Jabalpur. उच्च शिक्षा विभाग और राजभवन विश्वविद्यालय की गुणवत्ता बढ़ाने लगातार नैक से जांच कराने के लिए निर्देशित कर रहा है कि लेकिन रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय नैक मूल्यांकन से कतराता चला आ रहा है। नैक मूल्यांकन में हो रही देरी के कारण इसका खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ेगा। विश्वविद्यालय को नए प्रोजेक्ट मिलने, विकास कार्यों के साथ शैक्षणिक गतिविधियों में भी देरी का सामना करना पड़ेगा।
राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद नैक की ओर से विश्वविद्यालयों के आधारभूत ढांचे में विकास और शैक्षणिक स्तर को बढ़ाने के लिए नैक एक्रिडिटेशन कराना आवश्यक होता है। समय पर एक्रिडिटेशन नहीं होने की स्थिति में विश्वविद्यालय को मिलने वाली ग्रांट से वंचित रहना पड़ सकता है। ग्रांट में 10 से 12 करोड़ रुपयों की राशि मिलती है, जो विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों पर खर्च की जाती है। जानकारों की मानें तो रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में साल 2014 में नैक निरीक्षण हुआ था। इस दौरान उसे बी ग्रेड मिल पाया था। 5 साल बाद नैक से दोबारा निरीक्षण कराया जाना था लेकिन इस बीच कोरोना की लहर आ गई। जिसके चलते नैक तैयारी पर भी असर पड़ा। अब यह साल भी बीतने को है।
रिपोर्ट भी तैयार नहीं
सूत्रों की मानें तो नैक को लेकर फिलहाल विश्वविद्यालय ने सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (एसएसआर) ही नहीं भेजी है। यह रिपोर्ट समस्त विभागों के द्वारा तैयार कर नैक को भेजी जानी थी। लेकिन आईक्यूएसी सेल की ढिलाई के चलते रिपोर्ट अब तक तैयार ही नहीं हो पाई है। ऐसे में नैक मूल्यांकन की प्रक्रिया भी जल्द होना संभव नहीं है।
राजभवन ने गठित की कमेटी
बता दें कि राजभवन ने विश्वविद्यालयों को नैक मूल्यांकन कराने के लिए कमेटी का गठन किया है। नैक में विश्वविद्यालयों की सहायता करने के लिए तीन उच्च ग्रेड विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कमेटी में शामिल किया गया है। जो विश्वविद्यालयों की तैयारियों में सहयोग करेंगे। वे इसके लिए अपने आवश्यक सुझाव भी देंगे।