ग्वालियर। होशंगाबाद के फैसल खान ने एक हिंदू युवती से शादी की थी। लेकिन युवती के परिवार की दखल के बाद दोनों अलग-अलग रह रहे थे। इसको लेकर फैजल ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। जिसकी सुनवाई के बाद अदालत ने 22 फरवरी को युवती को अपनी मर्जी से स्वतंत्र रहने का आदेश दिया है। साथ ही अदालत ने कहा कि मर्जी से प्रेम विवाह करने से बाप-बेटी का रिश्ता खत्म नहीं होता है। शादी के बाद भी बेटी के लिए वह पिता ही रहेगा। कोर्ट ने कहा कि विवाह के बाद भी पिता को बेटी की सुरक्षा का अधिकार है।
बयान दर्ज करने के लिए बुलाकर SDM ने युवती को भेजा नारी निकेतन: फैसल ने 19 साल की युवती के साथ लव मैरिज की थी। दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे। युवती फैसल के साथ रहने लगी, जिसके बाद युवती के पिता ने लापता होने का मामला दर्ज कराया। रिपोर्ट के बाद युवक और युवती दोनों ने थाने में उपस्थित होकर मर्जी से साथ रहने की बात स्वीकार की। इसके बाद दोनों भोपाल में आकर रह रहे थे। फरवरी में इटारसी पुलिस ने SDM के समक्ष दोनों को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया था। यहां से बिना किसी जानकारी के युवती को नारी निकेतन भेज दिया। फैसल खान ने इसके खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।
स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत होगी शादी: याचिका में युवक ने हाईकोर्ट में शिक्षा, आय तथा धर्म के संबंध में हलफनामा पेश किया था। हलफनामे में कहा गया था कि दोनों अपना धर्म मानने के लिए स्वतंत्र हैं और वह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करना चाहते हैं। हाईकोर्ट की बेंच ने पक्ष सुनने के बाद आदेश में कहा कि युवती की उम्र महज 19 साल है और उसके पिता को उसके शैक्षणिक करियर की चिंता थी। युवती को यह संशय था कि याचिकाकर्ता बाद में दूसरी शादी नहीं कर ले। इसलिए उससे हलफनामा पेश करने आदेशित किया गया था। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि विवाह के बाद भी पिता को बेटी की सुरक्षा का अधिकार है। न्यायालय को उम्मीद है कि शादी के बाद भी युवती के संपर्क में रहेंगे और भावनात्मक प्यार प्रदान करेंगे।