मध्यप्रदेश में निकाय और पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण पर SC ने सुरक्षित रखा फैसला

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Rahul Garhwal
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मध्यप्रदेश में निकाय और पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण पर SC ने सुरक्षित रखा फैसला

Bhopal. मध्य प्रदेश में पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। सुप्रीम कोर्ट 18 या 19 मई को फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार की मॉडिफिकेशन याचिका के सारे तथ्यों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।




— TheSootr (@TheSootr) May 17, 2022



सुप्रीम कोर्ट ने किया पुनर्विचार



पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के लिए राज्य सरकार ​की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को अपने 7 दिन पुराने फैसले पर पुनर्विचार किया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बिना ओबीसी आरक्षण दिए पंचायत चुनाव कराने की बात कही थी। इसके साथ ही प्रदेश में तीन साल से अटके स्थानीय निकायों के चुनावों का रास्ता भी साफ हो गया था। इधर, मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने अदालत के आदेश का पालन करते हुए चुनाव की अधिसूचना जारी करने की तैयारी कर ली है। 



अभी सिर्फ SC/ST आरक्षण के साथ कराने पड़ सकते हैं चुनाव



राज्य सरकार ने अपनी याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट में वार्ड वार रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके बाद साफ हो जाएगा कि एमपी में निकाय और पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे या नहीं। दरअसल, बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने बीते सप्ताह नगरीय निकाय 2022 में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा था कि बिना ओबीसी आरक्षण के प्रदेश में चुनाव करवाएं जाएं। साथ ही मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश दिए थे कि 15 दिन के अंदर पंचायत चुनाव एवं नगर पालिका चुनाव की अधिसूचना जारी की जाए। ओबीसी आरक्षण के लिए तय शर्तों को पूरा किए बिना आरक्षण नहीं मिल सकता। अभी सिर्फ SC/ST आरक्षण के साथ ही चुनाव कराने होंगे।



सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मिले थे सीएम शिवराज



इसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिकवक्ताओं की टीम से मुलाकात की थी। अधिवक्ताओं  की सलाह पर शासन की ओर से संशोधन याचिका पेश की गई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार किया था। इस याचिका में शिवराज सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की वार्डवार रिपोर्ट अदालत  में पेश करते हुए पुनर्विचार आवेदन में 2022 के परिसीमन से चुनाव कराने की अनुमति मांगी।



मॉडिफाइड ऑर्डर के लिए सरकार की चार अपील




  • 2022 में किए गए परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने की अनुमति दी जाए।


  • अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की दूसरी रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण को नोटिफाइड करने के लिए और एससी-एसटी आरक्षण देने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया जाए।

  • राज्य निर्वाचन चुनाव आयोग को दो सप्ताह के बजाय 4 सप्ताह में चुनाव की सूचना जारी करने का आदेश दिया जाए।

  • ऐसे और आदेश पारित किए जाएं जो इस मामले की परिस्थिति में उचित समझें।



  • 2011 की जनगणना के आंकड़े बताए



    राज्य सरकार ने ओबीसी को आरक्षण के लिए 2011 की जनसंख्या के आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। इसके अनुसार  कुल जनसंख्या में ओबीसी की आबादी 51 प्रतिशत बताई गई है। सरकार का मानना है कि इस आधार पर ओबीसी को आरक्षण मिलता है तो उसके साथ न्याय हो सकेगा।



    चुनाव की तैयारियों में जुटा आयोग



    10 मई की पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी करने के आदेश दिए थे।  इसके बाद से ही आयोग ने जिले स्तर तैयारियां शुरू कर दी है और दोनों चुनाव 5 चरणों में ईवीएम और बैलेट पेपर से कराएं जाएंगे, इसके लिए कलेक्टरों को निर्देश भी जारी किए जा चुके है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने भी 6 जिलों के वार्ड परिसीमन का कार्यक्रम जारी कर दिया है।इसके अलावा नगरीय विकास और आवास विभाग से उन निकायों की जानकारी मांगी गई है, जहां कार्यकाल पूरा हो चुका है और चुनाव कराए जाना हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से नए परिसीमन के आधार पर आरक्षण करने के लिए कहा गया है। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत 22985 ग्राम पंचायतों, 313 जनपद पंचायतों और 52 जिला पंचायतों के चुनाव होना है। इनमें 3 लाख 64 हजार 309 पंच, 6771 जनपद सदस्य और 875 जिला पंचायत सदस्यों के लिए मतदान होगा। पंचायत चुनाव के लिए प्रदेश में 75 हजार पोलिंग बूथ बनेंगे।



    याचिकाकर्ता बोले-सरकार की पुनर्विचार याचिका के 90 फीसदी पेज रद्दी



    प्रदेश में पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव जल्द कराने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले कांग्रेस नेता सैयद जाफर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा लगाए गए 946 पेज में से 860 पेज रद्दी के लायक हैं। इस रिपोर्ट में सरकार ने कहीं भी ओबीसी की जनंसख्या का उल्लेख नहीं किया। पिछले सप्ताह दिए गए अपने फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की रिपोर्ट को अधूरा माना था। सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के केवल दो चरण ही पूरे किए थे। अब पूरे प्रदेश में ओबीसी को एक समान आरक्षण नहीं मिल सकेगा।




    • जनपदवार ओबीसी वर्ग को देना होगा अलग-अलग आरक्षण।


  • कई जनपद पंचायत में नहीं मिलेगा ओबीसी वर्ग को आरक्षण।

  • किसी जनपद में 25 से 30़ प्रतिशत मिल सकता है आरक्षण।

  • जिस जनपद में ओबीसी की ज्यादा जनसंख्या वहां ओबीसी को मिलेगा ज्यादा आरक्षण।

     


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