हरीश दिवेकर। मध्य प्रदेश में 2023 (विधानसभा चुनाव) की तैयारियों का घोड़ा सरपट दौड़ रहा है। 4 दिसंबर यानी शनिवार को पंचायत चुनाव का ऐलान भी हो गया। राजनीति के केंद्र में आदिवासी सतत बने हुए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज ने इसका पूरा बीड़ा संभाल रखा है। बीते हफ्ते भी राजनीतिक गलियारों में कई बातें सुलगती रहीं। कुछ सामने दिखीं तो किसी पर पर्दे के पीछे चर्चाएं रहीं। ‘महाराज‘ ने ‘राजा’ के इलाके में दौरा कर लिया...। एक मंत्री की पेशानी पर बल पड़ रहे हैं। वजह एक अफसर हैं। कोरोना का नया वैरिएंट लॉन्च हो चुका है, पर राजनेताओं को कोई फिक्र नहीं है। CM और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष चमकाने की जिम्मेदारी ‘जुगल-जोड़ी’ संभाल रही है। कई खबरें हैं, बस आप सीधे अंदर उतर जाइए....
राजा के गढ़ में महाराज
दिग्विजय सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान क्या छेड़ा, उन्हें घेरने की तैयारी शुरू हो गई। इसकी जिम्मेदारी दी गई ज्योतिरादित्य सिंधिया को। महाराज ने राजा के गृह क्षेत्र राघौगढ़ पहुंचकर दिग्गी के करीबी कांग्रेस नेता हीरेन्द्र सिंह को बीजेपी की सदस्यता दिला दी। इतना ही नहीं, ‘महाराज’ ने कहा कि अब मैं राघौगढ़ बार-बार आऊंगा। क्षेत्र में चर्चा है कि अब राजा के घर में महाराज ने सेंधमारी की है। अंदरखाने की माने तो महाराज ने राजा को कमजोर करने की रणनीति बनाई है। बताया जाता है कि 2023 से पहले दिग्विजय के कुछ खास सिपहसलार महाराज के खेमे में आ सकते हैं। बहरहाल ये तो समय बताएगा कि राजा, महाराज को मात दे पाते हैं या फिर महाराज बाजी पलटेंगे।
पॉवरफुल मंत्री कमिश्नर से परेशान...
मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले पॉवरफुल मंत्री....अरे अपने ठाकुर साहब इस दिनों अपने आयुक्त से खासे परेशान हैं। कमिश्नर मंत्री के सामने तो सारी बातों के लिए हां कर देते हैं, लेकिन फाइलों पर निर्णय उलट होता है। शुरू-शुरू में मंत्री ने कमिश्नर से टयूनिंग बैठाने की काफी कोशिश की, लेकिन साहब हैं कि मानने को तैयार ही नहीं। मंत्री ने अपने स्वभाव के अनुसार धीरे से मुख्यमंत्री को कमिश्नर के काम-काज को लेकर इशारा भी किया, लेकिन कमिश्नर का बाल-बांका भी नहीं हुआ। अंदरखानों की मानें तो कमिश्नर को मंत्रालय के बड़े साहब का वरदहस्त हासिल है। यही वजह है कि मंत्री चाहकर भी कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे। मंत्री जी इसलिए भी शांत हैं, क्योंकि बाहर उनका आवरण पॉवरफुल मंत्री के तौर पर बना हुआ है, ऐसे में कमिश्नर की मनमानी की बात फैलेगी तो मंत्री की छवि पर सीधा असर आएगा।
चेले ने चलता कर दिया
इंदौर नगर बीजेपी के एक बड़े पदाधिकारी ने शहर के अच्छे-अच्छे नेताओं को चलता कर दिया है। कांग्रेस की बाल संस्था से नेतागिरी की शुरुआत करने वाले इन नेताजी ने समय को पहचाना और कुछ साल पहले बीजेपी के धुरंधर नेता की ब्रिग्रेड में शामिल हो गए। सालों तक उनके इशारों पर हल्ला-गुल्ला करते रहे। जैसे ही बड़ी कुर्सी मिली, ऐसा रंग बदला कि पूरी बीजेपी ही भौंचक है। कभी ये जिनके इंतजार में खड़े रहते थे, अब वो इनके दरवाजे पर इंतजार कर रहे हैं। अपने धुरंधर उस्ताद के साथ तो फिर भी नजर और जुबान संभालकर बात करते हैं, लेकिन बाकी भाजपाइयों को तो ऐसा ठिकाने लगाया है कि उन्हें कहीं ठिकाना ही नहीं मिल रहा। बाकी काम भोपाल की हरी झंडी ने पूरा कर दिया है। चेले को भोपाल में कुछ अस्थायी उस्ताद मिल गए हैं, जिन्होंने कह दिया है रफ्तार कम नहीं करना। जिसे जहां रवाना कर सकते हो, कर दो। ये अलग बात है कि ठिकाने लगा दिए गए नेता भी वक्त का इंतजार कर रहे हैं। ‘कुर्सी ही तो है, कभी तो डोलेगी। उसके बाद इन्हें कहीं ठौर नहीं मिलना...’ ऐसा कहने वाले कह रहे हैं, पता नहीं नेताजी समझ रहे हैं या नहीं।
भैया के हाथों...
इंदौरी भैया भले ही मंत्री बन गए हों, लेकिन उनका पूरा ध्यान अपनी जन्म और कर्म स्थली पर रहता है। हालांकि प्रभारी नहीं हैं, लेकिन कोई हफ्ता ऐसा नही जाता, जब किसी न किसी अफसर बिरादरी को लेकर बैठते नहीं हों। वैसे गांव की सीट से विधायक हैं, लेकिन केवल गांव की राजनीति करते तो सारी धमक पटवारी, तहसीलदार और एसडीओपी पर अटक जाती। लेकिन फायदा यह है कि उनकी विधानसभा की तकरीबन आधा लाख की आबादी शहर में रहती है। बस, यहीं से भैया को शहर में हलचल करने का मौका मिल जाता है। अपने क्षेत्र के शहरी मोहल्ले में किसी की चेन भी चोरी हो जाए तो तुरंत पुलिस अफसरों को मीटिंग कॉल कर लेते हैं। अपराध रोकिए। काफी चेन चोरी हो रही हैं। सड़क पर पानी बह निकले तो निगम वालों को लेकर बैठ जाते हैं। जो काम पार्षद और पंच को करना चाहिए, उसके लिए भैया मीटिंग कर डालते हैं। अब ये अलग से नहीं बताएंगे कि चेन-पानी के चक्कर में बाकी और क्या-क्या आदेश अफसरों को मिल जाते होंगे।
क्या राजनीतिक कार्यक्रमों से डरता है कोरोना?
आईएएस अफसरों की मीट निरस्त होने के बाद युवा आईएएस अफसरों के सोशल मीडिया ग्रुप पर एक सवाल दौड़ रहा है। क्या राजनीतिक कार्यक्रमों से डरता है कोरोना....। दरअसल, युवा अफसर ग्रुप में लिख रहे हैं कि आईएएस एसोसिएशन मीट के आयोजन में तो 500—600 लोगों की उपस्थिति होनी थी, लेकिन टंट्या मामा के कार्यक्रम में तो एक लाख से ज्यादा लोग बुलाए गए। उन्हें बसों में भरकर हम लोगों ने ही भेजा। अब पंचायत चुनाव की भी घोषणा हो गई। क्या इससे कोरोना नहीं फैलेगा...? क्या आईएएस मीट में ही कोरोना आने का डर था। वैसे देखा जाए तो इनका सवाल जायज भी है, लेकिन ये भी उतना ही सच है कि समरथ को नहीं दोष गुसांई। हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग आयुक्त बीपी सिंह ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि आईएएस मीट कोरोना के डर से निरस्त नहीं हुई, उसके दूसरे कारण हैं। हालांकि वो पत्रकारों को दूसरा कारण नहीं बता पाए।
सत्ता-संगठन के मीडिया सिस्टम पर भारी ‘जुगलजोड़ी’
प्रदेश में सत्ता और संगठन के मीडिया सिस्टम पर दो युवा सतेन्द्र खरे और जुगल किशोर शर्मा भारी पड़ते दिख रहे हैं। दोनों पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं। मुख्यमंत्री के ओएसडी सतेन्द्र जहां शिवराज सिंह का पूरा मीडिया कॉर्डिनेशन संभाल रहे हैं, वहीं जुगल प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का पीआर देख रहे हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री का चेहरा चमकाने की जिम्मेदारी जनसंपर्क विभाग की होती है। विभाग में भारी-भरकम अमला भी पदस्थ है। वहीं, दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष की छवि बनाने की जिम्मेदारी बीजेपी मीडिया सेल की होती है। लेकिन यहां मामला दूसरा है। सीएम और प्रदेश अध्यक्ष दोनों को अपने मीडिया सिस्टम से ज्यादा इन युवाओं पर भरोसा है। मुख्यमंत्री पन्ना में खुले मंच से इस बात को स्वीकार भी कर चुके हैं। उन्होंने सतेन्द्र की तारीफ करते हुए कहा था कि ये अकेला जनसंपर्क के बराबर काम करता है। मजेदार बात ये है कि जनसंपर्क ने 6 महीने पहले सीएम की छवि चमकाने के नाम पर एक निजी कंपनी को भी करोड़ों का ठेका दिया गया। इन सबके चलते अब सत्ता-संगठन की छवि चमकाने का दावा करने वाले जनसंपर्क के अधिकारियों और बीजेपी मीडिया सेल के पदाधिकारियों की काबिलियत पर सवाल खड़ा हो रहा है।
भा गई मंत्री की टीवी...
प्रदेश के बड़े पत्रकार साहब को मंत्री की टीवी भा गई। मंत्री के डाइनिंग हॉल में लगी बड़ी टीवी के पत्रकार साहब ने कसीदे क्या पढ़े, मंत्री जी ने पत्रकार साहब का मन रखने के लिए कहा कि आपके यहां भी ऐसा टीवी भिजवा देते हैं। फिर क्या था, मौका देख पत्रकार जी ने चौका मारते हुए कहा कि आप अपने लिए दूसरी टीवी मंगवा लेना, मेरे यहां तो यही टीवी भेज दिजिए। अब मंत्री के पास बचने का कोई रास्ता नहीं था, अपने चिर परिचित अंदाज में मुस्कराते हुए उन्होंने अपने स्टाफ को टीवी पत्रकार साहब के घर भेजने के निर्देश दे दिए। हम आपकी जानकारी के लिए बता दें ये पत्रकार साहब नेशनल टीवी चैनल से जुड़े हुए हैं।
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