BHOPAL. मध्यप्रदेश कैडर-2011 बैच की आईएएस नेहा मारव्या (IAS Neha Marvya) की वॉट्सऐप पर लिखी पोस्ट से बवाल मच गया है। इस पोस्ट से वे दोबारा विवादों में आ गईं हैं। इस बार उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी (Principal Secretary Manish Rastogi) पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उन्होंने वॉट्सऐप ग्रुप (Whatsapp Group) पर अपने साथ हुए व्यवहार के बारे में बताया। उन्होंने ग्रुप में लिखा कि सीएम के पीएस रस्तोगी के पास जब वे पदभार ग्रहण करने गईं तो उन्होंने बहुत जलील किया। रस्तोगी ने कमरे में आने से मना कर दिया। उन्होंने मुझे पीए के सामने गेट आउट कहकर फटकार लगाई। यह विवाद अब सोशल मीडिया में तेजी वायरल हो रहा है, लेकिन वास्तव में इस झगड़े की एक और वजह है जो सिर्फ द सूत्र के पास है। हम आपको विस्तार से इसकी कहानी बता रहे हैं। हम अपने पाठकों को खुलकर बता रहे हैं अंदर की पूरी बात। मनरेगा की सीईओ सूफिया फारुखी और नेहा मारव्या के बीच वाहन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है ये विवाद इतना बढ़ चुका था कि बीते 45 दिनों से दोनों के बीच अबोला (बातचीत बंद) चल रहा है। सीईओ सूफिया ने परेशान होकर सीएम के पीएस मनीष रस्तोगी से शिकायत की थी और मनीष रस्तोगी ने उन्हें पीएस दीप्ती गौड़ मुखर्जी के पास भेज दिया लेकिन मुखर्जी ने स्वयं मारव्या से परेशान होने की बात कहकर उन्हें रस्तोगी के पास भेज दिया जब मारव्या दोबारा रस्तोगी के पास पहुंचकर सूफिया की शिकायत की तो वे भड़क उठे। इसके बाद नेहा मारव्या और मनीष रस्तोगी के बीच जमकर बहस हुई और यह पूरा प्रकरण बाहर आ गया। इस तरह दो महिला आईएस के झगड़े में सीनियर आईएएस की फजीहत हो गई। अंदरखाने की बात यही है।
IAS नेहा मारव्या सोशल मीडिया पर ये लिखा
महिला IAS के वॉट्सऐप ग्रुप में नेहा मारव्या ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा- यह पहला मौका है, जब मैं कुछ लिख रही हूं। अब भी नहीं बोला, तो IAS और मानव होने के नाते शर्म आएगी। सीनियर मुझे अच्छे से गाइड कर सकेंगी। मदद भी कर सकेंगी। मैं भोपाल में मनरेगा में एडिशनल CEO के तौर पर पदस्थ थी। 4 जुलाई 2022 से 7 जुलाई तक अवकाश पर थी। 7 जुलाई की शाम सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव की ओर से कॉल आया।
Respected Seniors and Dear Colleagues-
This is the first time I am using this group to share. If I don’t share it now and remain silent then I will be ashamed of being a woman, a human being and an IAS officer.
Since this group is of lady IAS officers, they can better guide me and help me to get through this.
I was posted as Additional CEO MNREGA. While I was on leave from 04.07.2022 to 07.07.2022, on 07.07.2022 I got a call from Deputy Secretary GAD that I have been posted as Deputy Secretary, Revenue. On 08.07.2022 I went to MNREGA office for relieving formalities where I was handed a relieving letter immediately by CEO MNREGA and then received call from travels agency to return vehicle before 12 noon because CEO MNREGA has said no payment for the vehicle will be made if vehicle is not taken back by 12 noon.
I was going to join in the new department meanwhile, I was constantly pestered by this travel agency and they were telling me to return the vehicle immediately. But I used the vehicle to go to Vallabh Bhawan.
I joined the new department and called on PS. To my surprise, PS told me that I cannot enter his room. He has no work to give to me. He explicitly said Sufiyah has told me about you and now I will see you so I have taken you under me. When I asked him what had happened, he did not answer. I asked him if I could make a submission, he told me I had no right to speak. I requested him to provide me the vehicle to go back home because I have to give back the MNREGA vehicle, he said he will not give me any vehicle. When I asked him how I was supposed to go back home, he said that the lower staff of Vallabh Bhawan goes home, ask them how they go? and he called his male subordinate which I could make out to be his PA, sarcastically told him to ask for a vehicle and he would give him the vehicle and in front of him told me to get up and get out and I will not get the vehicle. While, DS Co-ordination, Revenue was arranging a vehicle to at least drop me home, he called her and stopped her from providing me any vehicle despite there was a spare vehicle available. When DS Co-ordination asked him how madam would go back home and it is getting late, he said let her go herself.
I had no option but to retain the MNREGA vehicle to go back home. To my disbelief the travel guy came home, he misbehaved with my mother, and told her to give the vehicle. She had to say, talk to my daughter who is right now not at home. When I reached he said give back the vehicle, Sufiyah has said to pick up the vehicle from your house. How can any person come to my home and misbehave with my family?
1. Should I keep mum regarding the misbehaviour meted out to me by PS Revenue and whatever CEO MNREGA has done?
2. What did CEO MNREGA tell PS Revenue?
3. Why PS Revenue did not think it appropriate to hear my submission?
4. When PS Revenue had no work for me why did he take me? Has he taken me under him just to harass me? Is it acceptable? Will he be not wasting me?
Right now when I am writing this post, the MNREGA vehicle standing at my place is stolen, it is no more there and the master key is with me. My belongings are in the vehicle.
1. Did CEO MNREGA ask travel guy to steal vehicle from my place?
2. Should I not lodge the FIR for the stolen vehicle?
बताया गया कि उनका तबादला राजस्व विभाग में बतौर उप सचिव किया गया है। इसके बाद 8 जुलाई को मैं मनरेगा से रिलीव होने पहुंच गई। प्रक्रिया के बाद मुख्यमंत्री और राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी के चैंबर में गई। उन्होंने कहा- तुम चैंबर में नहीं आ सकती। उनके पास कोई काम भी नहीं है, इसलिए तुम्हें सुधारने के लिए मेरे अंडर में रखा गया है। तुम्हें देखता हूं। इसके बाद मैंने उनसे अपनी गलती पूछी, तो उन्होंने जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा- तुम्हें बोलने का हक नहीं है।
उनसे निवेदन किया कि मनरेगा के वाहन से मैं आई थी, वो वापस कर दिया है। किसी वाहन से घर भिजवा दें, तो उन्होंने इनकार कर दिया। जब मैंने पूछा कि मैं घर कैसे जाउंगी, तो उन्होंने बोला कि स्टाफ से पूछ लो कि वो लोग वल्लभ भवन से घर कैसे जाते हैं। उन्होंने पीए को बुलाकर मुझे गेट आउट कहा।
उप सचिव ने मेरे लिए वाहन की व्यवस्था करने कोशिश की। प्रमुख सचिव ने उसे भी फटकार लगाते हुए मना कर दिया। क्या इस मामले में चुप रहना चाहिए? जब पीएस के पास मेरे लिए काम नहीं था, तो उन्होंने मुझे अपने अंडर में क्यों बुलवाया? क्या उन्होंने मुझे प्रताड़ित करने के लिए रखा है? बहुत दुखद है।'
समर्थन में आईं रिटायर्ड IAS अधिकारी
आईएएस मारव्या के पोस्ट करने के बाद रिटायर्ड आईएएस अधिकारी रंजना चौधरी उनके समर्थन में आ गईं हैं। उन्होंने लिखा कि तुम सही के लिए लड़ाई लड़ो, मैं तुम्हारे साथ हूं। वहीं, इस मामले में एक अन्य महिला IAS अधिकारी ने लिखा कि इस तरह सोशल मीडिया ग्रुप में यह सब बातें लिखना सही नहीं है।
सीएम के प्रमुख सचिव ने ये कहा
मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी से जब मीडिया ने संपर्क किया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि आईएएस नेहा को जॉइनिंग के बाद ऑफिस आए 6 दिन ही तो हुए हैं। मैं अभी इस मामले पर कमेंट नहीं करूंगा। आपको बता दें कि आईएएस नेहा का विवादों से पुराना नाता रहा है। उन्होंने मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया था। उन्होंने पंचायत CEO रहते कलेक्टर की कार के किराए का भुगतान रोका था। कृषि विभाग में आने के बाद उन्होंने 11 ड्राइवर बदले थे। जबलपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष मनोरमा पटेल से उनका विवाद जगजहिर है। ये मामला सीएम हाउस तक पहुंचा था।
विवादों से पुराना नाता है नेहा मारव्या
मध्यप्रदेश कैडर की आईएएस नेहा मारव्या का विवादों से पुराना नाता रहा है। वे लंबे समय से सुर्खियों में बनी हुईं हैं। इस बार वे सीएम शिवराज सिंह के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी के साथ हुए विवाद में चर्चा में हैं। विवाद के बाद उनका वॉट्सऐप ग्रुप पर लिखा मैसेज सोशल मीडिया तेजी से वायरल हो रहा है। ये हैं विवाद जिनके कारण वे हमेशा सुर्खियों में बनी रहीं।
मारव्या कैसे हुई फेमस, 11 साल की नौकरी में 9 ट्रांसफर
मारव्या तब चर्चा में आई थीं, जब शिवपुरी के अपर कलेक्टर के रूप में उन्होंने स्थानीय मंत्री यशोधराराजे सिंधिया को कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। वह तत्कालीन कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव द्वारा इस्तेमाल की जा रही किराए की कार के लिए भुगतान जारी करने से इनकार करने के लिए भी चर्चा में थीं। उनके खिलाफ शिकायतों की बाढ़ के बाद, उन्हें मंत्रालय में उप सचिव के रूप में लूप-लाइन में रखा गया था। हालांकि, अपनी कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं किया, जिसके कारण उनके तबादले होते रहे। इसकी वजह से नेहा मारव्या के 11 साल की नौकरी में उनकी 9 बार ट्रांसफर हो चुके हैं।
खेल मंत्री यशोधरा राजे से लिया पंगा
आईएएस नेहा मारव्या मध्य प्रदेश के शिवपुरी में प्रभारी कलेक्टर थीं तब इनका खेल मंत्री यशोधरा राजे से विवाद हो गया। खबर तो यह थी कि मध्य प्रदेश मुख्य सचिव ने उन्हें भोपाल तलब किया और कहा कि जब तक शिवपुरी के जिला कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव अवकाश से नहीं आ जाते तब तक वे मुख्यालय नहीं छोड़ेंगी।
शिलान्यास की नहीं दी अनुमति
जानकारी के अनुसार खेल मंत्री यशोधरा राजे को आईएएस नेहा मारव्या ने तीन सड़कों के लोकार्पण और शिलान्यास की अनुमति नहीं दी। मंत्री ने आईएएस मारव्या की मुख्य सचिव से भी की। जबलपुर, दतिया जिला पंचायत और राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल की पोस्टिंग के बाद इन्हें जिला पंचायत शिवपुरी का सीईओ बनाया गया था।
जिला पंचायत अध्यक्ष मनोरमा पटेल से विवाद
आईएएस नेहा मारव्या जब जबलपुर में पोस्टेड थीं तब इनका जिला पंचायत अध्यक्ष मनोरमा पटेल से विवाद हो गया था। इन दोनों का मामला भी सीएमओ तक पहुंच गया था और पूरे मामले का इनका तबादले से पटाक्षेप हुआ।
कर्मचारी ने मारव्या से मांगी इच्छामृत्यु
आईएएस नेहा मारव्या के शिवपुरी कार्यकाल के दौरान अजीब वाक्या हुआ। मामला सेंट्रल बैंक प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की कोशिशों तक पहुंच गया। हुआ यूं था कि जनवरी 2017 में शिवपुरी जनसुनवाई के दौरान अपनी लंबित समस्या को लेकर एक कर्मचारी ने आईएएस नेहा मारव्या से इच्छामृत्यु की मांग की। इस पर नेहा मारव्या ने उसके आवेदन पर एसपी शिवपुरी को निर्देशित किया कि पीड़ित के खिलाफ आईपीसी/सीआरपीसी के तहत कार्रवाई करें। विशेषज्ञ आज तक समझ नहीं पाए कि इच्छा मृत्यु मांगने वाले पीड़ित के खिलाफ किन धाराओं में केस फाइल करें। इस मामले ने जब तूल पकड़ा तो अगली जनसुनवाई में मीडिया को प्रतिबंधित कर दिया गया। विरोध के बाद इस प्रतिबंध को हटाया।
.... जब मारव्या ने खत लिखकर पूछा आखिर मेरी खता क्या है
मप्र में कैडर आवंटन से लेकर अब तक लगातार विवादों में रहीं महिला आईएएस अफसर NEHA MARVYA IAS को कृषि विभाग के उपसचिव पद से हटाने के बाद मंत्रालय में ओएसडी बनाया गया था। इससे दुखी नेहा ने विभाग के प्रमुख सचिव और जीएडी कार्मिक को पत्र लिखकर पूछा है कि उनसे क्या खता हुई, क्या दुर्व्यवहार उन्होंने किया जिसके कारण उन्हें हटाया गया।
शिवपुरी विवाद के कारण नेहा मारव्या को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में भेजा था लेकिन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया से विवाद के कारण दो माह बाद ही उन्हें कृषि विभाग में उपसचिव बना दिया गया था। यहां भी उनकी कार्यशैली के चलते एक अवर सचिव ने तो अपना विभाग ही बदलवा लिया।
GAD से मांगी शिकायत की कापी
विभाग से हटने के बाद नेहा ने पीएस को पत्र लिखकर इसकी कापी जीएडी और एपीसी को दी है। इसमें उन्होंने उस शिकायत की कापी मांगी है जिसके आधार पर उन्हें हटाया गया है। इसी तरह कृषि संचालक मोहनलाल मीना ने एक स्टेनो उनके पास मंत्रालय में अटैच किया तो इस पर ही सवाल खड़े कर दिए कि इसकी प्रक्रिया क्या है, अब तक कितने कर्मचारी इस तरह अटैच किए गए। मंत्रालय में उनके अधीनस्थ काम कर रही अवर सचिव स्तर की अधिकारी तो उनके व्यवहार से चार बार रो पड़ी है।
क्या किया कृषि विभाग में
- कृषि विभाग में आने के बाद 11 ड्राइवर बदले।
मुझे कुछ नहीं कहना
इस पूरे मामले पर जब आईएएस नेहा मारव्या से बात की गई तो उन्होंने यह स्वीकार किया कि उन्हें कृषि विभाग से हटाकर मंत्रालय में ओएसडी बनाया गया है लेकिन क्या उन्हें शिकायतों के आधार पर हटाया गया है इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे इस पर कुछ नहीं कहना।
CM के पीएस की फाइलों में भी लगाया पेंच
उद्यानिकी विभाग और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अशोक बर्णवाल की अनुपस्थिति में जब उन्हें विभाग का चार्ज मिला तो उन्होंने पीएस की फाइलों पर भी पेंच लगा दिए। इसके चलते उनका चार्ज बदलकर दूसरे अधिकारी को दिया गया।
IAS रश्मि से कहा था मेरा यही पैटर्न है
सूत्रों के मुताबिक जीएडी की पीएस रश्मि अरुण शमी और कृषि विभाग के पीएस उन्हें बिठाकर समझाया लेकिन वे नहीं मानी उनका कहना था कि हमारे काम करने का तो यही पैटर्न है।
आईएएस नेहा मारव्या सिंह की बायोग्राफी
आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या सिंह मूल रूप से यूपी की रहने वाली हैं। 22 अगस्त 1986 को जन्मी नेहा मारव्या सिंह ने इलाहाबाद के मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक की डिग्री हासिल कर रखी है। वे ग्रामीण विकास विभाग में डिप्टी सचिव, जबलपुर जिला पंचायत सीईओ, एसडीओ, भू राजस्व अधिकारी अशोकनगर, एसडीए भोपाल, असिस्टेंट कलेक्टर बैतूल आदि पदों पर रह चुकी हैं। जबलपुर, दतिया जिला पंचायत और राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल की पोस्टिंग के बाद इन्हें जिला पंचायत शिवपुरी का सीईओ बनाया गया था।