संजय गुप्ता,INDORE.कारम डैम संकट टलने के बाद जल संसाधन विभाग ने इसका मूल ठेका लेने वाली कंपनी एएनएस और फिर सबलीज कंपनी सारथी कंस्ट्रक्शन को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। लेकिन अभी भी दोनों कंपनियों के पास प्रदेश में 500 करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट मप्र सरकार के दिए हुए चल रहे हैं। एएनएस के पास छतरपुर जिले में 107 करोड़ के प्रोजेक्ट हैं,तो वहीं सारथी के पास पन्ना,छतपरपुर,डिंडोरी, चंदेरी,खरगोन,धार आदि जिलो के 428करोड़ के प्रोजेक्ट हाथ में हैं। इस पूरी कार्रवाई से इनके इन टेंडर प्रोजेक्ट पर कोई असर नहीं होगा, यानी इनसे कंपनियों की कमाई जारी रहेगी। विभाग से जुडे़ एक अधिकारी ने बताया कि सामान्य तौर पर ब्लैक लिस्ट,निलंबन की कार्रवाई एक-दो साल की रहती है,कंपनी के जवाब के बाद फिर एक समय अवधि के बाद यह टेंडर में हिस्सेदारी शुरू कर सकते हैं। यानी साफ है कि जब सरका, लोग इस घटना को भूल जाएंगे तो फिर कंपनियों को टेंडर मिलने शुरू हो जाएंगे।
डैम रिपेयर तो कर देंगे,बाकी मुआवजा,पानी की कीमत कौन देगा
यह टेंडर टर्नकी के आधार पर थे,यानी डैम में किसी तरह की टूट-फूट होने पर इसके सुधार का पूरा खर्चा कंपनी उठाएगी। इसमें कोई बड़ा खर्चा भी नहीं है कुछ करोड़ में रिपेयरिंग हो जाएगी। लेकिन जिन 18 गांवों के 21 हजार लोगों की और खुद सरकार की जान आफत में रही,फसलें और घर बर्बाद हुई। इसकी मुआवजा राशि का भार कौन उठाएगा (वैसे मुआवजा सरकार देगी लेकिन वह आपके-हमारे दिए टैक्स का ही पैसा होगा)? साथ ही इस डैम में मौजूद 15 एमसीएम पानी (यानि 1500 करोड लीटर,जिससे तीन हजार एकड से ज्यादा जमीन पर सिंचाई होती और फसल लहलहाती) जिससे सिंचाई होना थी,इससे किसान दूसरी फसल ले पाते,वह यूं ही बह गया,जिसके रोकने के लिए ही 304 करोड़ का यह डैम प्रोजेक्ट था। उसकी भरपाई कौन करेगा और कैसे होगी। इसका जवाब फिलहाल सरकार के पास नहीं है।
जांच कमेटी भी खानापूर्ति करने में लगी
इस पूरे मामले में शुरू से ही कार्रवाई के नाम पर सरकार का रवैया टालमटोल वाला रहा है। संकट सामने आने पर सरकार पहले जानमाल, पशुधन की हानि रोकने की प्राथमिकता होने की बात कहकर मामले को टालती रही। बाद में दबाव आया तो जांच कमेटी बना दी। अब चार सदस्यीय कमेटी ने भी बुधवार शाम को मौके पर जाकर कुछ मिनट में एनालिस करने की खानापूर्ति कर ली,डैम की मिट्टी के सेंपल लिए, दस मिनट डैम देखा और इस दौरान किसी को पास में फटकने भी नहीं दिया, पूरा गोपनीय दौरा हो गया और फिर चले गए। इससे यह तय है कि कमेटी की रिपोर्ट कैसी होगी, यह तो सरकार ही तय करेगी।