ट में कहा गया है, 9 जिलों के 1,228 गांवों में बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई थी। 8, 473 बिजली के पोल टूट गए, जबकि 3, 453 ट्रांसफार्मर को नुकसान पहुंचा। 1874 किलोमीटर सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं।
बचाव कार्य में 10 करोड़ खर्च
राज्य सरकार ने राहत और बचाव कार्य पर 10 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने का दावा किया है। इसके अलावा राहत शिविर, खाने की सामग्री, कपड़े और दवाओं पर एक करोड़ 63 लाख रुपए खर्च होना बताया है। रिपोर्ट में बताया कि सभी जिलों में प्रशासन ने 226 राहत शिविर स्थापित कर 9 हजार से ज्यादा लोगों को यहां रखा गया।