ग्वालियर. लंबे समय से सिर्फ विवादों के कारण सुर्खियों में रहने वाली जीवाजी विश्वविद्यालय को लेकर अब सरकार भी सख्ती के मूड में आती दिख रही है । तमाम अटकलों के बावजूद सरकार ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को एक्सटेंशन न देते हुए उन्हें मूल पद पर भेजकर रिलीव भी कर दिया है।
एक वर्ष के लिए मिली थी प्रतिनियुक्ति
डॉ सुशील मन्डेरिया को पिछले वर्ष एक साल की प्रतिनियुक्ति पर उच्च शिक्षा विभाग ने जीवाजी विश्वविद्यालय का रजिस्ट्रार बनाकर भेजा था। उनकी नियुक्ति पर संघ के लोगों के सहयोग से हुई थी लेकिन उनकी नियुक्ति के बावजूद के ढर्रे में कोई सुधार नही आया । न तो समय से परीक्षाएं हो सकीं और न ही रिजल्ट निकले। सत्र भी सही ढंग से शुरू नही हो सका।
विद्यार्थी परिषद विवाद
माना जा रहा है कि विगत दिनों आयोजित कन्वोकेशन संमारोह को लेकर विवि प्रशासन और संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बीच मतभेद रहे । कहते हैं कि पुराने आयोजनों में परिषद ही सर्वेसर्वा रहती थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो ,इससे परिषद बहुत नाराज थी । उसने इस आयोजन से दूरी बनाकर रखी।
बायरल वीडियो से भी नाराज
आयोजन के दो दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो बायरल हुआ । इसमें विद्यार्थी परिषद के विभाग प्रमुख द्वारा कुलपति तिवारी के साथ दुर्व्यवहार के दृश्य थे । उसमें वे परिषद की ताकत बताते हुए कह रहे थे कि उन्हें पद से हटने में पांच मिनिट नही लगेगा । इस घटना को संघ ने काफी गम्भीरता से लिया क्योंकि एक तो इस घटनाक्रम संघ को टारगेट किया गया जिससे उसकी छवि पर बुरा असर पड़ा। दूसरे जब यह घटनाक्रम घटित हो रहा था तब रजिस्ट्रार पास ही खड़े थे लेकिन उन्होंने विवाद को खत्म करने और दोनो पक्षो में सामंजस्य कराने में भी उन्होंने कोई प्रयास नहीं किया