भोपाल. मध्यप्रदेश (MP) में पैरामेडिकल (Paramedical) के अलग-अलग कोर्स की पढ़ाई कर रहे 25 हजार स्टूडेंट्स (students) का भविष्य अधर में लटक गया है। मेडिकल यूनिवर्सिटी (MP Medical Science University) जबलपुर (Jabalpur) ने 3 साल से उनकी परीक्षा ही नहीं कराई है। लिहाजा 2019-20 में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट अभी भी फर्स्ट ईयर में ही हैं। जबकि उन्हें एडमिशन (admission) लिए करीब 3 साल बीत चुके है। यही स्थिति सेकंड और थर्ड ईयर के छात्रों की है। पैरामेडिकल स्टूडेंट्स (Paramedical Students) भी नर्सिंग स्टूडेंट्स (Nursing Students) की तहत इंटरनल असेसमेंट (Internal Asessment) के आधार पर जनरल प्रमोशन (General Promotion) की मांग कर रहे है। दूसरी तरफ मेडिकल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार (Registrar) समस्या का समाधान करने की बजाए छात्रों को कोर्ट का रास्ता दिखा रहे हैं।
अधिकारी से मुख्यमंत्री तक लगाई गुहार, सिर्फ आश्वासन ही मिला
पहले परीक्षा कराए जाने और अब जनरल प्रमोशन दिए जाने की मांग को लेकर बीपीटी, बीएमएलटी, बीएक्सआरटी, बीओटी एवं अन्य पैरामेडिकल कोर्सेस के स्टूडेंट, पैरामेडिकल काउंसिल और जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी का कई बार घेराव कर चुके हैं। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Medical Education Minister Vishwas Sarang) से भी गुहार लगा चुके हैं। लेकिन उन्हें हर जगह से सिर्फ औऱ सिर्फ आश्वासन ही मिला। पैरामेडिकल काउंसिल की रजिस्ट्रार पूजा शुक्ला (Pooja Shukla) ने स्टूडेंट को लिखित में दे दिया कि काउंसिल इस मामले में कुछ नहीं कर सकती।
ट्यूशन और हॉस्टल फीस पर सालाना डेढ़ लाख रुपए खर्च
पैरामेडिकल कोर्स में तीन साल से परीक्षाएं नहीं हो रही हैं लेकिन एडमिशन लगातार हो रहे हैं। 2019 में बीएमएलटी कोर्स (BMLT Course) में एडमिशन लेने वाली गुंजन ने बताया कि हर साल कॉलेज और हॉस्टल (hostels) की फीस के तौर पर डेढ़ लाख रुपए खर्च हो रहे हैं। लेकिन तीन साल बाद भी वे फर्स्ट ईयर में ही हैं। फर्स्ट ईयर की परीक्षाएं नहीं होने के कारण सेकंड और थर्ड ईयर की पढ़ाई भी नहीं हो रही है। ऐसे में डिग्री कितने साल में पूरी होगी पता नहीं। हर साल फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती जा रही है।
कोर्ट की शरण में पहुंचे स्टूडेंट्स
प्रदेश के 80 हजार नर्सिंग स्टूडेंट्स (Nursing Students) भी इसी तरह परेशान हो रहे थे। द सूत्र की मुहिम के बाद हाल ही में उन्हें जनरल प्रमोशन दिए जाने का आदेश जारी हुआ है। पैरामेडिकल स्टूडेंट गुलशन रॉय ने बताया कि नर्सिंग स्टूडेंट्स ने भी हाईकोर्ट (High Court) का दरवाजा खटखटाया था। अब पैरामेडिकल स्टूडेंट ने भी हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाई कोर्ट की ग्वालियर (Gwalior) बेंच में 17 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई होनी है।
कैसे हो परीक्षा क्यों कि यूनिवर्सिटी के पास स्टूडेंट का डेटा ही नहीं
समय पर परीक्षाएं लेने की बजाए मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रशासन स्टूडेंट्स को कोर्ट जाने की सलाह दे रहा है। द सूत्र से बातचीत में रजिस्ट्रार डॉ. प्रभात कुमार बुधौलिया (Dr. Prabhat Kumar Budholia) ने कहा कि नर्सिंग स्टूडेंट्स की तरह यदि कोर्ट का आदेश होगा तो पैरामेडिकल स्टूडेंट्स को भी जनरल प्रमोशन दे दिया जाएगा। परीक्षाएं न कराए जाने पर रजिस्ट्रार ने पहले तो कोरोना का बहाना बनाया। फिर बाद में इस बात का खुलासा किया कि दरअसल यूनिवर्सिटी के पास एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट का डाटा ही नहीं है। ये डेटा एक निजी एजेंसी के पास है, जो विवाद के चलते यूनिवर्सिटी को एडमिशन लेने वाले छात्रों से संबंधित डेटा नहीं दे रही है। इसी के चलते यूनिवर्सिटी (University) छात्रों की परीक्षाएं कराने में असमर्थ है।
परीक्षाएं नहीं होने के लिए स्टूडेंट को ही बताया जिम्मेदार
पैरामेडिकल स्टूडेंट गुलशन रॉय ने बताया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन तीन साल में पांच बार एग्जाम का टाइम टेबल जारी कर चुका है। लेकिन इसके बाद भी परीक्षाएं नहीं हुईं। लेकिन हर बार कोरोना और डेटा की अनुपलब्धता का बहाना बनाकर परीक्षाएं टाल दी गईं। इस साल भी नवंबर की शुरुआत में भी टाइम टेबल जारी हुआ। लेकिन परीक्षा के एक दिन पहले तक यूनिवर्सिटी प्रशासन एडमिट कार्ड ही जारी नहीं कर पाया। बाद में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने फिर यह आड़ लेते हुए परीक्षाएं टाल दीं कि स्टूडेंट्स एग्जाम नहीं जनरल प्रमोशन चाहते हैं।
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