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DAMOH. ये बात सब जानते हैं कि जुगाड़ में भारतीयों का कोई सानी नहीं है। कोई गैजेट खराब हो जाए या फिर टूट जाए उसका किसी न किसी रूप में इस्तेमाल करने में हम भारतीयों को महारत हासिल है। एक ऐसा ही जुगाड़ दमोह जिले के हटा में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां पंचायत द्वारा लगाए गए सोलर पंप की मशीन खराब हो जाने के बाद सोलर पैनल का उपयोग मोबाइल चार्जर प्वाइंट के रूप में शुरू कर दिया है। ग्रामीण अपना-अपना चार्जर लेकर चार्जिंग प्वाइंट पर आते हैं और मोबाइल चार्ज करते हैं। इतना ही रहीं मोबाइल की रखवाली के लिए ग्रामीण अपने बच्चों को भी सोलर पैनल की छांव में खड़ा कर जाते हैं ताकि उनका मोबाइल न गायब हो जाए।
आवश्यकता अविष्कार की जननी
आवश्यकता अविष्कार की जननी है कुछ इन्ही पंक्तियों को चरितार्थ करती खबर दमोह जिले के हटा ब्लाक के आदिवासी अंचल के धुरखेड़ा गांव से है। जहां बिजली गुल हो जाने के बाद गांव के युवा स्कूल परिसर में लगे सोलर पैनल की जुगाड़ तकनीक से मोबाइल चार्जर पॉइंट्स बनाकर अपने मोबाइल की बैटरी चार्ज करते हैं। दरअसल ग्राम पंचायत घोघरा अंतर्गत आने वाले धुरखेड़ा गांव में पंचायत द्वारा पेयजल व्यवस्था के लिए सोलर पैनल सिस्टम बोरबेल लगाया गया था, लेकिन बोरबेल में खराबी के बाद सोलर पैनल प्लेट्स का उपयोग यहां के मोबाइल धारकों ने चार्जिंग पॉइंट्स के रूप से शुरू कर दिया।
बिजली गुल होने पर सोलर पैनल के पास पहुंच जाते हैं लोग
गांव में जब भी बिजली गुल होती या लाइट आती ही नहीं तो युवा और बच्चे स्कूल परिसर में लगे इस सोलर पैनल के पास पहुंच जाते हैं और अपने मोबाइल फोन सहित बैटरियों को चार्ज करते हैं। मोबाइल चार्ज और बैटरी पूरी होने तक बच्चे यहां खेलकर समय व्यतीत करते हैं। नजदीकी गांवों में भी इस जुगाड़ तकनीक की खासी चर्चा हो रही है, लोग नवनिर्वाचित सरपंचों से भी ऐसी कोई व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं। अब नए नवेले सरपंचों का सिर इस बात पर चकरा रहा है कि आखिर खराब पंप वाले सोलर पैनल को वो कैसे लगवा सकते हैं।