भोपाल: Surrogacy परोपकार है या पैसे कमाने का जरिया, इस पर एक कमेटी नजर रखेगी

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Atul Tiwari
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भोपाल: Surrogacy परोपकार है या पैसे कमाने का जरिया, इस पर एक कमेटी नजर रखेगी

Bhopal. अब सरोगेसी से मां बनने वाली महिलाओं को ये साबित करना होगा कि उन्होंने परोपकार के लिए ये काम किया है या फिर पैसा कमाने के लिए अपनी कोख किराए पर दी हैं इसके लिए राज्य सरकार ने हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। कमेटी IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) और उन स्वास्थ्य संस्थानों पर नजर रखेंगी, जो सरोगेट मदर बनाती हैं।



केंद्र सरकार लाई थी सरोगेसी बिल



केंद्र सरकार ने सरोगेसी (रेगुलेशन) बिल 2021 पारित किया था। उसके बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सरोगेसी मदर के लिए कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे, ताकि पैसे वाले लोग गरीब महिलाओं की कोख किराए पर लेकर उनका शोषण न कर सकें। उल्लेखनीय है कि सरोगेसी (रेगुलेशन) बिल दिसंबर 2021 में केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया लेकर आए थे। उन्होंने सरोगेट मदर के शोषण होने की बात रखी थी। उन्होंने कहा था कि यह बिल कमर्शियल सरोगेसी पर रोक लागाता है, लेकिन परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है। ऐसे में विदेशी कपल भारत आएंगे और सरोगेट मदर की कोख किराए पर लेकर बच्चा वापस ले जाएंगे। मंडाविया के मुताबिक, अविवाहित महिलाएं आर्थिक तंगी के चलते अपनी कोख किराए पर देती हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। आंध्र प्रदेश में 74 साल की बुजुर्ग महिला ने दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था। यह स्वास्थ्य और नैतिकता के लिहाज से गलत है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में IVF सेंटर्स खुले हैं, जो अनियमित ढंग से सरोगेसी को अंजाम दे रहे हैं।



प्रियंका चोपड़ा भी सरोगेसी मदर बनी



बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा सरोगेसी के जरिए मां बनी हैं। बीते कुछ सालों में बॉलीवुड की तमाम बड़ी हस्तियों ने बच्चे की चाह में सरोगेसी का रास्ता अपनाया है, लेकिन भारत में अब इसकी प्रक्रिया आसान नहीं रह गई है। सरोगेसी पर देश में बने सख्त कानून ने इसे पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण बना  दिया है।



भारत में पहली टेस्ट टयूब बेबी 1978 में जन्मी 



 भारत में टेस्ट ट्यूब से जन्मे पहले बच्चे का नाम कनुप्रिया, था जिसका जन्म 3 अक्टूबर 1978 को हुआ था। तबसे भारत में IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) और सरोगेसी का चलन है। 



10 लाख का जुर्माना, 8 साल की सजा



सरोगेट मदर के लिए सरकार ने 36 महीने का बीमा अनिवार्य किया है, ताकि बच्चे को जन्म देने के बाद शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों में ख्याल रखा जा सके। इसके अलावा शोषण को रोकने के लिए सजा भी निर्धारित की गई है। सरोगेट मदर के साथ किसी अनैतिक व्यवहार के लिए 5-10 लाख का जुर्माना देना पड़ सकता है। ये गलती दोबारा करने पर 10-20 लाख का जुर्माना या आठ साल के लिए जेल भी हो सकती है।

 


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