MP: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी 18 हजार प्राइवेट स्कूलों ने नहीं दिया फीस का ब्योरा

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MP: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी 18 हजार प्राइवेट स्कूलों ने नहीं दिया फीस का ब्योरा

भोपाल. सभी प्राइवेट स्कूलों (Private Schools) में कोरोना काल में वसूली गई फीस (school fees) का ब्योरा एजुकेशन पोर्टल (education portal) पर सार्वजनिक करने के सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के निर्देश पर अमल के लिए तय अंतिम मियाद गुजर जाने के बाद भी प्रदेश के 50% स्कूल संचालकों ने जानकारी अपलोड नहीं की है। कोर्ट से 6 हफ्ते की मोहलत लेने के बाद सरकार का स्कूल शिक्षा विभाग (school education department) 18 हजार 23 प्राइवेट स्कूल संचालकों को पेरेंट्स से वसूली गई फीस सार्वजनिक करने को बाध्य नहीं कर पाया। कारण पूछे जाने पर विभाग के अधिकारी टेक्निकल इश्यू बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं। वे यह नहीं बता पा रहे हैं कि आखिर समस्या क्या और किस स्तर पर हैं।

50% स्कूल संचालकों ने नहीं अपलोड की फीस की जानकारी  

प्रदेश में निजी स्कूल संचालकों को स्टूडेंट के पेरेंट्स से सेशन 2020-21 में वसूली जाने वाली फीस की जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग के एजुकेशन पोर्टल पर अपलोड करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई आखिरी मियाद भी मंगलवार, 19 अक्टूबर को खत्म हो गई। इससे पहले तय सीमा में फीस अपलोड नहीं किए जाने के मामले की सुनवाई के दौरान 3 सितंबर को प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 6 हफ्ते का समय मांगा था। इस आधार पर सभी प्राइवेट स्कूल संचालकों को फीस की जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग के एजुकेशन पोर्टल पर 19 अक्टूबर तक अपलोड करना थी। लेकिन पोर्टल पर दर्ज जानकारी के मुताबिक प्रदेश के 37 हजार 74 स्कूलों में से 19 हजार 51 स्कूल संचालकों ने ही सुप्रीम के निर्देश का पालन किया है।

एजुकेशन पोर्टल पर टेक्नीकल इश्यू का बहाना  

स्कूल शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से जब भी फीस की जानकारी  पोर्टल पर अपलोड करने में हो रही देरी के बारे में पूछा जाता है तो वे हर बार टेक्निकल इश्यू का बहाना बना देते हैं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऐसी कौन सी तकनीकी समस्या है, जिसका समाधान विभाग के अधिकारी इस टेक्नोलॉजी युग में 2 महीने से नहीं करा पा रहे। जबकि पिछले दिनों 4 अक्टूबर को 91 करोड़ भारतीय यूजर्स वाली कंपनी फेसबुक ने अपने सर्वर में आई तकनीकी गड़बड़ी का समाधान महज 6 घंटे में कर दिया था। इसके बाद 6 अक्टूबर को 44 करोड़ यूजर्स वाली टेलीकॉम कंपनी जियो ने भी बड़ी तकनीकी अड़चन 10 घंटे में दूर कर ली थी। जबकि मप्र का स्कूल शिक्षा विभाग 37 हजार स्कूलों की फीस पोर्टल पर अपलोड कराने में आ रही तकनीकी अड़चन का समाधान नहीं करा पाया। इससे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन कराने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

फीस नियंत्रण के लिए कानून का पालन नहीं करा पा रहा है विभाग 

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से पहले निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण और मॉनिटरिंग के लिए MP हाईकोर्ट (High Court) के निर्देश पर  मध्यप्रदेश सरकार ने निजी विद्यालय नियम 2020 बनाया। लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग इस कानून का भी पालन नहीं करवा पा रहा। कानून के अनुसार, हर निजी स्कूल को तीन साल की फीस का ब्यौरा देना है, पर यह किसी भी स्कूल ने नहीं दिया है। इसके बाद जागृत पालक संघ इंदौर ने कानूनी लड़ाई लड़ी और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। इसके बावजूद आज तक किसी भी स्कूल ने स्टूडेंट के  पेरेंट्स से वसूली गई 3 साल की फीस की जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं की है। नियमानुसार निजी स्कूल संचालकों को सेशन 2018-19, 2019-20 में वसूली गई फीस का ब्योरा भी एजुकेशन पोर्टल पर अपलोड करना था।  

सरकार ने कोर्ट से 6 हफ्ते की मोहलत मांगी थी 

जागृत पालक संघ इंदौर की याचिका पर सुनवाई करते हुए 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दो हफ्ते यानी 3 सितंबर तक पोर्टल पर फीस अपलोड करने के आदेश जारी किए। लेकिन सरकार निजी स्कूल संचालकों से फीस अपलोड नहीं करा सकी। 3 सितंबर को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 6 हफ्ते का समय मांगा, जो 19 अक्टूबर को खत्म हो गया। पर अब भी 50% स्कूल ही 2020-21 की फीस पोर्टल पर अपलोड कर सके हैं। 

एजुकेशन पोर्टल से एक दिन में गायब हो गए 14 हजार 157 स्कूल

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य शासन ने अपने जवाब में बताया था कि प्रदेश में 51 हजार 230 स्कूल हैं। इनमें करीब 50 हजार एक्टिव स्कूल हैं। लेकिन जब 6 हफ्ते की आखिरी मियाद पास आई तो अचानक 11 अक्टूबर को इनमें से 14 हजार 157 स्कूल पोर्टल से हटा दिए गए। अधिकारियों का तर्क है कि ये कोविड आपदा के कारण बंद हो गए हैं। इसलिए इन्हें पोर्टल से हटा दिया गया है।

विभाग को पता ही नहीं, प्रदेश में कुल कितने प्राइवेट स्कूल

निजी स्कूल संचालकों का तो दावा ही अलग है। उनकी मानें तो स्कूल शिक्षा विभाग को वास्तव में पता ही नहीं है कि प्रदेश में कुल कितने निजी स्कूल है। सोसाइटी फॉर प्राइवेट स्कूल (SPS) डायरेक्टर्स के संस्थापक दीपक सिंह राजपूत ने कहा कि जो 14 हजार स्कूल पोर्टल से हटाए गए वे बहुत दिनों से बंद है। वास्तव में कोविड संकट के कारण जो स्कूल बंद हुए हैं वह अब भी पोर्टल पर दर्ज हैं। यदि उन्हें हटा देंगे तो फीस अपलोड का आंकड़ा 90% तक पहुंच जाएगा। 

कोर्ट में अवमानना का केस लगाएगा पालक संघ 

जागृत पालक संघ इंदौर की ओर से स्कूल फीस मामले में पैरवी कर रहे एडवोकेट चंचल गुप्ता ने कहा कि अचानक 14 हजार स्कूल पोर्टल से गायब कर देना समझ से परे है। एक महीने पहले ही राज्य शासन ने 51 हजार स्कूल निजी होने की बात स्वीकारी थी। राज्य शासन निजी स्कूलों से फीस अपलोड नहीं करवा पाया है जो कि कोर्ट की अवमानना है। वे इसे लेकर कोर्ट में अवमानना केस लगाएंगे।  

फीस अपलोड नहीं करने वाले स्कूल संचालकों को नोटिस: DEO

भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO Bhopal)  नितिन सक्सेना का कहना है कि टेक्नीकल इश्यू के कारण कई स्कूलों की फीस अपलोड नहीं हो पाई, लेकिन काम तेजी से हो रहा है। इसकी समीक्षा जल्द होगी। जिन स्कूल संचालकों ने फीस अपलोड नहीं की है, उन्हें नोटिस भेजकर कार्रवाई की जाएगी।

साफ्टवेयर में बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान एक हफ्ते में: IT एक्सपर्ट 

सॉफ्टवेयर इंजीनियर हर्षिता जैन के मुताबिक, स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (Instagram) और वॉट्सऐप (WhatsApp) से ज्यादा हैवी ट्रेफिक तो नहीं होगा, पर इन कंपनियों ने 6 से 10  घंटे में प्रॉब्लम को सॉल्व कर लिया। मैं समझती हूं किसी भी सॉफ्टवेयर में बड़ी से बड़ी टेक्नीकल एरर भी आती है तो उसका समाधान मैक्सिमम एक हप्ते में कर लिया जाता है। 

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