MP में 16 दिन रहेंगे राहुल गांधी, मालवा पर धाक जमाने के लिए 382 km चलेंगे पैदल; 52 जिलों से निकलेगीं भारत जोड़ो की सहयात्राएं

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The Sootr CG
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MP में 16 दिन रहेंगे राहुल गांधी, मालवा पर धाक जमाने के लिए 382 km चलेंगे पैदल; 52 जिलों से निकलेगीं भारत जोड़ो की सहयात्राएं

BHOPAL. मध्यप्रदेश में सत्ता के खेल में बुरी तरह मात खा चुकी कांग्रेस अपनी पूरी ताकत मालवा अंचल में झोंक देना चाहती है। बीजेपी के इस मजबूत गढ़ को हिलाने का आशीर्वाद कांग्रेस महाकाल से लेने जा रही है। वहीं जहां पर पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी सिर झुका कर गुजर चुके हैं। अब वहीं से राहुल गांधी चुनावी बिगुल फूंककर जंग का आगाज करने वाले हैं। शुरुआत एक ऐसी रेस से करने की कोशिश है, जिसमें नफा कम नुकसान ज्यादा अभी से ही नजर आ रहा है।





कांग्रेस, बीजेपी के मजबूत किले को ढहाने  की कोशिश में





भारत जोड़ने के इरादे के साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार आगे बढ़ रहे हैं। हर रोज एक नई तस्वीर नए बयान के साथ इस यात्रा को खास बना रही है। बहुत जल्द ये यात्रा मध्यप्रदेश में भी प्रवेश करने वाली है। राहुल गांधी 16 दिन में मध्यप्रदेश में 382 किमी पैदल चलेंगे। लेकिन कांग्रेस के स्थानीय नेता छह हजार किमी नापने की तैयारी में हैं। राहुल गांधी की पूरी यात्रा इस तरह प्लान की गई है कि उसका पूरा फोकस बीजेपी के गढ़ पर टिका हुआ नजर आता है। अपनी स्ट्रेंथ को बढ़ाने की जगह कांग्रेस बीजेपी के मजबूत किले को ढहाने  की कोशिश में है। इसका ऐलान ए जंग भी महाकाल के आशीर्वाद से होगा। 





पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की तैयारी





मध्यप्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 20 नवंबर तक प्रवेश कर सकती है। माना जा रहा है कि इसके जरिए कांग्रेस प्रदेश में विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करने जा रही है। बुरहानपुर, खंडवा, बड़वाह, सनावद, महू, इंदौर, उज्जैन होते हुए आगर मालवा से यह यात्रा राजस्थान में प्रवेश करेगी। प्रदेश में राहुल गांधी 16 दिन रहेंगे और 382 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे। प्रदेश कांग्रेस राहुल की यात्रा के माध्यम से पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की तैयारी में हैं। जिसकी शुरूआत दिवाली के बाद से ही हो जाएगी। राहुल गांधी तो अगले महीने प्रदेश में आएंगे उससे पहले ही अलग-अलग अंचलों से सहायक यात्राएं निकलनी शुरू हो जाएंगी। जो अलग-अलग जिलों से राहुल गांधी की यात्रा में जुड़ती चली जाएंगी। 







  • बालाघाट से शुरू होने वाली उपयात्रा सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल हरदा होते हुए खंडवा में भारत जोड़ो यात्रा में जुड़ेगी।



  • अनूपपुर से उपयात्रा शुरू होकर डिंडोरी, मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, सीहोर, देवास होते हुए इंदौर में जुड़ेगी।


  • अलीराजपुर से शुरू होकर झाबुआ, धार होते हुए इंदौर में जुड़ेगी।


  • शहडोल से उपयात्रा शुरू होकर उमरिया, कटनी, दमोह, सागर, रायसेन, सीहोर, शाजापुर होते हुए उज्जैन में जुड़ेगी।


  • जावद से शुरू हुई यात्रा मल्हारगढ़, मंदसौर, रतलाम, खाचरोद होते हुए उज्जैन में जुड़ेगी।


  • भानपुरा (मंदसौर) से शुरू हुई यात्रा सुवासरा, महिदपुर होकर उज्जैन में जुड़ेगी।


  • छतरपुर से सागर, विदिशा, राजगढ़ होते हुए आगर मालवा में ये यात्रा जुड़ेगी।


  • भिंड, दतिया, शिवपुरी, मुरैना, श्योपुर, अशोकनगर, गुना, राजगढ़ होकर आगर मालवा में ये यात्रा जुड़ेगी।








  • राहुल गांधी का ध्यान मालवा अंचल पर





    इस तरह पूरे 52 जिलों से कांग्रेस नेता यात्रा करते हुए राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से मिलते चले जाएंगे। इस दरम्यान वो कुल 6021 किमी लंबा सफर तय करेंगे। इस पूरी यात्रा के दौरान सबसे बड़ा कार्यक्रम उज्जैन में ही होगा। यहां राहुल गांधी महाकाल के दर्शन करेंगे। पवित्र नदी में डुबकी भी लगाएंगे और लोगों से मुखातिब भी होंगे। 





    राहुल गांधी के रास्ते पर गौर करें तो ये समझते देर नहीं लगेगी की पूरी यात्रा मालवा अंचल पर केंद्रित है, एमपी में। ये अंचल फिलहाल बीजेपी का मजबूत गढ़ है। जहां राहुल गांधी भारत जोड़ने की कोशिश के लिए निकलने वाले हैं। इस बीच महाकाल का रुख होगा तब बीजेपी के साथ एक नई रेस शुरू हो जाएगी। अभी तो ये रेस सिर्फ महाकाल कॉरिडोर के लिए है। लेकिन साल गुजरते गुजरते रेस सियासत की सबसे ऊंची कुर्सी के लिए होगी। जिसका रास्ता यकीनन मालवा से ही होकर गुजरेगा। सबसे ज्यादा विधानसभा सीटों वाला ये इलाका मध्यप्रदेश में सत्ता की चाबी भी माना जाता है। ये बात अलग है कि पिछले बार ये चाबी तो बीजेपी के ही हाथ लगी थी लेकिन सत्ता पर कांग्रेस काबिज हुई। इस बार कांग्रेस ये कसर भी पूरी करना चाहती है।





    राहुल गांधी ने 2018 का चुनावी आगाज भी महाकाल के दरबार से ही किया था। उस वक्त ज्योतिरादित्य सिंधिया कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ महाकाल का अभिषेक करते दिखाई दिए थे। क्या संयोग है कि इस बार जब पीएम नरेंद्र मोदी ने महाकाल के दरबार से चुनावी आगाज किया तब भी सिंधिया साथ ही थे। हालांकि गर्भगृह में बराबरी से खड़े होकर अभिषेक करने का मौका नहीं हासिल कर सके। 





    महाकाल लोक का क्रेडिट लेगी कांग्रेस?





    राहुल गांधी ने भी 2023 के रण का बिगुल फूंकने के लिए महाकाल का दरबार ही चुना है। इसके बाद हो सकता है वो उस महाकाल लोक में भी जाएं, जिसका लोकार्पण हाल ही में पीएम मोदी के हाथों हुआ है। बस यहीं से उस रेस की शुरुआत होनी है, जिसका अंजाम चुनाव परिणाम में नजर आएगा। राहुल गांधी उज्जैन से जनता को संबोधित करेंगे। इस दौरान वो महाकाल लोक का श्रेय कांग्रेस को देने की कोशिश भी करें। क्योंकि कांग्रेस की पूरी कोशिश ये बताने की है कि महाकाल लोक का सपना असल में कमलनाथ सरकार ने देखा था। सपने को साकार करने का काम भी शुरू हो चुका था। लेकिन पर्दा उठाकर महाकाल लोक का क्रेडिट अब बीजेपी ले रही है। 





    अंचल की 66 सीटों पर कांग्रेस की नजर





    महाकाल लोक के क्रेडिट की होड़ के बाद नजर मालवांचल की सीटों पर है। मालवा और निमाड़ का क्षेत्र ही प्रदेश की सत्ता तय करता है। इस अंचल में 66 विधानसभा सीटें आती हैं। यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों यहां ताकत झोंक देना चाहती हैं। पिछली बार भी राहुल गांधी का फोकस इसी अंचल पर था। जिसके नतीजे भी दिखाई दिए थे। 2013 के चुनाव में बीजेपी ने यहां 57 सीटों पर कब्जा जमाया था। नौ सीटों पर सिमटी कांग्रेस ने 2018 में गजब की बढ़त हासिल की। 2018 में बीजेपी को यहां से महज 27 सीटें मिलीं। हालांकि उपचुनाव में नुकसान की कुछ हद तक भरपाई करते हुए बीजेपी 33 सीटों तक पहुंच गई। पिछले चुनावों के नतीजे देखकर शायद कांग्रेस इस बार भी किंग मेकिंग सीटों पर ही दांव खेलना चाहती है। लेकिन बीजेपी ने भी बीते सालों में मालवा में पकड़ मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कहीं ऐसा न हो कि कांग्रेस पूरी ताकत भी लगाए नतीजा फिर भी सिफर ही रहे।





    प्रदर्शन दोहराने की तैयारी





    नतीजा कुछ भी हो फिलहाल राहुल गांधी की यात्रा के चलते कांग्रेस के कार्यकर्ता खासे उत्साहित बताए जा रहे हैं। ये उत्साह कायम रहा तो 2023 की जंग दिलचस्प हो सकती है। आने वाले चुनाव दोनों ही दलों के लिए आसान नहीं हैं। बीते चुनाव के नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस ने ग्रामीण इलाकों में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उस प्रदर्शन के साथ शहरी क्षेत्रों का साथ जरा भी मिला तो कांग्रेस फिर नतीजे अपने फेवर में ला सकती है। प्रदेश में निकलने वाली सह यात्राएं भी कमलनाथ सरकार की खूबियां और योजनाएं गिनवाने का काम करेगी। कांग्रेस की इस पूरी कवायद का मुकाबला पीएम नरेंद्र मोदी के फेस से होगा। इस जंग में कांग्रेस खरा उतर पाएगी या नहीं ये देखने लायक होगा।



     



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