MP: नगरीय निकाय के पहले चरण ने चौंकाया, बेहद कम रहा मतदान; BJP को क्या कार्यकर्ताओं की नाराजगी पड़ी भारी ?

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The Sootr CG
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MP: नगरीय निकाय के पहले चरण ने चौंकाया, बेहद कम रहा मतदान; BJP को क्या कार्यकर्ताओं की नाराजगी पड़ी भारी ?

BHOPAL. 17 साल से ज्यादा लंबे वक्त से सत्ता का स्वाद चख रहे बीजेपी के नेताओं की नींद उड़ चुकी है। नींद उड़ने के साथ ही ये सपना भी टूट कर चूर हो चुका है कि सिर्फ अपने आलीशान हवादार बंगलों में बैठकर, बाहर कार्यकर्ताओं को घंटो इंतजार कराते हुए, वो एक बार फिर कुर्सी पर काबिज हो सकते हैं। नगरीय निकाय चुनाव के एक चरण ने ही उनके इस गुमान को धो डाला है। नगरीय निकाय चुनाव के एक चरण ने ऐसा डरावना ट्रेलर दिखा दिया है कि 2023 बीजेपी के लिए किसी हॉरर फिल्म से कम नजर नहीं आता। पहले चरण का मत प्रतिशत सामने आने के बाद बीजेपी को ये तो समझ आ ही गया होगा कि सिर्फ बड़े-बड़े स्लोगन गढ़ने से कार्यकर्ता कमरों से बाहर नहीं निकलता। धूप में निकलकर पसीना बहाते हुए घर-घर तब नापता है, जब मंत्री से लेकर विधायक तक में उसकी सुनवाई होती है।



वोटिंग परसेंटेज ने बीजेपी की नींद उड़ाई



माननीयों के पास इन कार्यकर्ताओं के लिए समय ही कहां बचा है। जिन कार्यकर्ताओं को बीजेपी देवतुल्य होने की बात कह रही है, वो देवता न जाने कितनी बार मंत्रियों के दर से खाली हाथ ही लौटते रहें। हद तो तब हो गई जब अपने काम में डूबे नेताजी कार्यकर्ताओं को ये बताना ही भूल गए कि चुनाव में आगे कैसे बढ़ना है। नतीजा साफ नजर आ रहा है। पहले ही चरण में मतदाता बूथ तक पहंचा ही नहीं। वोटर पर्ची बांटने में इतनी गलतियां हुईं कि एक ही परिवार के लोगों को अलग-अलग बूथ पर जाकर वोट देने पड़े। इसका नतीजा ये हुआ कि भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहर और दिग्गज नेताओं से भरापूरा ग्वालियर भी वोटिंग परसेंटेज के मामले में बीजेपी की नींद उड़ा रहा है। नींद अब तक नहीं उड़ी है तो उड़ जानी चाहिए। कम से कम चुनाव आयोग की दो टूक सुनने के बाद। जिसके पास बीजेपी नेता रोते रोते पहुंचे थे।



निकाय चुनाव में कम हुआ मतदान 



बीजेपी नेता मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत चुनाव आयोग में करने के लिए पहुंचे थे। लेकिन गलतियों का ठीकरा आयोग के सिर फोड़ पाते उससे पहले ही राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह ने ये याद दिला दिया कि प्रदेश में सरकार आपकी ही है। शिकायत करने का खामियाजा तो भुगतना ही होगा। मध्य प्रदेश के ग्यारह नगर निगम में हुए चुनाव में सबसे ज्यादा छिंदवाड़ा और बुरहानपुर में 68 फीसदी मतदान हुआ। सबसे कम ग्वालियर नगर निगम में 49 फीसदी मतदान हुआ। भोपाल में तो हद ही हो गई। यहां सिर्फ 51 फीसदी लोग मतदान करने निकले, जो पिछले चुनाव के मुकाबले 4.2  कम रहा। भोपाल में 51, इंदौर में 60, जबलपुर 60, ग्वालियर 49, उज्जैन 59, सागर 60, सतना 63, सिंगरौली 52, छिंदवाड़ा 68, खंडवा 55, बुरहानपुर में 68 फीसदी मतदान हुआ। 



बीजेपी में प्रत्याशी नहीं संगठन चुनाव लड़ता है



बीजेपी और कांग्रेस में चुनाव लड़ने में जमीनी फर्क है। जब कांग्रेस में किसी प्रत्याशी को टिकिट मिलता है तो ये साफ हो जाता है कि चुनावी मैदान में डटे रहने और जीत हासिल करने की जिम्मेदारी उसे ही उठानी है। लेकिन बीजेपी में ऐसा नहीं होता। दुनियाभर की बड़ी राजनीतिक पार्टियों में शामिल होने के लिए बीजेपी ने अपने संगठन को बेहद मजबूत किया है। इसलिए कहा जाता है कि बीजेपी में प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ता, बल्कि पूरा संगठन चुनाव लड़ता है। जिसकी सबसे छोटी और मजबूत इकाई है कार्यकर्ता। जिन्हें पहले पन्ना प्रभारी कहा गया। इस नए पद पर बीजेपी इस कदर इठलाई कि खुद बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि वो अपने बूथ के पन्ना प्रभारी हैं। लेकिन बूथ के जो हाल दिखे उसे देखकर लगता है कि किसी प्रभारी ने पन्ने पलटाए ही नहीं। इसके बाद नया नाम आया त्रिदेव। तीन अलग-अलग स्तर के नेताओं को मिलाकर नाम बना त्रिदेव। लेकिन ये त्रिदेव भी अपनी पार्टी से रूठे ही नजर आए। या त्रिदेवों को भी अपने आकाओं की तरह ही बंद कमरों में बैठकर राजनीतिक गपशप करने से वक्त नहीं मिला। और धूप में तप कर वो  घर घर जाना ही भूल गया।

बीजेपी के लिए ये स्थिति इस चिंताजनक है क्योंकि विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। अगर कार्यकर्ता इसी तरह उदासीन रहा तो बूथ की तस्वीर उतनी ही फीकी हो सकती है जितनी इस बार नजर आई है।

 


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