JABALPUR: आदिवासी क्षेत्र में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण,जैविक खाद बनाने के तरीके किसानों को सिखाये

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Rajeev Upadhyay
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JABALPUR: आदिवासी क्षेत्र में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण,जैविक खाद बनाने के तरीके किसानों को सिखाये

Jabalpur. खेती में बढ़ते रासायनिक आदानों से लागत व भूमि स्वास्थ्य पर विपरीत असर देखे जा रहे हैं इसके निदान हेतु प्राकृतिक खेती की अवधारणा एक वरदान के रूप में सामने आ रही है।डॉ एसके निगम उप संचालक कृषि जबलपुर यूके कटहरे आत्मा परियोजना एवं अनुविभागीय अधिकारी कृषि डॉक्टर इंदिरा त्रिपाठी ने शाहपुरा विकासखंड के दूरस्थ ग्राम दुर्गापुर चिरापोडी ग्राम पंचायत में किसानो को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया।आत्मा परियोजना के अंतर्गत इस दूरस्थ ग्राम में क्योंकि बरगी बांध के विस्थापितों के द्वारा बसाया हुआ गांव है। यहां के कृषि भूमि में उर्वरता पर्याप्त मात्रा में ना होने से कृषि उपज कम पैदा हो रही थी इसको देखते हुए कृषि विभाग ने इस ग्राम को गोद लेते हुए यहां पर प्राकृतिक खेती व गौ आधारित कृषि पर विशेष जोर दिया ।





जैविक खाद बनाने के तरीके सिखाये  




देसी गाय के गोबर गोमूत्र व अन्य सामग्री से मिलाकर घन जीवामृत व संजीवनी जल जैसे जैविक खाद बनाने के तरीके किसानों को सिखाया। स्थानीय प्रगतिशील कृषक श्री श्याम तिवारी ने कृषकों की भूमि पर नाडेप व वर्मी कंपोस्ट  एवम गोबर गैस की संरचनाएं किसानों के सहयोग से निर्मित कराने में अच्छी भूमिका निर्वहन की।

आत्मा परियोजना के विकास खंड प्रभारी रोहित गुप्ता ने किसानों के समूह बनाए एवं उन समूहों को शासकीय योजना के अंतर्गत जैविक कृषि आदान सामग्री उपलब्ध कराई साथ ही साथ अरहर व उड़द के उन्नत बीज के मिनी किट भी वितरित कराए गए।शाहपुरा विकासखंड में प्राकृतिक खेती के पंजीयन का काम भी कृषि विभाग के द्वारा किया जा रहा है। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी रजनीश दुबे ने बताया कि जो किसान भाई जैविक खेती या प्राकृतिक खेती में पंजीयन करवाना चाहते हैं वह विकास खंड कृषि कार्यालय शाहपुरा में संपर्क कर सकते हैं।प्राकृतिक खेती आज की आवश्यकता है इससे खेती में जहरीला पन कम होगा साथ ही किसानों की कृषि लागत भी कम होगी जिससे उन्हें आर्थिक लाभ प्राप्त होगा।


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