DELHI: मप्र बना मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट, दूसरी बार इस अवॉर्ड से नवाजा गया; MP में अब तक 250 फिल्में-वेबसीरीज की शूटिंग हुईं

author-image
The Sootr CG
एडिट
New Update
DELHI: मप्र बना मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट, दूसरी बार इस अवॉर्ड से नवाजा गया; MP में अब तक 250 फिल्में-वेबसीरीज की शूटिंग हुईं

NEW DELHI. 68वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड (68th National Film Awards) की घोषणा 22 जुलाई को की गई। इसमें मध्यप्रदेश को "मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट" का अवॉर्ड दिया गया। नई दिल्ली के नेशनल मीडिया सेंटर में अवॉर्ड की घोषणा हुई। 2017 के बाद दूसरी बार इस अवॉर्ड से प्रदेश को नवाजा गया है। नेशनल फिल्म अवॉर्ड की इस कैटेगरी में 13 राज्य नॉमिनेट थे, बाजी एमपी ने मारी। प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर (Natural Beauty, Historical and Cultural Heritage) ने एक बार फिर पूरे देश का मन मोह लिया है। मध्य प्रदेश में 250 से ज्यादा फिल्में,वेब सीरीज,टीवी शो की शूटिंग हो चुकी है।



नॉन फीचर फिल्म- मांदल के बोल



एक अन्य उपलब्धि में नॉन फीचर फिल्म कैटेगरी (Non Feature Film Category) में बेस्ट एथनोग्राफिक फिल्म (Best Ethnographic Film) का अवॉर्ड "मांदल के बोल" को दिया गया। इस फिल्म की शूटिंग मध्यप्रदेश के ट्राइबल म्यूजियम में हुई है। फिल्म का निर्देशन राजेंद्र जांगले ने किया है। यह फिल्म बैगा जनजातीय जीवन और उनके ग्रामीण परिवेश (environment) को दर्शाती है।



CM शिवराज ने दी बधाई, टूरिस्ट्स को किया इनवाइट



मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेश के नागरिकों, पर्यटन विभाग के अधिकारियों और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े सभी साथियों को बधाई दी है। उन्होंने सभी पर्यटकों को प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के सौंदर्य से समृद्ध मध्य प्रदेश आने के लिए आमंत्रित किया है।



साथ ही पर्यटन और संस्कृति मंत्री (Minister of Tourism and Culture) उषा ठाकुर ने प्रदेश की उपलब्धि को गौरव का विषय बताया है। उन्होंने प्रिंसिपल सेक्रेटरी टूरिज्म शिवशेखर शुक्ला और पर्यटन विभाग के अधिकारियों (Tourism department officer) को शुभकामनाएं दी हैं।



डायरेक्टर विपुल शाह की अध्यक्षता में मिला अवॉर्ड



फिल्म निर्देशक (Film Director) विपुल शाह की अध्यक्षता में 10 सदस्य ज्यूरी ने अवार्ड का चयन किया। ज्यूरी में सिनेमैटोग्राफर (Cinematographer) धर्म गुलाटी और जी एस भास्कर, एक्टर श्रीलेखा मुखर्जी, ए कार्तिकराजा, वी एन आदित्य, वीजी थंपी, संजीव रत्तन, एस थंगादुरई और निशीगंधा शामिल रहे। 



फिल्म पर्यटन नीति 2020 में प्रावधान



फिल्ममेकर्स को अट्रेक्ट और इनवाइट करने के लिए प्रदेश में फिल्म पर्यटन नीति 2020 (Film Tourism Policy 2020) बनाई गई है। इसके मुताबिक, शूटिंग की परमीशन के लिए सिंगल विंडो सिस्टम (single window system) दिया जाता है। साथ ही कई तरह की ग्रांट्स और छूट भी दी जाती है। अंतरराष्ट्रीय फिल्म (International film), टीवी सीरियल (TV Serials) और वेब सीरीज (Web series) के लिए 10 करोड़ रुपए तक की ग्रांट दी जाती है। फीचर फिल्म के लिए 25% और 2 करोड़ रुपए तक की ग्रांट दी जाती है। वहीं, टीवी सीरियल्स और वेब सीरीज के लिए 25% या 1 करोड़ रुपए तक की फाइनेंशियल ग्रांट का प्रावधान (Provision)है। साथ ही डॉक्यूमेंट्री के लिए करीब 40 लाख की ग्रांट दी जाती है। 



राज्य के स्थानीय कलाकारों को फिल्म मेकिंग में लेने के लिए 25 लाख तक की सरकारी मदद (Financial grant) का प्रावधान है। फिल्म इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (film infrastructure development) पर 30% तक का वित्तीय अनुदान दिया जाता है। साथ ही फिल्म क्रू (film crew) के लिए पर्यटन विभाग (tourism department) के होटल और रिजॉर्ट में ठहरने पर 40% की छूट दी जाती है। 



राज्य में फिल्म उद्योग के विकास के लिए फिल्म सिटी (film city), फिल्म स्टूडियो (film studio), कौशल विकास केंद्र (skill development center) आदि स्थापित करने के लिए प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को आरक्षित भूमि (reserved land) दी जाती है। इसके साथ ही लोकल आर्टिस्ट के स्किल डेवेलपमेंट के लिए कई वर्कशॉप आयोजित किए जाते हैं। इन सभी प्रयासों के चलते प्रदेश में 90 से ज़्यादा फ़िल्म, वेबसीरीज, सीरियल की शूटिंग हो चुकी है।



भोपाल बना प्रदेश का शूटिंग हब



कला और संस्कृति के साथ प्राकृतिक सुंदरता समेटे भोपाल इन दिनों शूटिंग हब बना हुआ है। रियल लोकेशन, सरकार का सहयोग, हवाई कनेक्टिविटी, तकनीकी स्टाफ, अच्छी हिंदी बोलने वाले लोग और लोकल आर्टिस्ट के चलते शहर फिल्म मेकर्स को अट्रैक्ट कर रहा है। भोपाल और आसपास के क्षेत्रों में हर साल लगभग 12 से ज्यादा फिल्म, वेब सीरीज और शो शूट हो जाते हैं। मॉनसून में भी यह सिलसिला नहीं रुकता है। 



थिएटर (Theatre), लेखन (writing) और संगीत (music) विधा इस शहर में पहले से थी। ऐसे में कई लोगों ने फिल्म इंडस्ट्री में हात आजमाने के लिए मुंबई का रुख किया। इन्हीं के माध्यम से फिल्ममेकर्स को भोपाल की खासियत पता चली। बड़ी झील, इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय, गौहर महल, जनजातीय संग्रहालय, इस्लाम नगर का किला, मिंटो हॉल, सदर मंजिल, अहमदाबाद पैलेस, जहांनुमा पैलेस आदि ऐसे स्थान हैं, जहां फिल्म मेकर्स को फिल्म के हिसाब का माहौल मिलता है। कुछ जगहों को शूटिंग के हिसाब से रेनोवेट भी किया गया है। 



वर्तमान कई छोटे-बड़े प्रॉडक्शन हाउस (production house) भी यहां खुल गए हैं। इससे फिल्म मेकर्स को शूटिंग का सामान अलग से मुंबई लेने जाते। कुल मिला कर भोपाल में फिल्म सिटी बने बिना ही फिल्म सिटी जैसी सुविधाएं मिल रही हैं।



MP में फिल्म एंड टेलीविजन प्रोडक्शन की ब्रांच



मध्यप्रदेश को फिल्म शूटिंग के हब के रूप में विकसित करने के लिए तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने इंदौर-भोपाल के बीच फिल्म सिटी डेवलप करने की तैयारी की थी। इस पर आगे काम हो पाता कि इससे पहले ही सरकार गिर गई। प्रस्ताव के मुताबिक, फिल्म सिटी को 2 हजार हेक्टेयर में पीपीपी मोड से डेवलप किया जाना था।



फिल्म निर्माता (Film makers) और निर्देशकों (Dirctors) का प्रदेश में बढ़ता रुझान देखते हुए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब मध्य प्रदेश में फिल्म एंड टेलीविजन प्रोडक्शन कोर्स की कंपलीट ब्रांच खोलने जा रही है। टेक्निकल एजुकेशन विभाग (Technical Education Department) ने यह फैसला लिया है। वहीं, भोपाल पॉलिटेक्निक (Polytechnic)में वीडियोग्राफी (Videography) की जगह अब फिल्म टेक्नोलॉजी एंड TV प्रोडक्शन में डिप्लोमा (Diploma) कराया जाएगा। यह कोर्स 3 साल का होगा। छात्रों को निर्देशन (Direction), सिनेमेटोग्राफी (Cinematography), स्क्रीन राइटिंग (Screen writing)  की शिक्षा दी जाएगी।

 


Madhya Pradesh मध्यप्रदेश इंदौर Indore भोपाल Bhopal MP Government एमपी गवर्नमेंट National film award नेशनल फिल्म अवॉर्ड actor एक्टर Director Film Making निर्देशक फिल्म मेकिंग