मप्र बना माताओं की मौत में हाई रिस्क जोन

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Anjali Singh
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मप्र बना माताओं की मौत में हाई रिस्क जोन

भोपाल. रुचि वर्मा. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में मध्यप्रदेश तीन साल से अव्वल होने का अवार्ड ले रहा है, लेकिन कागजों से उतरकर जमीन पर सच्चाई देखें तो प्रदेश माताओं की मौत में भी तीसरे नंबर पर है। हालात ये हैं कि मध्यप्रदेश मातृ मृत्युदर में हाई रिस्क जोन बन गया है। प्रदेश में महिलाओं का कुपोषण दूर कर शिशु मृत्यु दर (IMR) और मातृ मृत्यु दर (MMR) नियंत्रित करने की के लिए चलाई जा रही PM नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री मातृ वंदना स्कीम में MP पिछले 3 साल 2018-2019, 2019-2020 और 2020-21 से लगातार नंबर वन आ रहा है। प्रदेश को यह पहला स्थान योजना के सफल और बेहतर क्रियान्वयन के लिए दिया जा रहा है। लेकिन हमारे पास मौजूद आंकड़े और शिकायती मामले योजना के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े कर रहे हैं। असलियत समझिये द सूत्र की ग्राउंड रिपोर्ट में।





8 महीनों में 17000 से ज्यादा गर्भवती माताएं मातृ वंदना योजना के लाभ से वंचित  



राज्य में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना को लेकर पिछले 8 महीनों में जन सुनवाई, जिला स्तरीय कॉल सेंटर, MP समाधान, CPGRAM और CM हेल्पलाइन स्तर पर करीब 17 हजार से ज्यादा (17980) गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं ने शिकायतें दर्ज कराई हैं। यह शिकायतें 1 जुलाई 2021 से 10 अप्रैल 2022 तक के समय के दौरान की गई। ध्यान देने वाली बात यह है कि महिला एवं बाल विकास के पास आई कुल 32416 शिकायतों में से आधे से ज्यादा शिकायतें प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना को लेकर ही की गई हैं।





शिवपुरी जिले की हालत सबसे ख़राब



शिवपुरी जिले में योजना की हालत सबसे ख़राब है। यहाँ पर 1383 गर्भवती महिलाओं को यह शिकायत है कि उन्हें योजना का लाभ समय पर ना मिलने से दिक्कत हो रही है। इसके बाद  भिंड 736, विदिशा 709, सागर 697 और मुरैना 678 का नंबर आता है। यही नहीं, वे जिले जिनको 2020-21 में योजना में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए CM शिवराज सिंह ने राज्य की टीम को बधाई दी थी वह भी कुछ ख़ास अच्छा नहीं कर रहे हैं। इनमें जिलों में शामिल हैं छिंदवाड़ा, सीहोर और शहडोल। छिंदवाड़ा से 425 गर्भवती महिलाओं ने शिकायत की है तो सीहोर से 391 और शहडोल से 275 ने। इनमें सीहोर सीएम का गृह जिला है।





शिकायत करने वाले टॉप 10 जिले



शिवपुरी 1383, भिंड 736, विदिशा 709, सागर 697,मुरैना 678, अशोक नगर 645, रीवा 644, राजगढ़ 605, ग्वालियर 562, दमोह 529





बड़े शहरों में शहरी क्षेत्रों में PMMVY की स्थिति



भोपाल 396, उज्जैन 353, जबलपुर 306, इंदौर 277





माताओं की मौत में तीसरे नंबर पर मध्यप्रदेश



प्रदेश में हर 100000 जीवित जन्म पर 163 माताओं की मौत हो रही है। यह हाल तब है जब राज्य का MMR यानी की मातृ मृत्यु दर 163 (वर्ष 2017-19) है। यह दर राष्ट्रीय मातृ मृत्यु दर 103 से भी ज्यादा है। इसमें सिर्फ असम ( 205) और उत्तर प्रदेश (167) ही MP से आगे हैं यानी कि MMR में मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है। यह मातृ मृत्यु दर 'वेरी हाई' यानी हाई रिस्क जोन की केटेगरी में आती है। 'वेरी हाई' केटेगरी उन राज्यों को दी गई है जिनमें प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 130 या इससे अधिक मातृ मृत्युदर है।





मातृ वंदना में महिलाओं को मिलती है 6000 रुपये की सहायता राशि



पीएम मातृ वंदना योजना योजना प्रदेश में महिलाओं का कुपोषण दूर कर शिशु मृत्यु दर (IMR) और मातृ मृत्यु दर (MMR) नियंत्रित करने की के लिए चलाई जा रही है। इसकी शुरुआत 1 जनवरी 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट 2013 के तहत की गई थी। योजना के तहत जो महिलाएं पहली बार गर्भधारण करने वाली या बच्चों को स्तन पान कराने वाली महिलाओं को सरकार 6000 रुपये की सहायता राशि प्रदान करती है। यह सहायता राशि सीधा लाभार्थी के बैंक खाते में DBT के माध्यम से ट्रांसफर कर दी जाती है। योजना के लाभ के लिए स्वयं का बैंक अकाउंट होना बहुत जरूरी है जो आधार कार्ड से लिंक होना चाहिए। PMMVY की सहायता राशि हितग्राही को 3 किश्तों में दी जाती है।





समय पर किश्तें मिलना बहुत जरुरी



PMMVY की किश्तें समय पर नहीं मिलने से मातृ मृत्यु एवं शिशु मृत्यु की बढ़ती दर को रोकना मुश्किल है।



प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को सरकार ने खुद विशेष महत्व का माना है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके दो कारण है - पहला: NFHS-5 कि एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश की 15-49 आयु वर्ग की 52.9% गर्भवती महिलाएं यानी कि हर दूसरी गर्भवती महिला रक्ताल्पता से पीड़ित है। दूसरा: राज्य की कई गरीब गर्भवती महिलाएं आर्थिक-सामाजिक तंगी के कारण अपनी गर्भावस्था के आखिरी दिनों तक काम करना जारी रखती हैं एवं बच्चे को जन्म देने के ठीक बाद वक्त से पहले ही काम करना शुरू कर देती हैं, जबकि उनका शरीर इसके लिए तैयार नहीं होता है। इस प्रकार उनका शरीर पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पाता है साथ ही पहले छह माह में अपने शिशुओं को सही स्तनपान भी नहीं करवा पाती हैं। यही वजह है कि PMMVY की सहायता राशि हितग्राही को 3 किश्तों में दी जाती है जिसका समय गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य एवं पोषण को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है।




  • 1,000 रुपये की पहली किश्त का भुगतान गर्भधारण के पंजीयन पर किये जाने का नियम है। इस वक़्त गर्भवती महिला को पोषण की सबसे ज्यादा आयश्यकता होती है जिससे की वह एवं उसके बच्चे के सही विकास हो सके। -यही बात दूसरी किश्त के वक़्त भी लागू होती है जब पंजीकृत गर्भवती महिला की एक प्रसव पूर्व जांच होने पर 2,000 रुपये की दूसरी किश्त का भुगतान होता है।


  • इसके बाद संस्थागत प्रसव करवाने पर प्रसव-उपरान्त 3,000 रुपये की तीसरी किश्त का भुगतान होता है क्यूँकि प्रसव से लेकर छह माह की उम्र तक बच्चे को केवल मां का दूध मिलता है जिसके लिए माँ का पोषित होना जरुरी है।





  • किश्तें मिलने में हो रही 2 महीने से ज्यादा की देरी



    परन्तु जब PMMVY जैसे पोषण कार्यक्रमों का लाभ/किश्तें समय पर नहीं मिलता है तो गर्भवती माता एवं शिशुओं के स्वास्थ्य एवं पोषण आदि पर प्रतिकूल असर पड़ता है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार PMMVY की किश्तें मिलने में 50 से 60 दिनों की देरी हो रही है। अल्प पोषित एवं अनीमिक माताएँ अधिकांशतः कम वजन वाले शिशुओं को ही जन्म देती है। जब कुपोषण गर्भाशय में ही शुरू हो जाता है तो यह पूरे जीवन चक्र चलता रहता है और ज्यादातर दुष्प्रभाव अपरिवर्तनीय होते हैं। इस तरह अल्पोषण एवं रक्ताल्पता माता एवं शिशुओं दोनों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता हैऔर MMR एवं IMR (शिशु मृत्यु दर) में भी बढ़ोतरी होती है। एवं इस स्थिति को सुधारना आवश्यक है।




    • योजना की शुरुआत से अब तक सहायता राशि वितरण के लिए लिया गया औसत समय: 49 दिन


  • जनवरी से मार्च 2022 तक इतने आवेदनों को पहली किश्त मिलने में 2 महीने से ज्यादा वक़्त लगा: 14,203

  • जनवरी से मार्च 2022 तक इतने आवेदनों को दूसरी किश्त मिलने में 2 महीने से ज्यादा वक़्त लगा: 65,482

  • जनवरी से मार्च 2022 तक इतने आवेदनों को तीसरी किश्त मिलने में 2 महीने से ज्यादा वक़्त लगा: 112,627





  • प्रदेश में भुगतान के लिए करीब डेढ़ लाख आवेदन लंबित



    1. योजना की शुरुआत से अब तक प्रदेश में कुल लाभार्थियों कि संख्या: 28,32,011



    जनवरी 2021 से जनवरी 2022 तक प्रदेश में कुल लाभार्थियों की संख्या:  6,21,341



    2. योजना की शुरुआत से अब तक प्रदेश में वितरित सहायता राशि: ₹12,35,43,58,000



    जनवरी 2021 से जनवरी 2022 तक प्रदेश में  वितरित सहायता राशि: ₹30,36,021



    3. योजना की शुरुआत से अब तक भुगतान के लिए लंबित आवेदन: 1,32,691



    केवल माह अप्रैल 2022 में लंबित आवेदन: 18,४३४





    केस स्टडी




    1. भिंड से मनोज जैन. भिंड जिले में बीते साल 2021 -22 में कुल 72% 16365 लक्ष्य के मुकाबले केवल 11841 माताओं को ही इस योजना का लाभ दिया जा सका है। द सूत्र को अपनी जांच में एक महत्वपूर्ण बात नज़र आई की जिले में योजना का लाभ मिलने की बात तो तब आएगी जब यहाँ के हितग्राही इस योजना से अवगत हो। जब द सूत्र की टीम ने 20 से अधिक गर्भवती माताओं से बात की तो पता चला कि उनमें से एक को भी इस योजना की जानकारी तक नहीं है। सवाल यह है की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सुपरवाइजर को घर-घर जाकर गर्भवती माता की जानकारी लेनी होती है और इन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सुपरवाइजर की मॉनिटरिंग परियोजना अधिकारी को करनी होती है आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है?




    इस संदर्भ में महिला एवं बाल विकास अधिकारी अब्दुल गफ्फार खान अवकाश पर होने से उपलब्ध नहीं हुए और प्रभारी परशुराम शर्मा ने कैमरे के सामने कुछ भी बात करने से साफ इनकार कर दिया। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को देख रहे हैं योगेश कटारिया ने फोन पर बातचीत में बताया की जितने आवेदन हमारे पास आते हैं उनमें विचारों प्रांत निर्णय लिया जाता है। वही महिला एवं बाल विकास की ग्रामीण परियोजना अधिकारी मनीषा मिश्रा ने भी कैमरे के सामने बात करने से इंकार कर दिया पर बातचीत में उन्होंने कहा की हम तो चाहते हैं कि अधिक से अधिक महिलाओं को इस योजना का लाभ मिले पर हमारे पास पर्याप्त मात्रा में आवेदन नहीं आए हैं। हालांकि, जिले के जो हितग्राही जागरूक हैं उनमें भी प्राप्त स्पष्ट आंकड़ों के अनुसार 736 हितग्राहियों ने शिकायत दर्ज कराई है कि उन्हें किस्तें मिलने में काफी देरी हो रही है।





    2. राजगढ़ से बी पी गोस्वामी. सोनम सिंह पांच महीने कि गर्भवती हैं और उन्हें अभी तक एक क़िस्त ही मिली है।  दूसरी किहत से लिए दोनों ने कई बार चक्कर लगाए परन्तु उनके फॉर्म जमा नहीं हो पाएं। अब जब सोनम सिंह कि गर्भावस्था को पांच महीनें हो गए तब जाकर स्वस्थ कर्मचारियों ने उनके कागज़ों के बारेंमें पूछपरख ली है। यहाँ बात यह उठती है की जहा राशि मिलने में ६०-७० दिनों से ज्यादा कि देरी है तो क्या सोनम सिंह के दूसरी क़िस्त के कागजात समय पर दर्ज हों भी पाएंगे और क्या उसको निर्धारित गर्भावस्था के 6 महीनों के भीतर उसकी दूसरी क़िस्त मिल पाएगी?





    3. विदिशा से अविनाश नामदेव. विदिशा जिले में 709 महिला हितग्राहियों की शिकायत है की उन्हें अभी तक योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। जब स्वास्थ्य अधिकारियों से इसका कारण पुछा गया तो उनका जवाब ताका सा था कि जिले में प्रधान मंत्री मातृत्व योजना के तहत जिन हितग्राहियों को लाभ मिलना चाहिए वह पूरी तरह से मिला है और अगर किसी की कोई क़िस्त बाकी रही है तो वह है नियम अनुसार तीसरा इंजेक्शन का डोज ना लगवाने के कारण या जिन खातों का नंबर उन्होंने दिया वह आधार से लिंक नहीं थे।


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