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Damoh. गुरु हमेशा जोड़ने का कार्य करते हैं। वे जाति, धर्म से ऊपर उठकर मानव को एक सूत्र में पिरोते हैं। इसी तरह की गुरु शिष्य की परंपरा का निर्वहन हटा में हो रहा है। जहां नीम वाले बाबा की दरगाह पर हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही अपने गुरु का पूजन करते हैं। यहां शंख और झांज की आवाज दूर दूर तक सुनाई देती है। यहां हिन्दू और मुस्लिम ने एकता की मिसाल कायम की है। जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर हटा के हजारी वार्ड स्थापित हजरत सैय्यद नीम वाले बाबा साहब की दरगाह पर आने वाले श्रद्धालु बाबा को अपने गुरु के रुप में पूजते हैं। इस दिन दरगाह पर एक ही समय घन्टी और शंख का नाद सुनाई देता है तो दूसरी ओर सालतो सलाम कुरान की आयते पड़ी जाती हैं। फिर सबके हक में अमन, चेन की दुआ मांगी जाती है। गुरुपूर्णिमा के अवसर पर बाबा को अपना गुरु मानकर दरगाह का दूध, गंगाजल, शहद, दही से शाही स्नान कराकर चन्दन का लेप किया जाता है। फिर लोभान, अगरबत्ती की धूनी, इत्र लगाकर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं।
परंपरा पिछले 60 वर्षों से जारी
दरगाह पर मंगल कलश, सजे बन्धनवार, रंगोली व दीप जलाया जाता है। बाबा के चाहने वालो भक्तों के द्वारा इस अवसर पर हिन्दू परंपरा अनुसार अपने गुरु की मंगल आरती, भजन कीर्तन कर शंख व घंटा बजाकर गुरु का पूजन होता है। इसके उपरांत मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा नातो सलाम पेश कर फातिहा पढ़ी जाती है और सबके हक में अमनो अमान की दुआऐ मांगी जाती हैं। साथ ही प्रसाद के रुप मे मालपुआ का वितरण साथ ही आम भंडारे के आयोजन होता है। श्रद्धालुओं ने बताया कि बाबा साहब को गुरु के रूप में मानते है। यहां प्रतिवर्ष गुरुपूर्णिमा पर मिलाद पूजा अर्चना आरती भंडारे जैसे कई आयोजन आयोजित होते है। यह परंपरा पिछले 60 वर्षों से चली आ रही है।