MP: सिवनी 'मॉब लिंचिंग' मामले में वीडी शर्मा का शिवराज सरकार को चैलेंज!

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Shivasheesh Tiwari
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MP: सिवनी 'मॉब लिंचिंग' मामले में वीडी शर्मा का शिवराज सरकार को चैलेंज!

Bhopal. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की सियासत में ये बड़ा सवाल बन चुका है कि बीजेपी (BJP) के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma) मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के लिए ढाल बनेंगे या फिर उनकी परेशानी। सिवनी में हुई आदिवासियों की हत्या के मामले के बाद ये सवाल तूल पकड़ रहा है। इस घटना के बाद से ही बीजेपी गाय और आदिवासियों के बीच उलझी हुई है। चुनाव से पहले आदिवासी वोटर्स को रिझाने में लगी बीजेपी की कोशिशों को इस घटना से काफी नुकसान होने का अंदेशा है। यही वजह रही कि घटना के बाद बीजेपी तुरंत हरकत में आई। आदिवासी (Tribal) वोट्स के मामले में बीजेपी भले ही मात खाने से बच जाए। लेकिन सत्ता और संगठन की अलग-अलग चाल से अब सियासी गलियारों में कुछ नए सवाल उठ खड़े हुए हैं। सवाल ये हैं कि क्या वीडी शर्मा सरकार पर हावी होने की कोशिश में हैं। आमतौर पर ऐसी घटनाएं होने के बाद जो चाल विपक्ष चलता है वीडी शर्मा ने उसी तर्ज पर बड़ा एक्शन लिया है। उनकी बनाई कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंप भी चुकी है, जो सरकारी तंत्र पर ही सवाल खड़े कर रही है।



आदिवासी कहां जाएंगे



गोकशी के आरोप में दो आदिवासियों का बेरहमी से कत्ल होता है। सिवनी में हुई इस घटना को सुनकर लोगों को रोंगटे खड़े हो गए। मामला गाय और आदिवासी दोनों से जुड़ा है। तो, जाहिर है पॉलीटिकल माइलेज लेने का खेल शुरू होना ही था। और, हुआ भी। पॉलीटिकल पार्टी खासतौर से बीजेपी के लिए गाय जितनी जरूरी है, उतने ही जरूरी आदिवासी भी हैं। इस वर्ग के वोटर्स को लुभाने के लिए ही तो प्रदेश में आदिवासी जनजातीय गौरव दिवस तक मनाया गया। जिसके लिए खुद पीएम नरेंद्र मोदी राजधानी भोपाल तक आए। उसी प्रदेश में दो आदिवासियों को पीट पीट कर मारने का आरोप है। आरोप लगा है बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर, जो हिंदूवादी संगठन माना जाता है। इस लिहाज से घटना पर सियासी खेल खेलने का मौका कांग्रेस को भरपूर मिला। इस मौके को भुनाने में कांग्रेस ने कोई कसर छोड़ी भी नहीं। विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया नेशनल हाइवे पर धरना देकर बैठ गए। कांग्रेस ने बिना वक्त गंवाए एक जांच कमेटी भी बना डाली। नवनियुक्त नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह की अध्यक्षता में सांसद नकुलनाथ, पूर्व मंत्री तरुण भनोत, कमेटी को सिवनी जांच के लिए भेजा। स्थानीय विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया भी वहां मौजूद रहे। वहां, उन्होंने पीड़ित परिवारों से चर्चा की और बाद में मांग की कि बीजेपी सरकार की जांच एजेंसियों पर विश्वास नहीं है, इसलिए न्यायिक जांच की मांग की।



बीडी और शिवराज साथ साथ नहीं



विपक्ष में बैठी कांग्रेस का ये कदम उचित है। आमतौर पर ऐसी घटनाओं में विपक्ष ऐसे ही फैसले करता है। पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग करता है। इंसाफ की गुहार लगाता है। इन सबके बीच सबसे ज्यादा चौंकाया बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के एक फैसले ने। इस दर्दनाक घटना पर जिस कार्रवाई को वीडी शर्मा ने अंजाम दिया। उससे विपक्ष को एक मौका और मिल गया। ये सवाल भी उठने लगे कि क्या मध्यप्रदेश की सत्ता औऱ संगठन साथ साथ हैं या नहीं। इतना ही काफी नहीं था कि अब कमेटी की जो रिपोर्ट आई है, वो भी शिवराज सरकार के तहत काम कर रहे प्रशासनिक अधिकारियों की गलती की तरफ इशारा करती है। 



कमेटी की रिपोर्ट चौंकाने वाली है



कांग्रेस ने घटना पर जांच कमेटी बनाई, ये ठीक है। वीडी शर्मा ने भी वही किया जो कांग्रेस ने किया। वीडी शर्मा ने भी इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई। उस प्रदेश में जहां डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से बीजेपी की ही सरकार है। वहां विपक्ष की तरह एक जांच कमेटी बनाकर जांच कराने का क्या मकसद है। क्या अपनी ही सरकार की जांच करवाकर वीडी शर्मा शिवराज सिंह चौहान को चैलेंज दे रहे हैं या फिर सरकार पर लगे दाग को मिटाने का कोई नया तरीका अख्तियार कर रहे हैं। वीडी शर्मा, शिवराज सरकार को बचाने की कोशिश में है या डुबोने की। क्योंकि कमेटी की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। जिसके बाद अब सरकार अपने मुलाजिमों पर कार्रवाई करने पर बाध्य हो सकती है। सरकार के लिए स्थिति आगे कुआं पीछे खाई वाली है। कार्रवाई की तो अपने ही तंत्र की गलती मानना पड़ेगी और अगर नहीं की तो अपनी ही पार्टी की रिपोर्ट पर सवाल खड़े करने होंगे।



बीजेपी की जांच कमेटी



कुछ ही दिन पहले बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक हुई है। इस बैठक में संगठन के सत्ता पर हावी होने की खबर है। बैठक हर दो माह में होगी और संगठन की रिपोर्ट भी देखी जाएगी। कुछ ही दिन पहले हम न्यूज स्ट्राइक में ये बता चुके हैं कि अब शिवराज की सत्ता का रिमोट वीडी शर्मा के हाथ में हो सकता है। सिवनी की घटना के बाद क्या वीडी शर्मा उसी रिमोट की ताकत दिखाने पर अमादा हैं। इस कमेटी में पार्टी के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धुर्वे, सांसद गजेंद्र पटेल, बीजेपी अनुसूचित जाति जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष कल सिंह भावर, उपाध्यक्ष नत्थन शाह, सांसद दुर्गादास उईके और विधायक हरिशंकर खटीक शामिल हैं। जो वीडी शर्मा को अपनी रिपोर्ट सौंप चुके हैं। रिपोर्ट के मुताबिक प्रशासन ने पूरी घटना को ठीक से हैंडल नहीं किया इसलिए ऐसी गलतियां हुईं। ये रिपोर्ट अब सीएम को सौंपी जाएगी। कार्रवाई हुई तो जिले के कलेक्टर औऱ एसपी दोनों बदलने के आसार हैं।



इंतजार सरकार के फैसले का 



वीडी शर्मा का मकसद चाहें जो हो, फिलहाल उन्होंने कांग्रेस को इस मुद्दे को हवा देने का और मौका दे दिया है। विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस इस मामले पर कमेटी बनाकर जांच के लिए भेज ही चुकी थी। विपक्ष की तर्ज पर सत्ताधारी दल के प्रदेशाध्यक्ष ने जांच क्यों करवाई ये सवाल उठना तो लाजमी थे ही। कांग्रेस ने इसे सत्ता और सरकार के बीच चौड़ी हो रही खाई भी करार दे दिया। दोनों ही दलों की जांच कमेटी घटनास्थल का मुआयना कर लौट चुकी हैं। अपनी रिपोर्ट भी सौंप चुकी हैं। इंतजार सरकार के फैसले का है। 



आदिवासियों से हमदर्दी 



कांग्रेस की रिपोर्ट में सरकार पर निशाना साधा गया होगा। ये समझा जा सकता है। लेकिन बीजेपी की रिपोर्ट में भी सरकार को और उसके तंत्र को ही दोषी ठहराया गया है, जो उस वक्त मौके पर मौजूद था। क्या बीजेपी ये समझ चुकी है कि कांग्रेस के सवाल उठाने से पहले खुद पार्टी ही कार्रवाई करे। जिसके बाद कांग्रेस को क्रेडिट जाने से बेहतर घटना के दोषियों को सजा देने का क्रेडिट खुद पार्टी लेले। और आदिवासियों की हमदर्द बन जाए। ये संभव है कि इस रिपोर्ट पर नया पॉलीटिकल ड्रामा शुरू हो। इस ड्रामे का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस को तगड़ी रणनीति तैयार करनी होगी।




 


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