Indore. शोले, डॉन, कुर्बानी, मिस्टर नटवर लाल, सीता और गीता, राजा जानी, जय संतोषी मां, इन इवनिंग इन पेरिस जैसी हिट फिल्मों का गवाह रहा इंदौर का सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर मधुमिलन भी अब इतिहास में दर्ज हो जाएगा। खबरों के मुताबिक टॉकीज बिक गया है और जल्दी ही यहां व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा।
करीब 50 साल पहले शुरू हुए मधुमिलन टॉकीज शुरुआत में एक समय शहर में चर्चा से बाहर हो गया था क्योंकि दूसरे सिंगल सिनेमाघरों ने खुद को अपडेट कर लिया था, लेकिन जल्दी ही मधुमिलन ने भी चाल बदली और इसका इंटीरिया और एक्सटीरियर बदला । इंदौर में किसी फिल्म के एक साथ दो टॉकीजों में लगने का चलन शुरुआत भी मधुमिलन ने शोले से की थी। कुर्बानी, डॉन, मिस्टर नटवर लाल, सहित कई सिल्वर जुबली फिल्में देने वाले मधुमिलन की दीवारों पर अब हथोड़े चल रहे हैं। इसे तोड़कर यहां व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है। मोदी परिवार की मिल्कियत रहा यह टॉकीज बिक गया है।
शहर के बीच होने से खूब चलता था
जब शहर फैला नहीं था, तब मधुमिलन शहर के बीचों-बीच माना जाता है। इसके एक-दो किमी के दायरे में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, होटल्स, कॉलेज, होस्टल सहित भीड़ भरे बाजार और मोहल्ले थे लिहाजा यह खूब चलता था, समय के साथ सिंगल स्क्रीन टॉकिजों पर मल्टी प्लेक्स की मार पड़ी तब भी यह संघर्ष करता रहा। कुछ समय पहले इसमें अक्षय कुमार की फिल्म बेलबाटम लगी थी लेकिन उसके बाद यह तकरीबन बंद जैसा ही हो गया था। इससे पहले कोविड के कारण भी दो साल नहीं चला था। इन्हीं हालत ने शायद इसे बिकने पर मजबूर किया। इसकी ख्याति का अंदाजा इस बाद से लगाया जा सकता है कि जहां यह स्थित था वहां नेहरू प्रतिमा, कई बड़ी होटलें आदि हैं लेकिन लोग उस क्षेत्र को मधुमिलन चौराहा के नाम से ही जानते हैं
पहले भी बंद हो चुके हैं कई टॉकीज
किसी जमाने में इंदौर में तीस टॉकीज होते थे। धीरे-धीरे इनके बंद होने और बिकने का सिलसिला शुरू हुआ। कुछ सालों में यहां राज, एलोरा, अजंता, प्रकाश, यशवंत, बेम्बिनो, स्टारलिट, सरोज टॉकीज टूटकर कॉम्पेलक्स में तब्दील हो गए हैं, जबकि रीगल, मिल्की-वे, अलका, प्रेमसुख, नीलकमल, स्मृति, कुसुम सहित कई टॉकीज या तो बंद हो गए हैं या कानूनी उलझनों के कारण न चल पा रहे हैं न बिक पा रहे हैं। कुछ ही सिंगल स्क्रीन सिनेमा घर हैं जो अभी चलन में हैं।