जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले आदिवासी इलाकों में हो रहे आंदोलन, मुद्दा- आरक्षण

author-image
Shivasheesh Tiwari
एडिट
New Update
जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले आदिवासी इलाकों में हो रहे आंदोलन, मुद्दा- आरक्षण

Bhopal. ओबीसी आरक्षण के साथ-साथ मप्र में एक और मुद्दा खदबदा रहा है और वो है ऐसे आदिवासी जिन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया है उनका आरक्षण खत्म किया जाए। जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले आदिवासी इलाकों में आंदोलन हो रहे हैं। खास तौर पर मालवा और निमाड़ के इलाकों में। इस पर सियासी घमासान भी मचा है। आदिवासी वर्ग से आने वाले बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है तो आदिवासियों के लिए काम करने वाले जयस जैसे संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। 





संविधान के अनुच्छेद 342 का मामला





जनजाति सुरक्षा मंच हर आदिवासी जिले में रैलियां निकाल रहा है। मांग एक ही की जा रही है कि जो आदिवासी धर्म परिवर्तन कर चुके हैं, उन्हें डिलिस्टिंग कर दिया जाए यानी उन्हें आरक्षण का लाभ ना दिया जाए। इसके लिए जनजाति सुरक्षा मंच से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि ये लोग दो-दो वर्गों का लाभ ले रहे हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 342 के खिलाफ है। जिस अनुच्छेद 342 का हवाला जनजाति सुरक्षा मंच दे रहा है उसे लेकर दो राय है। जयस इसकी व्याख्या अलग तरीके से करता है। जयस का कहना है कि डिलिस्टिंग की बजाए घर वापसी होना चाहिए। दूसरी तरफ बीजेपी नेता भी डिलिस्टिंग के सपोर्ट में है तो कांग्रेस इसके खिलाफ। इसे लेकर सोशल मीडिया वॉर भी छिड़ा।





सर्वोच्च अदालत एतराज 





वैसे इस मसले पर देश की सर्वोच्च अदालत एतराज जता चुकी है और एवान लांकेई रिम्बाई बनाम जयंतिया हिल्स डिस्ट्रिक्ट के मामले में कह चुकी है कि धर्म परिवर्तन करने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। झाबुआ में धर्म परिवर्तन के मामले देखे तो 2011 की जनगणना के मुताबिक 38 हजार 424 आदिवासियों ने ईसाई धर्म अपनाया तो 2022 में ये अनुमान करीब 44 हजार है। कुल मिलाकर डिलिस्टिंग का मुद्दा हावी हो रहा है और ये सब उन आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों पर पकड़ बनाने के लिए है जो चुनाव में अहम रोल अदा करती है।



Madhya Pradesh मध्यप्रदेश CONGRESS कांग्रेस BJP बीजेपी religious conversion धर्म परिवर्तन आदिवासी Jays जयस ADIVASI delisting Tribal Suraksha Manch डिलिस्टिंग जनजाति सुरक्षा मंच