जबलपुर में बच्चे की मौत मामले में नया खुलासा, प्रशासन का दावा 12 बजे से पहले हो चुकी थी मौत, जांच कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी

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Rajeev Upadhyay
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 जबलपुर में बच्चे की मौत मामले में नया खुलासा, प्रशासन का दावा 12 बजे से पहले हो चुकी थी मौत, जांच कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी

Jabalpur. जबलपुर के बरगी स्वास्थ्य केंद्र में कथित रूप से बच्चे को इलाज न मिलने से हुई मौत के मामले में नया खुलासा हुआ है। जांच में यह दावा किया जा रहा है कि बच्चे को मृत घोषित किये जाने के बाद परिजन उसे लेकर पहले एक क्लीनिक गये और फिर बाद में वे उसे लेकर सुखसागर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे थे, जहां दोपहर करीब 12 बजे बच्चे का शरीर अकड़ चुका था और मेडिकल साइंस के मुताबिक मृत शरीर में यह प्रक्रिया मौत के 4 घंटे बाद शुरू होती है। यह रिपोर्ट जांच कमेटी ने सौंपी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरगी में बुधवार को डॉक्टर नहीं होने से 5 साल के बच्चे ने मां की गोद में ही दम तोड़ दिया था। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद 3 अधिकारियों के अलग-अलग बयान सामने आए हैं।



बयान नहीं खा रहे मेल



प्रभारी सीएमएचओ डॉक्टर संजय मिश्रा का कहना है कि परिजनों के बयान और उन डॉक्टर्स के बयान बिल्कुल मेल नहीं खा रहे हैं। बच्चे के जलने के बाद उसे जिस डाक्टर को दिखाया गया और उसकी मौत के बाद भी जहां जहां उसे लेकर परिजन पहुंचे हर शख्स के बयान परिजनों के बयान से अलग हैं। जिम्मेदारों के अलग-अलग बयानों ने मामले को उलझा दिया है।

प्रशासन सोशल मीडिया पर चली उन खबरों को फैब्रिकेटेड करार दे रहा है जिसमें यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि बच्चे की मां उसे सीने से लगाए बिलखती रही लेकिन डाक्टर की अनुपस्थिति के चलते बच्चे को इलाज न मिल सका और उसने दम तोड़ दिया।

बता दें कि प्रशासन ने गुरूवार की शाम ही ऐसी खबर को भ्रामक बताते हुए, ऐसे एंगल वाला संदेश प्रसारित करने वाले लोगों पर कार्रवाई करने की बात जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रसारित करवा दी थी.



ये है मामला



बरगी से करीब 15 किलोमीटर दूर तिन्हेटा गांव के ऋषि को बुधवार सुबह उल्टी-दस्त की शिकायत हुई। बच्चे को उसके मामा पवन कुमार और परिजन सुबह करीब 10 बजे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरगी ले गए। परिजन का आरोप है कि अस्पताल में बच्चे की मेडिकल जांच के लिए एक भी डॉक्टर नहीं था। एक नर्स ड्यूटी पर थी। ऋषि की हालत बिगड़ती चली गई और अस्पताल में ही उसकी मौत हो गई। पवन कुमार का कहना है कि नर्स ने बताया सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक डॉक्टर की ड्यूटी रहती है, लेकिन हम 12 बजे तक अस्पताल में इलाज के लिए भटकते रहे।


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