भोपाल. ब्यूरोक्रेट्स (Bureaucrats) को नेताओं की चप्पल उठाने वाला बताने वालीं मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) के सुर बदल गए हैं। 20 सितंबर को विवादास्पद बयान देने के एक दिन बाद यानी 21 सितंबर को कई ट्वीट्स किए। इसमें उन्होंने ब्यूरोक्रेट्स के पक्ष में खड़ी दिखीं। उमा ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी पर बोली असंयत भाषा पर मैंने आत्मग्लानि अनुभव की और उसे व्यक्त भी किया, किंतु मेरे भाव बिलकुल सही थे। ब्यूरोक्रेट्स शासन के अधिकारी, कर्मचारी और जनता के सेवक हैं, वे किसी राजनीतिक दल (Political Party) के घरेलू नौकर नही हैं।
हम ब्यूरोक्रेसी का सम्मान करते रहेंगे
उमा ने लिखा- भारतीय लोकतंत्र में ब्यूरोक्रेसी का सम्मान, उपयोगिता एवं योगदान बना रहे इस पर स्वयं ब्यूरोक्रेसी को सजग रहना होगा, राजनीतिक दल में काम करने वाले मेरे जैसे लोग ईमानदार एवं नियम के पालन में व्यावहारिक ब्यूरोक्रेसी का सम्मान करते रहेंगे।
18-A) मैं देश की सभी पुराने एवं नये ब्यूरोक्रेसी से 3 अपील करूँगी- (1) आपको अपने पूर्वजों, माता पिता, ईश्वर की कृपा एवं अपनी योग्यता से यह स्थान मिला है, भ्रष्ट अफसर एवं निक्कमे सत्तारूढ़ नेताओ के गठजोड़ से हमेशा दूर रहिये।
— Uma Bharti (@umasribharti) September 21, 2021
मध्य प्रदेश के अधिकारियों का साथ मिला
उमा ने ट्वीट किया- मैं स्वयं अटलजी के साथ जब 36 साल की थी तब से केंद्र में 6 साल तक मंत्री रही फिर मुख्यमंत्री बनी, फिर मोदी जी के साथ फिर दोबारा 5 साल मंत्री रही।
16-B) सब प्रकार के अधिकारियों से वास्ता पड़ा किन्तु ईमानदार एवं नियम पालन करने में पूरे देश विशेषकर मध्यप्रदेश के ब्यूरोक्रेट की व्यावहारिक संगत मुझे मिली तथा उनके प्रति सम्मान की अमिट छाप मेरे हृदय में है।
— Uma Bharti (@umasribharti) September 21, 2021
मुझ पर हमेशा ईश्वर की कृपा रही
उमा के मुताबिक, ऐसी बातें लोकतंत्र के लिए घातक हैं, क्योंकि प्रशासनिक सेवा के लोगों को नियम से बंधना है तथा जो जनता के वोट से चुनाव जीत के सत्ता में आया है, उसकी नीतियों का क्रियान्वयन करना है, किन्तु सत्तारूढ़ दल की राजनीति साधने का कार्यकर्ता नहीं बनना है। मुझे इससे भी कोई परेशानी नहीं थी, क्योंकि ईश्वर एवं पब्लिक की कृपा मुझ पर हमेशा रही है। मैं तो हमेशा बादशाह हूं या हमेशा फकीर हूं।
12-A) मेरे लिए तो यह हँसी एवं अचरज की बात थी क्योंकि तिरंगे के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ते ही मैं पूर्व मुख्यमंत्री हो गयी थी किन्तु मेरे पार्टी से बाहर निकाले जाते ही अधिकारियों की रंगत ही बदल गयी।
— Uma Bharti (@umasribharti) September 21, 2021
सीएम पद से हटने के बाद रेस्ट हाउस में कमरा मिलना मुश्किल हो गया
उमा बताती हैं- बिहार से आते ही मुझे पार्टी से निकाल दिया गया। गौर जी भी हट गये। फिर तो मुझे मध्यप्रदेश में किसी रेस्ट हाउस में कमरा मिलना भी मुश्किल हो गया। प्रशासनिक अधिकारी तो मेरी छाया से भागने लगे। बिहार की सत्ता पलट गयी, मैं नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद की शपथ के बाद लौटी, मध्य प्रदेश में गौर जी मुख्यमंत्री थे किन्तु मेरे घर पर लगभग सभी अधिकारियों की भीड़ लगी रहती थी, इससे मुझे शर्मिंदगी होती थी।
लालू अपना पीकदान अधिकारी को थमा देते थे
उमा ने लिखा- लालू यादव जी ने मेरे ही सामने अपने पीकदान में ही थूका और उस वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के हाथ में थमाकर उसको खिड़की के बग़ल में नीचे रखने को कहा और उस अधिकारी ने ऐसा कर भी दिया।
9-A) इसलिये 2005-06 में जब मुझे बिहार का प्रभारी बनाया गया और बिहार के पिछड़ेपन के साथ मैंने पीकदान को भी मुद्दा बनाया एवं पूरे बिहार के प्रशासनिक अधिकारियों से अपील की आज आप इनका पीकदान उठाते हो, कल हमारा भी उठाना पड़ेगा।
— Uma Bharti (@umasribharti) September 21, 2021