Bhopal. केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने से मध्यप्रदेश का दो लाख मिट्रिक टन गेहूं अटक गया है। गुजरात के कांडला पोर्ट पर गेहूं के न उतरने से प्रदेश के व्यापारियों को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। केंद्र सरकार के निर्देश मिलते ही पोर्ट पर गेहूं उतरना बंद हो गया है। ऐसे में व्यापारियों की सांसें अटक गई है। सभी ड्रायवर्स को वापस जाने का कहा जा रहा है। इसके साथ ही ट्रांसपोर्टर्स भी गेहूं वापस लाने के लिए अलग से भाड़ा लेने पर अड़े हुए है। ऐसे में व्यापारियों को प्रति बोरी सौ रुपए और भुगतने पड़ेंगे। इधर, निर्यात रुकने से प्रदेश की मंडियों में गेहूं के दाम गिर रहे है। अचानक लगी रोक से प्रदेश के व्यापारियों ने सोमवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कमल पटेल से मुलाकात करने के अपनी परेशानी बताई। हालांकि कहीं से भी उन्हें ठोस आश्वासन नहीं मिला। ऐसे में व्यापारियों ने 17 और 18 मई दो दिन तक मंडी में हड़ताल करने का फैसला लिया है।
मप्र से उठया सबसे ज्यादा गेहूं
आपको बता दें कि, देश में तीन राज्य ही गेहूं के सबसे ज्यादा उत्पादक है। इसमें पंजाब, हरियाणा और मप्र शामिल है। लेकिन गुजरात के पास होने के चलते व्यापारियों ने सबसे ज्यादा गेहूं मप्र से उठाया है। इस बार व्यापारियों ने निर्यात के लिए चार लाख टन से ज्यादा गेहूं की खरीददारी की थी। जिसमें से अब दो लाख टन गेहूं बचा हुआ है। निर्यात बंद होने से अब यह गेहूं पूरी तरह से अटक गया है। आगे क्या होगा इसको लेकर व्यापारियों को कुछ समझमें नहीं आ रहा है।
दो सौ रुपए हुए कम
निर्यात बंद होने से प्रदेश की मंडियो में गेहूं का दामों दो सौ रुपए की गिरावट आई है। व्यापारियों ने निर्यात के लिए 2600 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं खरीदा है। लेकिन अब दाम घटने से बाजार में दो हजार रुपए क्विंटल ही बेचना पड़ेगा। ऐसे में व्यापारियों को निर्यात बंद होने से 25 करोड़ रुपए का नुकसान होने के आसार है। पोर्ट पर कुल 6 हजार ट्रक गेहूं से लोड है। जिसमें से तीन हजार ट्रक मप्र के है।