MP: कोरोना संकट 2020 में आया, लेकिन सरकार ने 2016-19 में बांधों में निरीक्षण में ढिलाई के लिए कोविड-19 को जिम्मेदार बताया

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The Sootr CG
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MP: कोरोना संकट 2020 में आया, लेकिन सरकार ने 2016-19 में बांधों में निरीक्षण में ढिलाई के लिए कोविड-19 को जिम्मेदार बताया

BHOPAL. मध्यप्रदेश में कोविड-19 महामारी का संकट 2020 में शुरू हुआ था, लेकिन प्रदेश के जल संसाधन विभाग ने इसे 2016-19 में बांधों के निरीक्षण में ढिलाई के लिए जिम्मेदार बताया है। विभाग की चौंकाने वाली यह रिपोर्ट हाल ही में धार का कारम डैम फूटने के कारण चर्चा के केंद्र में आ गई है। कारम नदी पर बन रहा डैम पूरा भरने के बाद इसमें अचानक पानी का रिसाव शुरू होने और डैम ढहने की आशंका से करीब 48 घंटे तक प्रदेश सरकार की सांसें फूल गई थीं। इस हादसे से सहमी सरकार ने 18 गांवों को खाली करवाकर उनमें रहने वाले करीब 15 हजार ग्रामीण और उनके पशुओं को डूबने से बचाने के लिए ऊंची जगहों पर विस्थापित कराया था।

 

CAG की ऑडिट रिपोर्ट में आई निरीक्षण में ढिलाई की बात 

          

धार में कारम डैम फूटने से बहुत पहले नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में मध्य प्रदेश में बांधों के नियमित निरीक्षण की व्यवस्था में ढिलाई की बात कही थी। दिलचस्प ये है कि जल संसाधन विभाग (WRD) के अधिकारियों ने इसकी वजह अपेक्षित कर्मचारियों की कमी और कोविड -19 संकट बताई। जबकि 2016 से 2019 की अवधि के दौरान कोरोनावायरस का संक्रमण मध्य प्रदेश तो छोड़िए, पूरे भारत में कहीं नहीं था। 



बड़े डैम का निरीक्षण एसडीएसओ से कराना जरूरी

 

मप्र विधानसभा में 2021 में पेश की गई 2015-16 से 2018-19 की अवधि की रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार, हर साल 20% बड़े बांधों का निरीक्षण राज्य बांध सुरक्षा संगठन (एसडीएसओ) द्वारा किया जाना जरूरी है। इस व्यवस्था के अनुसार, प्रदेश में बने सभी बड़े बांधों का निरीक्षण 5 साल की समयावधि में हो जाना चाहिए। हालांकि, सीएजी ने पाया कि एसडीएसओ ने प्रदेश में 724 बांधों के मुकाबले सिर्फ 591 बांधों का निरीक्षण ही किया किया। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने सितंबर 2020 में जवाब दिया कि एसडीएसओ में कर्मचारियों की कमी, चुनाव ड्यूटी, काम का बोझ/कोविड-19 जैसे अन्य कारणों से विभाग के अधिकारी बांध स्थलों का निरीक्षण नहीं कर सके। एसडीएसओ के अधिकारी बाके बचे सभी डैम का निरीक्षण अगले साल करेंगे। 



सीएजी ने नहीं मानी सरकार की सफाई 



राज्य सरकार की सफाई पर कैग ने कहा कि सरकार का जवाब स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि बांधों का निरीक्षण प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए, क्योंकि इसका सीधा संबंध बांधों की सुरक्षा से है। इस बात पर भी आपत्ति जताई गई कि कोविड -19 की आपदा से   2016-19 की अवधि के दौरान बांधों निरीक्षण कैसे प्रभावित हो सकता है। यदि बड़े बांधों के निरीक्षण के बारे में स्थिति खराब थी तो राज्य के दूसरे सभी बांधों के निरीक्षण में स्थिति और भी ज्यादा खराब थी। दिसंबर 2019 तक प्रदेश में 906 बड़े और 3 हजार 617 छोटे बांधों सहित कुल 4 हजार 523 डैम थे।



द सूत्र के सवाल पर मंत्री बोले- ऐसा हुआ है तो जांच करवाऊंगा 



सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-17 से 2018-19 तक प्रदेश में बांधों के प्री-मानसून निरीक्षण में औसतन 79.61% की कमी पाई गई। इस अवधि में वर्षवार 4 हजार 523 बांधों में से सिर्फ 381 का निरीक्षण किया गया। इस प्रकार 2016-17 में डैम के निरीक्षण में 91.57% की कमी मिली। इसके अगले वर्ष, सिर्फ 1382 बांधों का निरीक्षण किया गया औऱ  69.44% की कमी मिली। 2018-19 में 1003 बांधों का निरीक्षण किया गया, जो निर्धारित संख्या से 77.82% कम था। सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में आपत्तियों के बारे में सरकार का पक्ष जानने के लिए जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि ये गंभीर मामला है। मैं इस बारे में विभाग से उच्चाधिकारियों से बात कर जांच करवाऊंगा कि आखिर सीएजी को इस तरह का गैरजिम्मेदाराना जवाब किसने और क्यों दिया।


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