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योगेश राठौर, INDORE. खरगोन के बड़वाह में मोरटक्का पुल को बने हुए करीब 70 साल हो चुके हैं लेकिन ये अभी भी मजबूत है। रिपेयरिंग के काम और संरक्षण से ये अभी आगे लंबे समय तक काम देगा। ये कहना है इंदौर की एक्सपर्ट कमेटी का जिन्होंने मोरटक्का पुल की जांच करने के बाद रिपोर्ट एनएचएआई को सौंपी है। कमेटी ने कहा कि फिलहाल रिपेयरिंग के काम के साथ यहां से तीन टन तक के हल्के वाहन जा सकते हैं लेकिन भारी वाहनों के लिए रिपेयरिंग के बाद लोड टेस्ट करना चाहिए। इस रिपोर्ट के बाद पुल से हल्के वाहनों का आवागमन शुरू कर दिया गया है।
पीपल के पौधों के कारण आई दरार
जांच टीम ने दरार आने का मुख्य कारण पीपल के पौधे बताए हैं। दरअसल ब्रिज को गर्मी, सर्दी और बारिश सभी को सहना होता है। ऐसे में 30-30 मीटर में गैप रखा जाता है जो मटेरियल के फैलने-सिकुड़ने को मैनेज करता है। लेकिन लंबे समय के चलते इन दरारों में पीपल के पौधे उग आए हैं, इनकी जड़ें फैल रही हैं इसी वजह से ब्रिज में ये दरार आई है। ये ब्रिज 1953 में बनना शुरू हुआ था और साल 1958 में यहां से ट्रैफिक शुरू हो गया था।
अभी और भी टेस्ट बाकी
जांच टीम नर्मदा में पानी के चलते नीचे अभी पिलर, ब्रिज का बेस नहीं देख सकी है। इसकी भी जांच होगी, साथ ही मेटरियल जांच की भी कुछ रिपोर्ट आनी बाकी है। जांच टीम ने पाया ये अनूठा ब्रिज है। इसकी आर्च वाली डिजाइन, मटेरियल में आरसीसी, पिलर में रबर का उपयोग शॉक आब्जर्व के रूप में ये सभी अद्भुत है। एसजीएसटीआईटीस की एक्सपर्ट टीम ने ये रिपोर्ट शनिवार रात को एनएचएआई को सौंपी है। इस टीम में मध्य भारत के सबसे बड़े स्ट्रक्चरल एक्सपर्ट वरिष्ठ प्रोफेसर विजय आर रोड़े के साथ ब्रिज एक्सपर्ट प्रोफेसर एमके लगाटे और प्रोफेसर विवेक तिवारी शामिल थे।